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गुजरात में पाकिस्तान सीमा के पास अदानी के प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता ?

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लोकसभा में पिछले सप्ताह बुधवार को विपक्षी कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसद हंगामा करते हुए केंद्र सरकार से एक ख़ास मुद्दे पर शिकायत कर रहे थे.उनकी शिकायत थी कि गुजरात के कच्छ जिले के खावड़ा में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) पार्क स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील देकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया किया गया है.

विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के पूछे गए सवाल पर न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष के सवालों का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया.

उसके बाद असंतुष्ट सांसदों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया और बाहर निकल गए. क़रीब एक महीने में ऐसा दूसरी बार था जब कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से जवाब मांगा.गुजरात के कच्छ में भारत-पाक सीमा के पास खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क आवंटन को लेकर पिछले महीने ब्रिटेन के एक अख़बार द गार्डियन ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

इसमें कहा गया था कि भारत सरकार ने सीमा सुरक्षा नियमों में ढील दी है जिससे अदानी समूह को लाभ हुआ है.रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से संपर्क किया, जिसमें खावड़ा के पास तीस हज़ार मेगावाट हाइब्रिड आरई पार्क विकसित करने के लिए अनुमति देने की शर्तों में ढील देने की मांग की गई.

यह मामला पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से केवल एक किलोमीटर दूर के क्षेत्रों में विंड एनर्जी के लिए टरबाइन जनरेटर और सोलर पैनल लगाने की अनुमति से जुड़ा था.इस रिपोर्ट में दावा किया गया है, “21 अप्रैल, 2023 को एक बैठक में केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा मानदंडों में ढील देने पर सहमति व्यक्त की ताकि इस ज़मीन का “रिन्यूएबल एनर्जी के लिए इस्तेमाल आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सके.”

जबकि बैठक में मौजूद भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुरू में मानदंडों में इस तरह के बदलाव पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि पवन चक्कियाँ और सोलर पैनल “टैंकों की लामबंदी और सुरक्षा निगरानी” में बाधा डालेंगे.

हालांकि, द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य अधिकारियों को भरोसा दिया गया था कि “दुश्मन के टैंकों की आवाजाही से होने वाले किसी भी ख़तरे को कम करने के लिए सौर प्लेटफ़ॉर्म पर्याप्त होंगे.”शुरुआत में, केंद्र सरकार के उपक्रम सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को सीमा पर 230 वर्ग किलोमीटर ज़मीन आवंटित की गई थी.

द गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2023 में केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, नेपाल और म्यांमार के साथ भारत की सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए नियमों में ढील दी.17 जुलाई, 2023 को एसईसीआई ने गुजरात सरकार को ज़मीन सौंप दी. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उस साल अगस्त तक अदानी समूह को वह ज़मीन आवंटित कर दी गई.

12 मार्च को लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सांसद मनीष तिवारी ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल यह निर्धारित करता है कि सीमा के दस किलोमीटर के भीतर बुनियादी ढांचे की कोई भी बड़ी परियोजना नहीं लगाई जा सकती है. मैं माननीय मंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या निर्माणाधीन खावड़ा परियोजना के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल में ढील दी गई है?”

“दूसरा, इस मिश्रित अक्षय ऊर्जा परियोजना के लिए भारत सरकार ने कितनी रियायतें दी हैं, जिसमें पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और अन्य चीजें शामिल हैं?”

अपने जवाब में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ज़ोर देकर कहा कि खावड़ा पार्क को मंजूरी देते समय मानदंडों का पालन किया गया था.प्रह्लाद जोशी ने कहा, “हम देश में अक्षय ऊर्जा पैदा करना चाहते हैं. एक तरह से खावड़ा का सवाल इससे जुड़ा हुआ नहीं है, फिर भी मैं यह बताना चाहता हूं कि जब भी किसी परियोजना को अनुमति दी जाती है, तो यह राज्य सरकार, केंद्र सरकार और स्थानीय निकायों के विभागों से उचित मंजूरी और लाइसेंस हासिल करने के बाद ही होता है.”

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