नई दिल्ली
कोवैक्सिन को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि उसमें बछड़े का सीरम मिलाया गया है। आरोप कांग्रेस नेता गौरव पांधी ने एक RTI रिपोर्ट के हवाले से लगाया। हालांकि भाजपा और सरकार ने इससे इनकार किया है। कोवैक्सिन निर्माता भारत बायोटेक ने भी कहा कि फाइनल डोज में इस सीरम का इस्तेमाल नहीं किया है। भास्कर ने इस मुद्दे की पड़ताल के लिए बात की इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डॉ. मनोज मुरेहकर से। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी चेन्नई के डायरेक्टर डॉ. मनोज ने इस सारे विवाद को प्रोपेगैंडा करार दिया है। पढ़िए सवालों पर उनके जवाब…
सीरम को लेकर ये आरोप है कि बिना लोगों की जानकारी के इसे इस्तेमाल किया गया है?
अगर कोवैक्सिन में सीरम का इस्तेमाल किया भी जाता है तो ठीक है। इसमें क्या प्रॉब्लम है। आदमी का भी ब्लड लेते हैं तो उसमें भी ब्लड ही लिया गया है, उसे मार तो नहीं दिया।
सीरम के इस्तेमाल करने के आरोप पर आपका क्या कहना है?
यह सब बेकार की बातें उठाई गई हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई मुद्दा है। इस मामले में कोई तथ्य नहीं है। इसे बेकार में तूल दिया जा रहा है। मैं यही कहूंगा कि वैक्सीन लेना जरूरी है। इस तरह की बातें फैलाने से लोग वैक्सीन नहीं लेंगे। वैक्सीन लेने से ही मौत कम होगी और लोग हॉस्पिटल से बचे रहेंगे। इसी तरह कोरोना पर काबू पाया जा सकेगा।
आप इस मामले पर देश की जनता को क्या कहना चाहेंगे?
इस तरह का भ्रम फैलाने की बजाय वैक्सीन लेनी चाहिए। धार्मिक भावनाओं से जोड़कर यदि लोगों को कोई डराएगा तो 10 में से 2 लोग वैक्सीन लगवाने से मना करेंगे। हमें वैक्सीनेशन प्रोग्राम को बढ़ाना है, इन गलत बातों को नहीं। वैक्सीन की अच्छाई के बारे में हमें सबको बताना है।
ऐसे मामलों को क्यों तूल दिया जा रहा है?
मैं ज्यादा बोलना नहीं चाहता हूं। ये सबको पता है कि चुनाव आ रहा है, उसकी वजह से ही ये सब चल रहा है। ये सब वैक्सीन कार्यक्रम के लिए अच्छा नहीं है। भारत में पहले ही वैक्सीन कम लग रही है। आगे अगर ऐसी बातें फैलाई जाती हैं तो ये बुरी बात है। देश की जनता से यही कहना चाहता हूं कि वैक्सीन लेनी चाहिए। आंख बंद करके सभी लोग वैक्सीन जरूर लें।