संजयकनोजिया
प. उ०प्र० के 15 जिलों की 73 विधानसभा सीट और इनके आसपास के 6 जिलों की 47 विधानसभा सीट, कुल 21 जिलों की 120 सीटों पर, केवल और केवल चुनाव परिणामों में किसान मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करता है..पिछले विधानसभा 2017 में, भाजपा ने इन्ही क्षेत्रों से 100 से भी अधिक सीट जीती थी..तब किसानो ने जमकर भाजपा को समर्थन देते हुए मतदान किया था..लेकिन इसबार प्रस्थितियाँ बहुत बदल चुँकि है..प्रधानमंत्री मोदी ने किसानो की जो दुर्गति की है, किसान केवल चुनाव के इंतज़ार में है..किसान “तीन काले क़ानून” के खिलाफ, विरोध में क्या उतरा की मोदी सरकार, किसानो के लोकतान्त्रिक व संवैधानिक अधिकारों पर दमन कर, कुचलने का आजतक भरसक प्रयास करती आ रही है..जहाँ सरकार अहंकार में अड़ियल बनी हुई है वहीं किसान भी अपनी मांगों को लेकर अडिग है !
किसानों के इस आंदोलन में सैकड़ों किसान शहीद हुए है, सर्दी-गर्मी-बरसात की परवाह ना करते हुए अपने परिवार से दूर या परिवार सहित दिल्ली के चारों ओर बॉर्डरों पर डेरा डालने पर मजबूर हुए हैं..गालियां-ज़िल्लते-आतंकी-गद्दार आदि आदि मन-मस्तिक्ष को झकझोर देने वाले शब्दों के वाणों को लगातार झेलते आ रहे है.. इसी वर्ष 26 जनवरी के इनकी महारैली को राष्ट्र अपमान करने का दाग लगाने की साजिश रची गई, जो मोदी सरकार के षडयंत्री नियत की ही पोल खोल गई..किसान नेताओं पर खतरनाक धाराओं के तहत मुकदमों को लाद देना..किसानो से बातचीत के सभी रास्ते बंद कर देना..इन सभी को किसान कभी भूल नहीं सकता !
इसबार मोदी-योगी और भक्त किसी मुगालते में ना रहें..इस बीच किसानो की सभी मांगें सरकार द्वारा मान भी ली जाएँ, उनसे माफ़ी भी मांग ली जाए, तो भी “प. उ० प्र०”, में भाजपा का खाता भी नहीं खुलने वाला..इसबार जनता विरोध नहीं बल्कि मोदी-योगी सरकार के प्रति नफरत सँजोय बैठी है !!
लेखक राजनैतिक सक्रिय कार्येकर्ता है