भाजपा और भाजपा के सहयोगी दलों के नेताओं को किसानों के विरोध और सामाजिक बहिष्कार का सामना आगे भी करना पड़ेगा – यह किसानों की गरिमा और अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई है: संयुक्त किसान मोर्चा*
*टोहाना और उससे पहले हिसार में किसान की जीत ने आंदोलन को मजबूत करने का काम किया है।*
प्रधानमंत्री जी ने कल राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहीं भी तीनों कृषि कानूनों और देश में चल रहे किसान आंदोलन का जिक्र तक नहीं किया। आंदोलन में अब 500 से ज्यादा किसान साथी शहीद हो चुके हैं। जहां एक तरफ देश का किसान बाजार में मिल रही कम कीमतों के कारण भारी नुकसान उठा रहा है, दिक्कत में है. वहीं सरकार सिर्फ और सिर्फ अपने अहंकार के कारण इस आंदोलन को इतना लम्बा खींच रही है। पंजाब में मक्के का एमएसपी रु. 1850/- प्रति क्विंटल घोषित है लेकिन किसान को सिर्फ रु. 700 से रु. 800 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल रहा है। यह उनकी लागत मूल्य तक को भी कवर नहीं करता है। अन्य चीज़ो के साथ डीजल की कीमतों में वृद्धि अभी भी जारी है। इस तरह की स्थिति में कैसे एक किसान परिवार किसानी पर निर्भर रह पाएगा है, अपना जीवन निर्वाह करेगा? प्रश यह है कि ऐसी स्थिति में सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को कैसे पूरा करेगी? संयुक्त किसान मोर्चा सभी फसलों और किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए तत्काल एक कानून की मांग करता है, ताकि फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके।
चल रहे किसान आंदोलन के ‘टोहाना प्रकरण’ में आज सुबह मक्खन सिंह को रिहाई मिल गई। कुछ तकनीकी कारणों के कारण उन्हें कल रात रिहा नहीं किया गया था, हालांकि यह उम्मीद की जा रही थी कि कल शाम टोहाना पुलिस स्टेशन में विरोध प्रदर्शन बंद होने पर वह बाहर आएंगे। मक्खन सिंह की रिहाई के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने तीनों गिरफ्तार साथियों को रिहा करा लिया है।
टोहाना और उससे पहले हिसार में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसान की जीत ने आंदोलन को मजबूत करने का काम किया है। टोहाना प्रकरण ने एक बार फिर धार्मिक और जातिगत रेखाओं से ऊपर उठ कर किसानों की एकता और सामूहिक ताकत का उदाहरण दिया है। इसने आंदोलन के मजबूत नेतृत्व को भी दिखाने का काम किया है। इस संघर्ष में हरियाणा के किसानों को पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों का भी समर्थन था। बीते दिनों में किसी पुलिस थाने में यह शायद सबसे अधिक संख्या में आंदोलनकारियों द्वारा किया गया प्रदर्शन रहा है, जिसमें प्रदर्नकारी अपने साथियों को जिन्हे चोर दरवाजे से गिरफ्तार किया गया था, की रिहाई के लिए खुद जेल में बंद होने के लिए तैयार थे। गौरतलब है कि हरियाणा पुलिस और निर्वाचित नेताओं के निरंकुश व्यवहार को किसान आंदोलन एक ठोस चुनौती देने में सक्षम रहा।
सरकार न केवल देश में चल रहे किसान आंदोलन को बल्कि उसके समर्थकों की आवाज को भी दबाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार के आदेशों पर ट्विटर ने पंजाबी-कनेडियन सिंगर जैज़ी बी का ट्विटर अकाउंट ब्लॉक कर दिया है, वे किसान आंदोलन के प्रबल समर्थक रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि सरकार इस रणनीति का प्रयास कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार को इस तरह अलोकतांत्रिक रूप से विरोध की आवाज को दबाने के बजाय किसानो की मांगो को जल्द मान लेना चाहिए, साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को यह चेताया कि किसान आंदोलन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए सरकार कोई अवैध व नासमझी भरे कदम न उठाएं।
विभिन्न राज्यों में भाजपा और जजपा के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार जारी है। पंजाब के बरनाला में भाजपा नेता गुरतेज सिंह ढिल्लों को आज प्रदर्शन कर रहे किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा, जैसे ही ढिल्लों ने देखा कि किसान उसकी तरफ आ रहे है तो वह अपने पुलिस सुरक्षा के साथ सभा स्थल से भाग गए, लेकिन उनका कार एक स्थानीय किसान नेता की मोटरसाइकिल से टकरा गया, जिस के कारण किसान और ज्यादा नाराज हो गए, एसकेएम ने कहा, “यह किसानों की गरिमा और अस्तित्व की रक्षा के लिए विरोध प्रदर्शन हैं। किसानों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी और अपमान कभी भी स्वीकार्य नही होगा।”
हिमाचल प्रदेश में, भाजपा नेता और पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा। उना में किसानों के खिलाफ राजनेता द्वारा दिए गए कुछ विवादास्पद बयानों के खिलाफ किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया। प्रदर्शनकारियों द्वारा एक अल्टीमेटम जारी किया गया था कि अगर भाजपा नेता दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन के बारे में अपनी अपमानजनक टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगते हैं और बयान वापस लेते हैं, तो उन्हें तीव्र विरोध का सामना करना पड़ेगा। हिमाचल के किसान नेताओं ने राज्य के भाजपा नेताओं को उनके खिलाफ अभियान तेज करने और सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दी ।
पंजाब भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी ने पार्टी नेतृत्व द्वारा किसानों के विरोध प्रदर्शन से निपटने के तरीके की आलोचना की है, वह किसानों के समर्थन में बोलने वाले पहले बीजेपी के पहले नेता नहीं हैं, बीजेपी अपनी ही नेता और सहयोगी दलों की आवाजों और सलाह की लगातार अनदेखी कर रही है।
इसी बीच मोहाली में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की गई, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के पांच-पांच प्रदर्शनकारी आंदोलन की मांगें पूरी होने तक भूख हड़ताल पर बैठेंगे, यह भूख हड़ताल उत्पादकों और उपभोक्ताओं की एकता को प्रदर्शित करेगी।
राजस्थान में, पंजाब, हरियाणा और यूपी के कई स्थानों की तरह, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अन्य स्थानों पर किसानों ने विरोध प्रदर्शन करके टोल प्लाजा को मुक्त कर दिया था, टोल प्लाजा को फिर से शुरू करने के प्रशासन के प्रयासों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जैसा कि कल हनुमानगढ़ में हुआ।
2017 में तमिलनाडु में किसानों द्वारा एक विरोध प्रदर्शन की घटना में, वहां के उच्च न्यायालय ने कहा कि किसानों की वैध आवश्यकता (मदुरै के पास मेलूर में सिंचाई के पानी के लिए) के लिए इस तरह के विरोध को गैरकानूनी सभा के रूप में नहीं माना जा सकता है।
गौरतलब है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 2017 के बाद से किसानों के विरोध में पांच गुना वृद्धि हुई है। सीएसई के अनुसार इन विरोधों का मुख्य कारण बाजार की विफलता और किसानों के लिए लाभकारी या उचित मूल्य की कमी है। सरकार को तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसानों की मांगों को जल्द से जल्द मानना चाहिए और सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए एक नया कानून जल्द से जल्द बनाना चाहिए।
इस दौरान हरियाणा के कई युवा किसान आज (RKMS बैनर के तले) प्रदर्शन स्थलों पर शामिल हुए, आज सुबह सभी साथियों का चार पहिया व दो पहिया वाहनों का बड़े काफिले सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे।
*जारीकर्ता*- बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहर