शशिकांत गुप्ते इंदौर
कोरोना वीर एक शाब्दिक खिताब है।वाकई कोरोना की जंग जीतना आसान नहीं है।कोरोना की जंग जीतना आजादी की जंग जीतने जैसा ही संघर्ष है।कोरोना महामारी के दौरान हम भारत वासियों ने सरकार को हरसम्भव पूर्ण सहयोग किया है और करतें रहेंगे। दवाई और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के साथ ऑक्सीजन गैस की कमी को बर्दाश्त किया।
शासन के अंतर्गत कार्य करने वाले प्रशासन के पास ऑक्सीजन को वितरण करने की व्यवस्था का अभाव देखतें हुए स्वयं अपने कांधो पर ऑक्सीजन सिलेंडर उठाकर प्रशासन को सहयोग किया।बहुतायत में चिकित्सको ने दिन रात एक कर अथक प्रयास किया।दवाईयों के निर्माताओं,वितरकों,विक्रेताओं,चिकित्सालयों और चिकित्सको ने आपसी सामंजस्य स्थापित कर आपस में समन्वय बनाकर देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर होने बचाने का यथासम्भव प्रयत्न किया है।शासन को आर्थिक सहयोग करने के लिए चिकित्सा सुविधाएं और दवाइयों की कीमत में मनमाना नहीं मन से इजाफा किया है। उनके द्वारा किए गए इस कृत्य से मन की बात के महत्व का समर्थन भी हो गया। चिकित्सा व्यापार क्षमा करना व्यापार नहीं चिकित्सा व्यवसाय में सलंग्न लोगो ने अचल संपत्ति के कारोबार को मंदी से बचाने के लिए कीमती अचल सम्पतियों का क्रय किया है यह बात सार्वजनिक क्षेत्र में चर्चित है?
।इस कारण शासन को भी राजस्व की आय निश्चित ही हुई होगी ऐसा मानने में कोई हर्ज नहीं है?उत्तर भारत के निवासियों ने काष्ठ की बचत करतें हुए पर्यावरण के रक्षणार्थ अपने सगे सम्बंधियो के मृत शरीर को जल समाधि दी।बहुत से लोगों पंचतत्वों में एक तत्व भूमि के महत्व को समझतें हुए अपने परिजनों के मृत शरीर को भूमि में समर्पित कर रामनामी चादर से ढाक कर राम नाम ही अंतिम सत्य है,इस सूक्ति की पुष्टि की है।बहुत से देश वासियों ने आदतन नकली दवाई बनाकर यह सिद्ध कर दिया कि, हम है कमाल के।हम से बढ़ कर कौन? फिल्मों में सब काल्पनिक होता है।इन लोगों ने यथार्थ में असली की हूबहू नकल करने की अपनी गुणवत्ता को प्रमाणित किया है।अपना देश धर्मावम्बली देश है।
कोरोना के संक्रमण की तीव्रता के चलतें और कोरोना के संक्रमण की परवाह किये बगैर,अपने देश की कार्यप्रणाली में कुम्भ जैसे पवित्र पर्व को सम्पन्न करने अनुमति सहर्ष प्रदान की।जिस सूबे में कुम्भ सम्पन्न होने वाला था उस सूबे के मुखिया ने डंके की चोट पर ऐलान किया कि, माँ गंगा में नहाने से मजाल है कोरोना किसी को स्पर्श भी करें।इसे कहतें हैं आत्मविश्वास के साथ आस्थावान होने का प्रमाण?
कोरोना महामारी को महजबी रंग देने की नाकामयाब कोशिश को न्यायपालिका ने खारिज ही कर दिया।उपर्युक्त स्थिति का विश्लेषणात्मक अध्ययन करने के बाद यह बात गर्व से की जा सकती है कि जो देश वासी कोरोना के संक्रमण की चपेट में आने के बाद भी जीवित हैं वे सभी वास्तव में कोरोना वीर है।सभी कोरोना वीरों को सलाम है।एक व्यावहारिक सलाह है।जो एनकेनप्रकारेण कोरोना से बच गए हैं वे स्वयं अपने आपको कोरोना वीर के सम्मान से सुशोभित कर ले।यह पहल भी सरकार के लिए सहयोगी ही सिद्ध होगी।
शशिकांत गुप्ते इंदौर