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दिग्विजय, सिंधिया और सोलंकी को एक साल बाद भी सांसद निधि का एक भी पैसा नहीं मिला….सबसे फिसड्डी इंदौर सांसद शंकर लालवानी

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भोपाल। बीते साल राज्यसभा सांसद बने प्रदेश के तीन नेताओं को एक साल बाद सांसद निधि का एक भी पैसा नहीं मिला है। इसकी वजह से वे पात्रता के बाद भी इस निधि से न तो कोई विकास काम करा पा रहे हैं और न ही कोरोना की भंयकर महामारी में अपनी निधि का कोई उपयोग कर सके हैं। इसकी वजह से उनके द्वारा जो भी मदद की गई है वह अपने पास से ही की गई है। खास बात यह है कि इन तीनों में से दो सांसद दिग्विजय सिंह और सिंधिया प्रदेश के साथ ही देश के भी बड़े नेता माने जाते हैं। यह दोनों ही नेता पूर्व में कई बार सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में वे राज्यसभा सदस्य हैं। इनके अलावा तीसरा नाम सुमेर सिंह सोलंकी का है।
इन तीन में से सिंधिया व सोलंकी भाजपा से तो दिग्विजय सिंह कांग्रेस से सांसद हैं। इन तीनों ही सांसदों को हर साल 2.5 करोड़ रुपए खर्च करने की पात्रता है। गौरतलब है कि प्रदेश में लोकसभा के 29 और राज्यसभा के 11 सदस्य हैं। इसमें खास बात यह है कि प्रदेश के जिन सांसदों की निधि का फंड जारी हो चुका है , वे खर्च के मामले में बेहद कंजूसी बरत रहे हैं। इसकी वजह से बीते तीन माह से कोरोना की लड़ाई लड़ रही प्रदेश की सरकार को इनसे कुछ खास आर्थिक मदद नहीं मिल सकी है। यह बात अलग है कि इनमें से कुछ सांसदों ने अपनी निधि से स्वास्थ्य और अन्य जरुरी सुविधाओं के लिए राशि का आवंटन तो कर दिया है , लेकिन उसमें से अधिकांश राशि अब तक खर्च ही नहीं हो सकी है। इस मामले में सबसे फिसड्डी इंदौर सांसद शंकर लालवानी बने हुए हैं। खास बात यह है कि उनके द्वारा अपनी निधि में से 4.97 करोड़ का आवंटन तो किया गया है , लेकिन उसमें से खर्च महज 19.37 प्रतिशत ही हुआ है। लगभग यही स्थिति कई अन्य सांसदों की भी है। खर्च करने के मामले में सांसद थावरचंद गहलोत, संपतिया उइके, राजमणि पटेल, छतरसिंह दरबार, अनिल फिरोजिया, जनार्दन मिश्रा आगे चल रहे हैं। यह वे सांसद हैं, जिनके द्वारा अपनी निधि में से करीब 90 फीसदी से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है।
खर्च करने में गहलोत ने मारी बाजी
केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य थावरचंद गेहलोत अपनी निधि खर्च करने के मामले में पहले स्थान पर हैं। उनके द्वारा अपनी सांसद निधि में से 96.65 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है। उनकी 10 करोड़ रुपए की निधि में से 9.87 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसी तरह से राज्यसभा सदस्य संपतिया द्वारा 27.5 करोड़ की निधि में से 25.94 करोड़ रुपए क्षेत्र की जनता के हित में जारी किए गए हैं। अन्य सांसदों में राजमणि पटेल ने दस करोड़ में से 9.33 करोड़ खर्च किए हैं। इसी तरह से लोकसभा सांसदों में अपनी निधि से सर्वाधिक खर्च करने वाले सांसदों में जनार्दन मिश्रा ने 4.81 करोड़, अनिल फिरोजिया ने 4.79 करोड़ व छतरसिंह दरबार ने 4.79 करोड़ रुपए सांसद निधि से खर्च किए हैं। इनकी एक साल की निधि पांच करोड़ रुपए है।
सबसे कम खर्च करने वाले सांसद
प्रदेश के 29 में से जिन लोकसभा सांसदों की सबसे कम राशि सांसद निधि से खर्च की गई है, उनमें इंदौर सांसद शंकर लालवानी की 19.37 फीसदी, दुर्गादास उइके की 34.17 प्रतिशत, फग्गन सिंह कुलस्ते की 27.23 प्रतिशत, विवेक नारायण शेजवलकर की 31.01 प्रतिशत, गजेंद्र सिंह पटेल की 33.5 प्रतिशत, रीती पाठक की 22.49 प्रतिशत, वीरेन्द्र कुमार की 37.9 प्रतिशत राशि खर्च किया जाना शामिल है।
पूर्व सांसद की निधि अब खर्च करने की तैयारी
इस मामले में देखा जाता है कि सांसद द्वारा अपनी निधि से काम कराने के लिए आवंटन तो जारी कर दिया जाता है , लेकिन प्रशासन स्तर पर उसमें लापरवाही बरती जाती है , जिसकी वजह से आवंटित की गई राशि बेहद देरी से खर्च की जाती है, जिसकी वजह से कई कामों का जनता को समय पर लाभ नहीं मिल पाता है। इसका उदाहरण भोपाल नगर निगम है। निगम द्वारा हाल ही में उनके कामों के टेंडर जारी किए गए हैं जिनके लिए पूर्व भोपाल सांसद आलोक संजर द्वारा बजट का आवंटन किया गया था।

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