उमेश तिवारी
कॅरोना की दूसरी लहर की तबाही की हकीकत जो जानकारों की जुटाई जानकारी से सामने आई है उससे मोदी सरकार की लापरवाही उघार होती है। कोरोना वायरस से देश के तमाम इससे बुरी तरह प्रभावित हुए है हर तरफ हाहाकार रहा है। मौत को रोकने और कोविड को रोकने में मोदी सरकार असफल रही है। कॅरोना की दूसरी लहर में सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था के सच सामने आ गए हैं। ज्यादातर मौतें कॅरोना से नहीं समय पर इलाज न मिलने के कारण हुई हैं। कॅरोना से लड़ने के लिए सरकार ने 35000 करोड रुपए के बजट को स्वीकृत देने के बावजूद मोदी सरकार ने अप्रैल तक भारत या भारत के बाहर की कंपनियों को टीका खरीदने का आर्डर नहीं दिया गया जबकि साल भर में अमेरिका ने 130 करोड़ टीके के ऑर्डर दिए थे तब जब उसकी आबादी 39 करोड़ है, ब्रिटेन जिसकी आबादी 7 करोड़ है उसने 45 करोड़ टीके का आर्डर दिया, कनाडा ने आबादी के हिसाब से इतना अधिक आर्डर दिया कि एक एक व्यक्ति को 10 टीके उपलब्ध हो गए कनाडा की आबादी 3.5 करोड़ है और टीका ऑर्डर दिया 35 करोड़ का। भारत ने पिछले साल कोई ऑर्डर नहीं दिया। जब दुनिया के कई देश टीके की रिसर्च और विकास में पैसा लगा रहे थे, कंपनियों से टीका खरीद रहे थे, मुफ्त बांटने की रणनीति बना रहे थे तब मोदी सरकार भारत की ही कंपनियों में एक पैसा नहीं लगाया। हां जब मार्च महीने में कॅरोना की दूसरी लहर पैर फैला रही थी तब टीकोत्सव मनाया गया भोज आयोजित किया गया और कहा गया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है। हमारे देश मे पास अभी तक 25 करोड़ लोगों को टीका देने को नहीं है। जहां अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा में उनकी आबादी से अधिक टीका खरीदा गया वह ऐसे प्रपोगंडा का दावा नहीं किये।
*घड़ियाली आंसुओं में प्रवाहित की जा रही मौतों की गिनती।*
जवाबदेह अपनी अदूरदर्शिता और निकम्मेपन से हुई मौतों पर घड़ियाली आंसू बहा कर जहां पीड़ितों की रहनुमाई की विज्ञापनबाजी कर रहे है वहीं मौतों की संख्या छुपाकर पीड़ितों को राहत से वंचित किया जा रहा है। पाकिस्तन, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, किसी भी पडोशी देश मे भारत से ज्यादा मृत्य दर नही है। जब दुनियां टीका बनाने में लगी थी मोदी जी ताली, थाली, मोबाइल की फ्लैश लाइट जलवाने की नौटन्की में लगे थे। लगभग 2 महीने में सरकारी आंकड़े में 3.50 लाख लोगों के मरने की बात बताई जा रही है , न्यूयार्क टाइम्स का कहना है भारत मे 42 लाख लोग मारे है। गंगा सहित अन्य नदियों में बहती लास और रेत में कई किलोमीटर तक दफनाई लास इस खबर को सच सावित करती है। *आहों के अम्बार लगे हैं, आंसू के बाज़ार लगे हैं। जब आहें ग़ुस्से में ढलेंगी और उठेगी देस की जनता हाथ में अपने परचम ले कर, तब ये तांडव नाच रुकेगा।* *उमेश तिवारी सीधी (म.प्र.)*