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शहरों में लाइब्रेरी ख़त्म होती जा रही है वहीं ग्राम राबड़िया में शुरू होने जा रही है लाइब्रेरी

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जैसा कि पिछले दिनों आपसे मुख़ातिब होकर मैंने कहा था कि कोई ज़मीनी काम करने का सपना साकार होने जा रहा है। लगभग 11 वर्षों से ग्राम राबड़िया, तहसील – टोंकखुर्द, जिला – देवास में काम कर रहा हूँ। राबड़िया ग्राम पंचायत के अंतर्गत राबड़िया और सिंदनी दो गाँव है। यहाँ के निवासियों (जिसमें किसान, खेतिहर मज़दूर और अन्य कार्यों में लगे) से मेरे आत्मीय और जीवंत संबंध है। देवास शहर में पुस्तकालय धीरे-धीरे समाप्त हो गए। बहुत मन था बहुत पहले कि देवास की जिला लाइब्रेरी में डेपुटेशन पर चला जाऊँ और उसे समृद्ध करने की कोशिश करूँ। लेकिन उसकी दयनीय हालत देखकर विचार त्याग दिया।कोरोना काल से पहले मेरी इच्छा थी कि ग्राम – राबड़िया में एक पुस्तकालय चालू किया जाए। यह बात मैंने ग्रामवासियों के समक्ष रखी। Sunil Mukati जी ने अपने होली टेकरा चौक वाले मकान में लाइब्रेरी के लिए सहर्ष हाँ कर दी। ऐसे और भी लोगों ने मदद के लिए हामी भरी। हमने एक मीटिंग की कि क्यों न हमारे गाँव की लाइब्रेरी की अपनी खुद की बिल्डिंग हो और इसे हम सब जनसहयोग से बनवाएँ। बस फिर क्या था लोग जुड़ते गए और कारवाँ बनता गया।ये फ़ोटो जो आप देख रहे हैं यह उसी लाइब्रेरी का निर्माण हो रहा है। यहाँ हर उम्र के पाठकों के लिए किताबें, अख़बार और पत्रिकाएँ उपलब्ध रहेंगी। साथ ही यहाँ एक फर्स्टएड अलमारी भी होगी जिसमें प्राथमिक उपचार के लिए दवाइयाँ उपलब्ध होंगी। इस लाइब्रेरी के निर्माण के अक्षय कोठारी जी काफ़ी मदद कर रहे हैं। यह दवाइयों वाली व्यवस्था भी उनकी ओर से ही संचालित होगी। यह एक ऐसा केंद्र होगा जहाँ से कई तरह के काम किये जायेंगे। साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजनों के अलावा किसानों को जागरूक किया जाएगा। समय-समय पर उनके लिए व्याख्यान और कृषि, कानून और उनके अधिकारों से सम्बंधित जानकारी देने के लिए विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा। आसपास के किसानों और ग्रामीणजनों के लिए भी यह केंद्र खुला रहेगा। इस तरह एक समग्र विकास का सपना पूरा करने की कोशिश की जाएगी। धीरे-धीरे इसे स्वचालित करने का प्रयास किया जाएगा। क्योंकि यह ग्रामवासियों की संपत्ति होगी और जनसहयोग से ही चालित होगी। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी भी इसे ठीक से संचालित करने में होगी। इस काम में जो खर्च हो रहा है और मदद मिल रही है उसका लेखा-जोखा मेरे द्वारा रखा जा रहा है। यह पारदर्शी रहेगा और जो कोई इसमें भागीदार है उन्हें इसे जानने का अधिकार रहेगा। जो कोई भी इसमें सहयोग देना चाहते हैं हम उनके आभारी रहेंगे। लेखक साथी किताबों के रूप में मदद कर सकते हैं। जिन साथियों की किताबें प्रकाशित हुई हैं वे भी अपनी किताबें देकर मदद कर सकते हैं।हम सभी चाहते हैं कि हमारे गाँव की यह लाइब्रेरी एक मॉडल बने। ताकि और गाँवों में लोग प्रेरित होकर ऐसे प्रयास करें। आप सोचिए कि हर गाँव में एक लाइब्रेरी हो जब लोग फ्री हों किताबें पढ़ने में अपना मन लगाएँ। आजकल तो बहु-बेटियाँ भी सब पढ़ी-लिखी हैं। उनके लिए लाइब्रेरी से बुक इश्यू हों और वे पढ़ें।टोंकखुर्द तहसील प्लेस है। तहसील परिसर में भी एक कर्मचारियों और जनसहयोग से एक वाचनालय हो तो कितना अच्छा हो। लोग तारीख़-पेशी पर तहसील में घंटो बैठे रहते हैं। वे वाचनालय में बैठे अख़बार, पत्रिकाएँ पढ़ें। जब उनकी पुकार हो तो लाइब्रेरी में हो। सोचिए हर तहसील मुख्यालय पर एक समृद्ध लाइब्रेरी हो तो कितना अच्छा होगा और इन पुस्तकालयों को जनता ख़ुद संचालित करें। ऐसे ही कुछ सपने हैं जिन्हें साकार करने की कोशिश रहेगी।

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