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बाबा रामदेव का मकड़जाल

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Vandana Mimrot (@VandanaMimrot) | Twitter

वंदना मिमरोट
. दिमाग पर थोड़ा सा जोर डालने पर याद आता है कि बात शायद 2003 या 2004 की होगी , जब अचानक से बाबा राम देव का उदय हुआ , ना जाने कहाँ से, बिलकुल अचानक, हो सकता है इससे पहले भी राम देव कही रहे हों लेकिन जनता की नजरो में अचानक से आए, जब सब के सब ने योग करना चालु कर दिया, बहुत बड़ी बड़ी बातें कि योग से कैंसर ठीक होता है , बीपी सही होता है , शुगर और ह्रदय रोगों तक का समूल नाश हो जाता है जिनका इलाज़ मेडिकल साइंस के पास नहीं है.
.       बाबा की बातो में ऐसा जादू था कि केवल मेरे परिवार में ही नहीं, बल्कि पूरे खानदान में लोगों ने योग करना शुरू कर दिया. करने से होगा और दवा छूट जायेगी जैसी चमत्कारी दावों और बातो ने लोगों को योग की तरफ बड़ी तेजी से आकर्षित किया. अपने ही योग शिवरों में अपने ही लोगों से पूछना कि आप को कैंसर हुआ था, कैंसर का क्या हुआ? तो आए हुए मरीज़ का ये कहना कि केवल योग करने से उसका ब्लड कैंसर सही हो गया मात मात्र 3 माह में. और फिर बाबा का कहना कि ‘ करने से होता है, करो, करने से ही होगा, करने से कैंसर ही नहीं, बीपी, सुगर, ग्लूकोमा, ह्रदय रोग, गठिया सब जड़ से सही हो जाते हैं.’
.       इन योग शिवरों में योग करवाने के आलावा एक काम और बड़ी चतुराई से किया जाता था, और वो है विदेशी कंपनियों की आलोचना करना, ये योग शिविर विदेशी कंपनियों को गाली देने का एक प्लेटफोर्म बन गये थे, कोल्डड्रिंक मतलब टॉयलेट क्लीनर, पिज्जा मतलब जो आप की सेहत को पी जाये, बर्गर मतलब कि बर्गर खाओगे तो बर्गर जैसे बन जाओगे. क्या याद हैं आप को बाबा राम देव द्वारा दिए गये ये जुमले? इन जुमलों का ही परिणाम था कि पूरे देश में कोल्डड्रिंक की बिक्री अचानक से अर्श से फर्श पर आ गयी, डोमिनोज़ के पिज्जा की बिक्री पर भारी फर्क पडा. 
.       लेकिन फिर अचानक से ना जाने क्या हुआ कि बाबा ने ये सारे जुमले बोलना बंद कर कर दिया, क्या आप लोगों ने सुना है दुबारा? मैंने तो नहीं सुना , क्या अचानक से कोल्डड्रिंक सेहत के लिए अच्छी हो गयी ? या  पिज्जा  स्वास्थवर्धक हो गया? पिज्जा और कोल्डड्रिंक की बिक्री दिन रात बढ़ रही है, अब बाबा इस विषय पर क्यों नहीं बोलते? आखिर बाबा के पास ऐसा कौन से फार्मूला था जिसके बल पर बाबा ने 6 सालो में 1200 करोड की संपत्ति बना ली ? आज बाबा कि संपत्ति 2400 करोड़ है. क्या कोई एमबीए का छात्र ये कर के दिखा सकता है ? क्या कुछ कहने की जरुरत शेष है कि बाबा के जुमले अचानक से बंद कैसे हो गये और ये 1200 करोड़ की संपत्ति कहाँ से आ गयी?
.       इन्ही शिवरों में cipla, cadila, ranbaxy, mankind जैसी उच्च स्तर की दवा कंपनियों को लुटेरा बताया जाता था, मुझे याद नहीं की किस आयुर्वेदिक दवा से बचपन में मेरी जान बची है, यही मेडिकल साइंस है जिसने हर घर में किसी ना किसी को कभी ना कभी बचाया है, मेडिकल साइंस जान बचाने वाला विज्ञान है. सड़क पर दुर्घटना में मरते आदमी को कोई भी अन्य पैथी नहीं बचा सकती है, सिवाय मेडिकल साइंस के. दूसरी सभी पैथी तभी प्रयोग में आ सकती हैं जब आप की पास बिमारी का इलाज़ करवाने का लंबा वक्त हो, निश्चित ही कोई भी पैथी किसी अन्य  पैथी की जगह नहीं ले सकती, और इस मामले में देशी देशी चिल्लाना नितान्त मूर्खता है.
.       लेकिन बाबा से अपने शिवरों की शुरुआत ही दवा कम्पनियों और मेडिकल साइंस की छवि खराब करने के लिए की, और जब माहोल को अपने अनुकूल पाया तो आयुर्वैदिक दवाएँ बाजार में उतार दी. सभी इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि बाबा द्वारा बेचीं जा रही दवाओं में से एक भी ऐसी दवा नहीं है जिसे पहले से डाबर, बैधनाथ, ऊंझा, हिमालया जैसी शुद्ध हर्बल दवा उत्पादक कम्पनियों द्वारा ना बनाया जा रहा हो. लेकिन लोगों को ऐसा बताया गया मानो की ये इतिहास में पहली बार हुआ हो की ये आयुर्वैदिक दवाएं बाजार में आयी हों. इसके बाद पतंजलि द्वारा बेचीं जा रही दवाओं को बाकी देसी आयुर्वैदिक दवा उत्पादक कंपनियों से सस्ता बता कर बेचा जाने लगा.
.       मुझे आज पार्को में ना के बराबर और अपने पूरे खानदान में कोई भी योग करता नहीं दिखाई देता है, बहुत सीधी सी बात है की लोगों का चमत्कारिक असर का भ्रम टूट गया, जैसा की बाबा ने फैलाया था, निश्चित ही योग फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ये पूरी जीवन शैली होनी चाहिए, आयर्वेद पूरी जीवन शैली है, ये जंगलो में निवास कर रहे लोगों के लिए तो ठीक ठीक है, लेकिन आज भागती जिंदगी में बिलकुल ही निष्प्रभावी है. ये बात लोग इन 10  सालों में समझ गये और पुनः दवाओं की तरफ भागे, और इसमें कुछ भी नया नहीं था, सारी दवाएं देसी हर्बल दवा उत्पादक कम्पनियों डाबर, बैधनाथ, ऊंझा, हिमालया में पहले से मौजूद थीं, बस लोगों को पूरी जानकारी नहीं थी, और हर आदमी बाबा को सुनने से पहले आयुर्वैदिक डॉक्टर नहीं था,आज हर आदमी स्वं को डॉक्टर समझने लगा है. जो भी हो कुल मिला कर बाबा का लछ्य पूरा हुआ और लोग योग को छोड़ कर पतंजलि ट्रेडमार्क की आयुर्वैदिक दवाओं की ओर आ गये. आज हर आदमी खुद किताब पढ़ पढ़ कर दवाएं खाता है.
.       इसके बाद नंबर आया किराना बाजार का, जिसमे मसाले, चाय, अचार, पापड़, मुरब्बा, आटा,  सब बिकना शुरू हो गया, उन्ही दुकानों पर जिस में दवा बिकती थीं, दवा खरीदने जाना वाला उपभोक्ता ,किराना भी खरीदने लगा. अपने शिवरों में पैकेट बंद जूस को जहर बताने वाला बाबा खुद अपनी दूकान में पैकेट बंद जूस बेचने लगा वो भी डाबर के जूस से मात्र 10 रूपए सस्ता, क्या बाबा स्वं ये जूस पीता है ? अपने शिवरों में बाबा हमेशा ये कहता था कि गोरा बनाने वाली क्रीम को अगर भैंस को लगा दिया जाये तो क्या भैंस गोरी हो जायेगी? ये जुमला भी खूब चला था, लेकिन आज बाबा खुद गोरा बनाने वाली सौंदर्य क्रीम बना रहा है, सौंदर्य उत्पादों का विरोध करने वाले बाबा ने आज सौंदर्य उत्पादों की एक पूरी श्रृखला उतार दी है, अब इससे बाबा ने कितनी भैसों को गोरी बना कर गाय बना दिया है, ये तो बाबा ही जाने. लेकिन इससे पहले हिमानी, इमामी, विको, आयुर जैसी शुद्ध देशी हर्बल उत्पाद बनाने वाली कम्पनियाँ सौंदर्य उत्पाद बनाती रही हैं. 
.       और  फिर अचानक से 25 सालो से बिक रही मैगी में लेड की मात्रा मानक से अधिक निकल गयी, भारत में मैगी में लेड मिलने के बाद दुनिया के विकसित देशों में कराई गयी जांच में मैगी को सेहत के लिए बिलकुल सही पाया गया , लेकिन अब तक सारे सर्टिफिकेट देने वाले भारतीय सरकारी संस्थानों को अचानक से ही लेड मिल गया था, मै तो 20 सालो से मैगी खा रही थी. मुझे तो कुछ नहीं हुआ ? और अगर मै वास्तव में लेड वाली मैगी खा रही थी तो इसका जवाबदेह कौन   है? पिछले 20 वर्षों से ये सरकारी संस्थाएं कर क्या रही थीं ? मैगी के पैकेट के ऊपर लगने वाले सरकारी संस्थाओं के ठप्पे जो ये दावा करते हैं कि सब कुछ ठीक है, वो कहाँ से आ गये ?
.       खैर जाने देते हैं सरकारी संस्थाओं को, वो तो बेचारे गुलाम हैं सरकार के, नेताओं के. सरकारी कर्मचारी और संस्थाएं करें भी क्या? लेकिन नेस्ले के मैगी में लेड मिलने के मात्र 7 दिनों के अंदर बाबा का पतंजलि योगपीठ का मैगी लॉन्च करने की घोषणा कर दी . क्या बात है ? बाबा अंतर्यामी है तभी उसने जान लिया कि नेस्ले के मैगी में लेड की मात्र जादा मिलने वाली है, इस लिए उसने लेड रहित पतंजलि मैगी उतारने की तैयारी है, नाम मै सुझा देती हूँ. – ” दिव्य सिवईयां”
.       बाबा ने लोक सभा के चुनावों में बड़ी मेहनत की थी, उसका उपहार तो बनता ही था, देशी देशी चिलाने वाले बाबा ने सबसे जादा नुकसान देसी संस्थाओं को ही पहुचाया है, क्यों कि आयुर्वेद से विदेशी कंपनियों का कोई लेना देना नहीं है, बाबा स्वम विदेशी गाड़ियों में घूमता है और विदशी फोन इस्तेमाल करता है. देशी देशी चिल्लाने वालों का जीवन किस प्रकार से पाखण्ड से भरा हुआ है उसे इस प्रकार से जाना जा सकता है कि ये अपने बच्चों को विदेशी स्कूलों में पढ़ाते हैं, पूर्णतः विदेशी पढाई M.B.B.S, M.C.A, M.B.A.,COMPUTER SCIENCE, I.I.T ets. कराते हैं, क्यों कि वो जानते हैं की आज इस ग्लोबलाइज़ेशन के दौर में देशी शब्द कितना खोखला है, और इस खोखले शब्द की आड़ में वो अपने बच्चों की जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकते. हाँ वे दूसरों के बच्चों की जिंदगी जरुर बर्बाद कर सकते है, ये सभी देशी देशी चिल्लाने वाले विदेशी मोबाइल फोन, लेड टीवी, फ्रिज, ए.सी., वाशिंग मशीन, कारें, बाइक्स, एन्द्रोइड ओ.एस., विंडो ओ.एस., सभी विदेशी सौफ्त्वेअर्स, इस्तेमाल करते हैं जबकि ये जानते है की सबसे जादा धन विदेशों में इसी माध्यम से जाता है,      .       कुल मिला कर देशी देशी केवल एक राजनीतिक एवं धार्मिक स्टंट से जादा कुछ भी नहीं है, लोगों को देशी के नाम पर मूर्ख बनाया जा रहा है और अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है. भारत में धार्मिक मूर्खो की जमात बहुत बड़ी है, इन्हें धर्म की आड़ ले कर कहीं भी किसी भी दिशा में भेड़ों की तरह हांका जा सकता है, इस समय सनातनी परम्परा योग और देशी के नाम पर हांका जा रहा है.     .       जहाँ तक इस देश में धन को विदेशों में जाने से रोकने का सम्बन्ध है, तो भारत में न्यूटन, आइंस्टीन, स्टीव जॉब्स पैदा होने चाहिए, बाबा नहीं, लेकिन दुर्भाग्य से इस देश में वैज्ञानिक नहीं बाबा पैदा होते हैं, रामपाल, आशाराम, रामदेव आदि आदि. बिना विज्ञान पैदा किये भारत कभी स्वावलंबी नहीं बन सकता, भारत के नोटों के लिए प्रयोग होने वाल कागज़ और स्याही तक विदेशी ही बनाते हैं, भारत अपने लिए नोट तक नहीं बना सकता, भारत विज्ञान के लिए पश्चिम पर आश्रित है, और जो हालात सनातनी परंपरा के नाम पर इस देश में बना दिए गये है, उससे आने वाले समय में भारत और पीछे चला जायेगा, विज्ञान के मामले में हम पश्चिम के सामने केवल भिखारी है और बाबाओं के आशीर्वाद से अगले 1000 सालों तक भिखारी ही बने रहेंगे.

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