उज्जैन. उज्जैन में लापरवाही की हद देखने को मिली. लापरवाही किसी बड़े बुजुर्ग के साथ नहीं बल्कि एक 8 दिन का दुधमुंहे बच्चे के साथ हुई है. सरकारी अस्पताल चरक भवन में 28 मई को रीना रायकवार प्रसूति हुई थी. रीना ने एक बच्चे को जन्म दिया. धैर्य नामक बच्चे और मां को 4 जून को अस्पताल से
छुट्टी दे दी गई. घर पर ही मां ने बच्चे की आंखों में पीलापन दिखने की बात कही तो फिर से अस्पताल में बच्चे को दिखाने पहुंची, जहां पर डॉक्टर ने बच्चे को पीलिया होने का अंदेशा जताकर उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कर लिया.
6 जून को रात 9 बजे बच्चे को दूध पिलाने के लिए अनाउसमेंट किया गया. रीना रायकवार जब बच्चे को दूध पिलाने एसएनसीयू वार्ड में पहुंची तो बच्चा वार्मर की जगह नीचे जमीन पर पड़ा मिला. इसके बाद तुरंत ड्यूटी डाक्टर और नर्स को इस बात की सुचना दी गयी जिसके बाद वहां मौजूद स्टाफ को इस बारे में पता चला. बच्चे के सिर पर चोट के निशान चरक अस्पताल में इस तरह की लापरवाही की घटना पहली नहीं है बल्कि कई बार इस तरह की घटना बीते दिनों में हुई है. हालांकि अब तक ये सपष्ट नहीं हो पाया है कि धैर्य नीचे जमीन पर कैसे गिरा क्योंकि 8 दिन का नवजात तो पलट भी नहीं सकता. इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि कहीं कोई बच्चा चोरी करने तो नहीं आया था. उसी दौरान बच्चे की मां अंदर आ गई और चोरी करने वाला बच्चे को जमीन पर पटककर चला गया. कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं.
धैर्य के जमीन पर पड़े होने के गंभीर लापरवाही की शिकायत जब उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने इस पूरी घटना को बड़ी लापरवाही मानकर जांच के आदेश दिए हैं. इधर नवजात के पिता रोहित रायकवार ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर मेरी पत्नी सही वक़्त पर वार्ड में नहीं पहुंचती तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.