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कांग्रेस-बीजेपी को किसका है इंतजार, साल भर में भी तय नहीं हो पाए नेताओं के नाम

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इंदौर\मध्य प्रदेश में अरसे से टल रहे नगरीय निकाय चुनाव की . तारीखों का ऐलान अब कभी भी हो सकता है, लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े और सक्रिय जिले इंदौर में दोनों बड़े दलों बीजेपी और कांग्रेस संगठन सुस्त पड़ा हुआ है. बीजेपी जिलाध्यक्ष एक साल बाद भी अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए हैं. यही हाल कांग्रेस का भी है. उसकी कार्यकारिणी साल भर से भंग पड़ी है. दोनों दल स्थानीय स्तर पर अपने पदाधिकारी तय नहीं कर पा रहे हैं. पदाधिकारी न होने के कारण संगठन सुस्त पड़े हैं.

प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहले ही प्रदेश स्तर पर राजनैतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. प्रदेश स्तर के नेताओं ने स्थानीय इकाइयों के लिए कार्यक्रम भी तय कर दिए हैं. लेकिन इंदौर में स्थानीय स्तर पर संगठन पदाधिकारी नियुक्त न होने से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में सुस्ती दिख रही है. करीब सवा साल पहले बीजेपी ने अपने नगर और जिलाध्यक्ष तय कर दिए थे. लेकिन वो आज तक अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए हैं. इसी तरह एक साल पहले कांग्रेस ने अपनी शहर कार्यकारिणी भंग कर दी थी उसके बाद से नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया है.

नेता हैं नहीं, लेकिन कार्यक्रम तय
कोरोना काल जाने के बाद अब राजनैतिक दल नगरीय निकाय चुनावों पर अपना फोकस कर रहे हैं. यही वजह है बीजेपी ने अपने 15 दिन के कार्यक्रम तय कर दिए हैं. इसमें जिले के सभी बूथों पर स्वच्छता अभियान, हर बूथ पर 11 पेड़ लगाने, 312 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक जल स्त्रोतों को सहेजने और उनकी सफाई के कार्यक्रम शामिल हैं. ये कार्यक्रम 31 जुलाई तक चलेंगे. कांग्रेस ने भी दस दिनों के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक तय कर दिए हैं.

सिंधिया का दबाव!
इंदौर में कांग्रेस और बीजेपी के शहर और जिले के पदाधिकारी ही नहीं बने हैं. ऐसे में दोनों दल पशोपेश में हैं कि वे किसे पार्टी की गतिविधियों के संचालन का जिम्मा सौपें. हालांकि बीजेपी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे का कहना है वे जल्द ही अपनी कार्यकारिणी घोषित कर देंगे. उसमें नगर उपाध्यक्ष से लेकर महामंत्री और बाकी पदाधिकारी शामिल रहेंगे. जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर का कहना है उनकी कार्यकारिणी भी लगभग तैयार है. कोरोना काल की वजह से वे इसे घोषित नहीं कर पाए और इसी हफ्ते वो अपने पदाधिकारियों की सूची जारी कर देंगे. कार्यकारिणी में सिंधिया समर्थकों को भी शामिल करने का दबाव है शायद यही वजह है कि वे इसे जल्द घोषित नहीं कर पा रहे हैं.

पहले रेवड़ी बंटी, फिर भंग कर दी कार्यकारिणी
कांग्रेस का भी हाल कुछ ऐसा ही है. विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने पदों की जमकर रेवड़ियां बांटी थीं. उसके बाद उनकी सरकार भी बन गई लेकिन जब पदों का दुरुपयोग होने लगा तो एक साल पहले शहर और ग्रामीण की कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया. लेकिन अब नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को भी जनता के बीच जाना है. कांग्रेस ने भी प्रदेश स्तर पर कार्यक्रम तय कर दिए हैं. इनमें कोरोना की वजह से हुई मौतों का घर घर सर्वे करके हकीकत जनता के सामने लाने और डीजल पेट्रोल की मूल्य वृ्द्धि का विरोध गांवों तक ले जाने जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. ऐसे में पदाधिकारियों की भी जरूरत है. इसलिए कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने भी अब जल्द कार्यकारिणी घोषित करने की बात कही है.

बड़े नेताओं की नजर
प्रदेश की आर्थिक राजधानी होने की वजह से पार्टी के बड़े नेताओं की नजरें भी इंदौर पर रहती हैं. वे शहर की राजनीति में अपना दखल भी रखना चाहते हैं. इसीलिए वे अपने लोगों को स्थानीय स्तर पर पद दिलवाने के लिए जोर लगाते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे बड़े दल भी अपनी कार्यकारिणी जल्द घोषित नहीं कर पाए लेकिन अब नगरीय निकाय चुनाव निकट देख दोनों दलों को अपनी कार्यकारिणी जल्द घोषित करने की मजबूरी है.इंदौर

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