बात सन 1935 की और मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर की है आज़ादी की मांग पूरे देश में जोर पकडे हुए थी l ऐसे समय में लोकप्रिय नेता सुभाषचंद्र बोस कलकत्ता -मुंबई मेल से गुजरने वाले थे नरसिंहपुर का जिला कलेक्टर एक युवा भारतीय था l जो देश में आज़ादी की बढती हिलोरो से अछूता ना था l सुभाष बाबू से उनकी व्यक्तिगत मित्रता भी थी l दोनों भारतीय सिविल सेवा में चुने गए थे, तब से मित्र थे l यह युवा कलेक्टर दुविधा में था स्टेशन पर सुभाष बाबू से मिलने जाये या नहीं l एक ओर अंग्रेज सरकार की नौकरी का अनुशासन था दूसरी ओर आज़ादी के मतवाले देश के नौज़वानो के नेता सुभाष बाबू से मिलने की उत्कंठा थी l आख़िरकार दुविधा ख़त्म हुई l यह कलेक्टर अपने करियर की परवाह किये बगैर सुभाष बाबू से मिलने रेलवे स्टेशन पहुच गया l स्टेशन पर देश भक्ति के नारे लगाती हजारो लोगो की भीड़ के बीच सुभाष बाबू ने कहा “देश को आपकी ज़रुरत है” इस एक वाक्य ने मानो जादुई काम किया , कलेक्टर की नौकरी को लात मारकर यह नौज़वान आज़ादी के आन्दोलन में कूद गया l उसे तत्काल अंग्रेज सरकार ने भारत सुरक्षा क़ानून में गिरफ्तार कर लिया l फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा इसी के साथ आज़ादी के आन्दोलन को एक जोरदार योद्धा /देश को एक प्रखर सांसद,समाजवादी आन्दोलन को एक शानदार शख्सियत और होशंगाबाद -नरसिंहपुर क्षेत्र को एक योग्य प्रतिनिधि मिला -इस व्यक्ति का नाम था हरिविष्णु कामथ जिन्हें पूरे क्षेत्र में कामथ साहब के नाम से जाना जाता था कामथ साहब संविधान सभा के सदस्य रहे उन्होंने तीन बार इस क्षेत्र से लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया l
1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कामथ साहब होशंगाबाद नरसिंहपुर क्षेत्र से जनता पार्टी के प्रत्याशी थे l इस चुनाव में हम और हमारे युवा साथियों ने चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था l उस समय हम मतदाता नहीं थे l कामथ साहब के साथ उनकी जीप में बैठकर गांवो में प्रचार के लिए कई बार गए l इस दौरान और 1980 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके निकट संपर्क में आने का मौका मिला l उनका आदर्शवादी .त्यागी और जुझारू व्यक्तित्व आज भी हमारी प्रेरणा और उर्जा का स्रोत है l शायद यही कारण है कि समाजवादियो के विचलन और पतन के बावजूद आज भी हम अपनी सीमित ताकत और साधनों के बलबूते समाजवाद कि मशाल थामे हुए है l शोषण विहीन समता मूलक समाज की स्थापना के लिए , उनके बताये रास्ते पर चलते हुए संघर्ष को आगे बढ़ाना ही कामथ साहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी l
कामथ साहब धर्मनिरपेक्ष और प्रखर समाजवादी विचारो के प्रणेता थे l,होशंगाबाद नरसिंहपुर लोकसभा सीट से उन्होंने अनेको बार चुनाव लड़ा l कामथ साहब को देश के कई हिस्सों से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया पर वे इस क्षेत्र को छोड़कर कही नहीं गए l एक बार चुनाव में पराजित होने के बाद सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजने का प्रसताव दिया तो उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि वे पिछले दरवाज़े से संसद में नहीं जाना चाहते l पंडित नेहरु कामथ साहब की काबिलियत के कायल थे , वे उन्हें कांग्रेस में शामिल कर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देना चाहते थे l
परन्तु कामथ साहब ने सत्ता का पिछलग्गू होना स्वीकार नहीं किया l
कामथ साहब का जन्म 13 जुलाई 1907 में और निधन 9 अक्टूबर 1982 को हुआ i वे 1930 से 1938 तक भारतीय सिविल सेवा के अंतर्गत अंग्रेज सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे l
सुभाष बाबू के आव्हान पर सरकारी नौकरी छोड़ने वाले कामथ जी ने 1940 -41 ,1942 -45 ,1956 ,1962 ,1965 ,1974 -75 में जेल यात्रा की l स्वतंत्र भारत में वे संविधान सभा के सदस्य बनाये गए
श्री कामथ 1950 -52 में प्रोविजनल संसद के प्रतिनिधि मनोनित किये गए l 1955 -1957 ,1962 -1967 एवं 1977 -1979 में वे होशंगाबाद – नरसिंहपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद रहे l
1962 के लोकसभा चुनाव में कामथ साहब को हराने के लिए रामराज्य परिषद् नाम की राजनैतिक पार्टी ने प्रभावती राजे को उम्मीदवार बनाया था l भाजपा के पूर्व संस्करण जनसंघ और संघ ने प्रभावती का समर्थन किया था l पूरे क्षेत्र में साम्प्रदायिकता का ज़हर फैलाया गया ,हिन्दू -मुस्लिम ध्रुवीकरण के प्रयास किये गए l कामथ जी ने पूरी दृडता के साथ साम्प्रदायिकता का मुकाबला किया और उन्हें पैर ज़माने का मौका नहीं दिया ,अन्तत: कामथ साहब विजयी हुए
श्री गोपाल राठी की एफबी पोस्ट से