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बस्तर में पुलिस गोलीचालन की उच्च न्यायालय के न्यायधीश से जांच कराए सरकार

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दोषी अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग*
 *छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री स्वयं घटना स्थल का निरीक्षण कर आदिवासियों से चर्चा करें* 
        *_-डॉ सुनीलम_* 
      *50 लाख रुपये मुआवजा राशि और नौकरी देने की मांग*

दुनिया फिलिस्तीन में इजराइल द्वारा किया जा रहा नरसंहार देख रही हैं । फिलिस्तीनी इजराइली कब्जे को हटाने के लिए 1948 से संघर्षरत हैं। यह हज़ारों किलोमीटर दूर हो रहा है, जिससे पूरी दुनिया चिंतित है।       भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर के जंगलों में अर्धसैनिक बलों द्वारा कैम्पों के नाम पर आदिवासी किसानों की जमीन पर  किये जा रहे कब्जे के खिलाफ ग्रामवासी द्वारा अहिंसक विरोध किया जा रहा है क्योंकि कैम्प बनने के बाद आदिवासियों का जंगल में निस्तार के लिए जाना और जानवरों को ले जाने पर तमाम बंदिशें लग जाती हैं। तब विरोध को कुचलने के लिए अर्धसैनिक बल ग्रामीणों को माओवादी बतलाकर निहत्थे आदिवासियों का नरसंहार किया जाता है।       17 मई को जो कुछ हुआ वह संलग्न वीडियो में  देखा जा सकता है। 

       इस पुलिस फायरिंग में 3आदिवासी मारे गए है, 6 लापता हैं तथा गोलियों से 18 आदिवासी घायल हैं।  पुलिस अधिकारी स्वयं यह आंशिक तौर पर स्वीकार कर रहे हैं।
किसान संघर्ष समिति – जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय इस बर्बर एवम् कायराना पुलिस गोलीचालन  की निंदा करती है।जब कैम्प लगाने का विरोध किया जा रहा था ,इसके बावजूद 12 मई को कैम्प क्यों जबरजस्ती स्थापित किया गया? 13 मई से आदिवासियों ने विरोध स्वरूप धरना शुरू किया  । अफसरों ने बातचीत करने की बजाय विरोध करने वालो को सबक सिखाने के लिए 17 मई को फायरिंग क्यों की ? पुलिस अधिकारी 6 लापता आदिवासियों के बारे में तथा घायलों की वास्तविक स्थिति से ग्रामवासियों को अवगत कराने को क्यों तैयार नहीं है ?समिति  छत्तीसगढ़ सरकार से गोली चालन के दोषी अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने, मृतकों के परिवारजनों को 50 लाख मुआवजा राशि और एक सदस्य को नौकरी देने तथा गोली चालन की उच्च न्यायालय के न्यायधीश से  न्यायिक जांच कराने की मांग करती है।किसान सँघर्ष समिति के अध्यक्ष एवम् पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने यह बयान जारी करते हुए मुख्यमंत्री से स्वयं घटना स्थल का निरीक्षण कर ग्रामीणों से मिलकर  तथ्यों का स्वयं अवलोकन करने तथा मानव अधिकार संगठनो से फैक्ट फाइंडिंग कमिटी भेजकर आम जन को वास्तविकता की जानकारी अविलंब उपलब्ध कराने की  अपील की है।

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