जबलपुर. जबलपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी एक मोटर मैकेनिक, ड्राइवर और टैक्नीशियर की तिकड़ी कर रही थी. इस रैकेट में कुछ डॉक्टर भी शामिल थे. मरीज़ों के लिए संजीवनी बने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी के केस में लगातार नये खुलासे हो रहे हैं. जबलपुर नकली इंजेक्शन और कालााज़ारी का हब बन गया था. 19 अप्रैल को इस रैकेट का खुलासा हुआ था जब यहां दो लोगों को पकड़ा गया था.
मध्यप्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का जो खेल शुरू हुआ था उसमें अब परत दर परत खुल रही हैं. जबलपुर एसटीएफ ने जब 19 अप्रैल को सुधीर सोनी और राहुल विश्वकर्मा नाम के दो लोगों को इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए गिरफ्तार किया था. तब पुलिस को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह खेल कहां तक जाएगा. गिरफ्त में आए आरोपियों से जब पूछताछ की गई तो फिर इसमें डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, लैब ऑपरेटर और यहां तक कि जिला अस्पताल के एक डॉक्टर की गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर भी शामिल मिला.
मोटर मैकेनिक, टैक्नीशियन और ड्राइवर की तिकड़ी
पुलिस के मुताबिक मुख्य आरोपी और इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड सुधीर सोनी एक मोटर मैकेनिक है. उसने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी डॉक्टरों के साथ मिलकर शुरू की थी. इस मामले में निजी अस्पतालों के 4 डॉक्टर शामिल हैं. मेडिकल अस्पताल के एक लैब टेक्नीशियन की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी. वो रेमडेसिविर इंजेक्शन की फर्जी पर्ची बनाकर दूसरे लोगों का आधार कार्ड इस्तेमाल कर सांसद कोटे से जिला अस्पताल से निशुल्क इंजेक्शन निकलवाता था. इसकी मदद एक डॉक्टर का ड्राइवर करता था.
8 आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में अब तक सुधीर सोनी, राहुल विश्वकर्मा बिचौलिया राकेश मालवीय, फर्जी डॉक्टर नीरज साहू, जितेंद्र कुमार, नरेंद्र ठाकुर और नागपुर के एक हॉस्पिटल में काम करने वाली डॉक्टर संगीता पटेल को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही पुलिस ने जिला अस्पताल में एक चिकित्सक की गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर आनंद पटेल को भी गिरफ्तार कर लिया है.
5 आरोपियों पर NSA
एसटीएफ ने अब तक गिरफ्तार किए गए 8 आरोपियों पर धारा 420 समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. अब तक पांच आरोपियों पर एनएसए भी लगाया जा चुका है. पुलिस का कहना है रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का रैकेट जबलपुर के साथ नरसिंहपुर, मंडला, छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में भी फैला है.
25 हजार में एक इंजेक्शन
कोरोना मरीज़ों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन चमत्कार की तरह है. लेकिन इन दरिंदों ने मौत के मुंह में जा रहे मरीज़ों की जिंदगी का सौदा भी कालाबाजारी करके किया. ये गिरोह एक इंजेक्शन 20 से 25 हजार में बेच रहा था. इस रैकेट में अभी और भी खुलासे होना बाकी हैं लेकिन एक बात तो साफ हो चुकी है की इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले यह लोग नर पिशाच से कम नहीं हैं क्योंकि इन आरोपियों की इस हरकत से न जाने कितने मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा होगा.