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पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत की मौत से क्या दफन हो जाएंगे व्यापम के राज, अब तक 50 से ज्यादा मौत

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मध्य प्रदेश के शिक्षा जगत में हुए सबसे बड़े घोटाले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की मौत के बाद अब कई राज दफन हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में सीबीआई को सौंपा था इस घोटाले की जांच का जिम्मा.

मनोज राठौड़

भोपाल. मध्य प्रदेशके शिक्षा जगत में अब तक के सबसे बड़े घोटाले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की मौत के साथ अब कई राज दफन हो चुके हैं. अब तक व्यापम घोटाले से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई को 9 जुलाई 2015 को सौंपी गई थी. सीबीआई ने कुल 185 प्रकरणों की जांच की, जिनमें 24 संदिग्ध मौत के मामलों में 15 पीई दर्ज की गई थी. इन सभी मामलों को हत्या मानकर जांच की गई थी, हालांकि जांच में बहुत कुछ निकल कर सामने नहीं आया.

मध्य प्रदेश सपा के प्रवक्ता यश यादव ने कहा है कि व्यापम घोटाले में शामिल 50 से ज्यादा आरोपियों की मौत हो चुकी है. प्रवक्ता यादव ने कहा कि घोटाले के समय तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी अब दुनिया में नहीं रहे. कई राज वह अपने सीने में दफन कर चले गए. भाजपा ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता भी बाहर किया था.

अब तक 50 से ज्यादा मौतें

व्यापमं पर जब बहस गर्म थी. तब एक-एक कर 49 लोगों की मौत हो गई. लक्ष्मीकांत शर्मा के निधन के साथ यह मौत का आंकड़ा 50 से ज्यादा पहुंच गया है. हर मौत के पीछे की अपनी एक कहानी थी, जिसे हर कोई जानना चाहता था. जांच एसटीएफ से लेकर सीबीआई तक के पास आई, लेकिन गुत्थी सुलझ न सकी. भोपाल के एक निजी अस्पताल में लक्ष्मीकांत शर्मा का निधन हुआ. डॉक्टरों ने बताया कि लक्ष्मीकांत शर्मा को बाईलेटरर सीवियर कोविड निमोनिया हुआ था. वह डेढ़ दिन से से वेंटिलेटर पर थे. घोटाले में पहला बड़ा नाम पूर्व श‍िक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का आया था. उनके साथ 100 से ज्यादा आरोपी नाम दर्ज हुए. व्यापमं में तैयार की जा रही चार्जशीट में सिर्फ नेताओं के नहीं, बल्क‍ि बिचौलियों, छात्रों, पुलिसकर्मियों, अभिभावकों के भी नाम दर्ज हैं

यहां से शुरू हुआ मौत का सिलसिला

व्यापम घोटाला का भंडाफोड़ 2013 में हुआ था. इस घोटाले में 1995 की मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड (एमपीपीईबी) की परीक्षा में दाखिले और भर्ती को लेकर बड़े-बड़े लोगों के खिलाफ आरोप लगे. नेताओं और नौकरशाहों से लेकर कारोबारियों के नाम भी इस घोटाले में जुड़े. इस घोटाले में जिनके नाम आए, उनकी किसी न किसी प्रकार से मौत हो गई. मामले में त 2200 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया. व्यापमं के तहत प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़‍ियों की शुरुआत 1990 के दशक से ही शुरू हो चुकी थीं. पहली एफआईआर साल 2000 में छतरपुर जिले में दर्ज हुई.

2004 में खंडवा में 7 केस दर्ज हुए. इसके बाद यह घोटाला बढ़ता चला गया और इंदौर क्राइम ब्रांच ने 2013 में फिर इस घोटाले से जुड़े गिरोह को पकड़ा और बाद में इस मामले को एसटीएफ को सौंपा गया. झाबुआ की मेडिकल छात्रा नम्रता डामोर का शव जनवरी 2012 में उज्जैन जिले में रेलवे ट्रैक पर मिला था. मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेश यादव का नाम भी आया था. 25 मार्च 2015 को शैलेश लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित अपने पिता के सरकारी आवास में मृत पाए गए थे. एक न्यूज़ चैनल के पत्रकार की भी संदिग्ध मौत हुई थी.

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