नई दिल्ली। देश भर में वन गोल्ड, वन प्राइस की मुहिम जोर पकड़ रही है और संभव है जल्द ही पूरे देश में इसकी कीमत एक हो जाए। देश में ज्यादातर सोना आयात किया जाता है। यह कीमत एक होती है, लेकिन अलग-अलग हिस्सों में गोल्ड की कीमत ज्वैलरी एसोसिएशन्स तय करते हैं। इससे पूरे देश में गोल्ड की अलग-अलग कीमत होती है। यह स्थिति निवेशकों को गोल्ड में निवेश करने से रोकती है। कुछ ज्वैलर्स की मांग की है कि सरकार को वन नेशन, वन गोल्ड प्राइस लागू करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
देश में हर जगह एक ही गोल्ड कीमत लागू करने की दिशा में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए क्योंकि आयातित गोल्ड की कीमत हर जगह एक है, लेकिन उत्तर के राज्यों और दक्षिण के राज्यों में गोल्ड की बिक्री अलग-अलग कीमतों पर होती है। दोनों के दाम में अंतर होता है। दक्षिण भारत में पिछले कई साल से गोल्ड की कीमतें वाजिब रही हैं। बायबैक सिस्टम भी रहा है। यहां ज्वैलर्स ज्यादा मार्जिन नहीं लेते हैं। उत्तर भारत में ज्वैलर्स ज्यादा मार्जिन वसूलते हैं, जिससे कीमतें काफी बढ़ जाती हैं। ज्वैलर्स से बायबैक रेट भी डिस्प्ले की मांग की जा रही है, क्योंकि री-साइकिलिंग से सोने की शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
भारत में सितंबर तिमाही में गोल्ड की डिमांड 30 फीसदी घट गई। वर्ल्ड काउंसिल के मुताबिक जुलाई से सितंबर के बीच देश में सोने की मांग 30 फीसदी घट कर 88.6 टन पर आ गई। इसके साथ ही इस अवधि में ज्वैलरी की मांग 48 फीसदी घट कर 52.8 टन हो गई। पिछले साल इस तिमाही में गोल्ड की मांग 101.6 टन थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक जुलाई से सितंबर महीने में ज्वैलरी की मांग 29 फीसदी घट कर 24,100 करोड़ रुपये की रह गई। हालांकि इस दौरान गोल्ड में निवेश के लिए सोने की डिमांड 33.8 टन रही। पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान निवेश के लिए सोने की डिमांड 22.3 टन रही थी