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देखो ऐ दीवानो, तुम ये काम ना करो राम का नाम बदनाम ना करो

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हनीफ इंदौरी

राम नाम की लूट है , लूट सके तो लूट

राम नाम की लूट है , लूट सके तो लूट , 

अंत समय पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट  , 

ये कहा है कबीर दास जी ने इस दोहे में बड़े गूढ़ अर्थ छिपे हुए हैं ,जो हमें समय रहते प्रभु सुमिरन करने की हिदायत दे रहे हैं । बहुत सीधा और सरल संदेश है । 

ये सदा बहार वचन हैं , जिनका अर्थ हमने स्कूल के दिनों में पढ़ा , समझा , मास्टरजी ने समझाया था कि राम नाम की लूट समय रहते ही कर लो , अर्थात सुमिरन करने से तात्पर्य है  समय रहते , ताकि जब अंत समय आए तो पछताना न पड़े कि राम नाम भी न जप सके , खाली हाथ न जाएं  हम दुनिया से , कुछ सुमिरन हो प्रभु का साथ में , कुछ शान्ति की प्रतीति हो , कुछ अहो भाव हो कि मनुष्य योनि में जीवन जी कर जब देह त्यागी तो कुछ सुमिरन कर के विदा हुए दुनिया से , कुछ भक्ति भी की ,  इसी की तरफ इशारा है ये कि राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट । 

लेकिन कुछ दुष्ट आत्माओं ने इसे ठीक से समझा नहीं , या तो उन्हें शिक्षा नहीं मिली या फिर वो किसी ज्ञानी शिक्षक के सानिध्य से वंचित रहे होंगे  इसलिए उन्होंने राम नाम की लूट का मतलब कुछ और लगा लिया , यानी अर्थ को अनर्थ समझ लिया  । 

इसका अर्थ शायद उन्होंने सीधा सीधा लगा लिया है कि राम के नाम पर लूट कर लो , बाद में पछताने से अच्छा है , कि समय रहते लूट कर लो ।

पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं सभी न्यूज़ चैनलों पर कि प्रभु श्री राम के मंदिर के लिए जो आस पास की जमीन खरीदी जा रही है उसमे कुछ ऐसी ही लूट के खुलासे करते दिख रहे हैं कुछ नेता कि , किस तरह दो लाख की जमीन ढाई करोड़ की हो कर बिक गई मात्र तीन महीनों में , और किस तरह दो करोड़ की साढ़े अठारह करोड़ की हो गई ,सत्य क्या है जांच करने से ही सामने आएगा ।

खैर 

मन बहुत आहत हो गया है कि हम किस नैतिक पतन को प्राप्त हो गए हैं कि मंदिर के लिए जमीन खरीदी में भी अवसर तलाश कर के उसे भुना रहे हैं , अरे हमारे पूर्वजों ने तो मंदिर के लिए , मस्जिद के लिए मुफ्त दान की हैं जमीन और आज भी ये सिलसिला जारी है , यही हमारी महती परम्परा रही है । ठीक है आज के युग में जमीन मंहगी है , हर किसी के वश का नहीं दान में देना तो मुनासिब कीमत लेे कर दे दें ये भी ठीक है लेकिन इसमें भी धोका धड़ी हो गई हो तो ये शर्म नाक है।

ये पैसा देश के करोड़ों गरीबों की मेहनत कि कमाई है जो श्रद्धा से मंदिर निर्माण के लिए सारे देश से इकठ्ठा हुआ है । 

इसका एक एक पैसा प्रभु के नाम पर दिया गया है ।

इस पैसे को लेनेवाले हर हाथ को ये जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए कि इसका दुरुपयोग न कर सके कोई भी , मंदिर निर्माण होना चाहिए भव्य मंदिर निर्माण लेकिन मंदिर के नाम पर मिले चंदे का एक पैसा भी किसी की जेब में न जाए ये भी सुनिश्चित होना चाहिए ।

इसके लिए तुरंत जांच हो कि क्या सत्य है क्या असत्य है । 

कहीं बार बार हर विषय पर भ्रम फ़ैलाने वाले इस विषय पर भी तो भ्रम नहीं फैला रहे हैं ? कोई राजनीतिक रोटी तो सेकने के चक्कर में नहीं है रामजी के नाम पर ? कोई अपना स्वार्थ सिद्ध करने के प्रयास में तो नहीं है मंदिर के नाम पर ? क्या चल रहा है जमीनों के हेर फेर में ये तुरंत देखा जाना चाहिए ।

विषय गंभीर है , मुझे ज्यादा बोलना भी नहीं चाहिए इसलिए इतना ही ।

इतना तो हर देश वासी को बोलने का हक भी है और बड़े मुखिया जी से निवेदन करने का भी , सो मेरा भी निवेदन है ये । देखो ऐ दीवानो, तुम ये काम ना करो  

राम का नाम बदनाम ना करो, बदनाम ना करो 

हनीफ इंदौरी 

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