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किसान संसद अब प्रतिष्ठित नागरिकों और विशेषज्ञों को ‘सदन के अतिथि’ के तौर पर करेगी आमंत्रित

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संसद के समानांतर चलने वाली किसान संसद आने वाले दिनों में प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों और अन्य विशेषज्ञों को “सदन के अतिथि” के रूप में आमंत्रित करेगी, ताकि पहले से ही समृद्ध कार्यवाही को और समृद्ध किया जा सके। किसान संसद अगले दो दिनों में 4 और 5 अगस्त को एमएसपी की कानूनी गारंटी से संबंधित मामलों पर चर्चा करेगी। किसान सांसदों के साथ डॉ. देविंदर शर्मा, डॉ. सुच्चा सिंह गिल, डॉ. आर एस घुमन जैसे अन्य विशेषज्ञ शामिल होंगे।

आज किसान संसद में पराली जलाने के मुद्दे और सरकार द्वारा किसी न किसी बहाने किसानों को अपराधी बनाने के प्रयासों पर चर्चा की गई। कोविड लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से एक आयोग की स्थापना करके दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने / प्रतिबंधित करने के नाम पर एक अध्यादेश लायी थी। अध्यादेश को फिर से प्रख्यापित किया गया और हाल ही में एक विधेयक के रूप में लोकसभा में पेश किया गया। किसान संसद ने संज्ञान लिया और इस तथ्य पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डाला कि सरकार 30 दिसंबर 2020 को किसान प्रतिनिधियों से की गई प्रतिबद्धता से मुकर गई है। जबकि नए विधेयक में, दंड प्रावधान (धारा 14) में एक अपवाद जोड़ी गई है कि किसानों को एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने और पांच साल की जेल की सजा के प्रावधान से छूट दी जाएगी; “पर्यावरण मुआवजा” के नाम पर धारा 15 के रूप में किसानों पर एक नया दंड प्रावधान शामिल किया गया है। किसान संसद ने प्रस्ताव पारित किया कि नए विधेयक में किसानों पर दंडात्मक प्रावधानों को हटाया जाता है, और भारतीय संसद को भी ऐसा करने का निर्देश दिया। किसान संसद ने यह भी प्रस्ताव पारित किया कि एमएसपी कानूनी गारंटी एक ठोस समाधान है जो पराली जलाने के मुद्दे को हल करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा, और केंद्र सरकार को इस पर एक कानून बनाना चाहिए। किसान संसद ने केंद्र सरकार से पराली जलाने के मुद्दे को ईमानदारी से संबोधित करने के लिए सभी आवश्यक वित्तीय परिव्यय की व्यवस्था करने का भी आह्वान किया।

लोकप्रिय हो चुकी ‘कांवर यात्रा’ में हरियाणा के युवा विरोध स्थलों पर मिट्टी और पानी ला रहे हैं, और इन युवाओं का प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा उत्साहपूर्वक स्वागत किया जा रहा है। युवाओं का यह कृत्य किसान आंदोलन के समर्थन में राज्य में चल रही गहरी भावनाओं का प्रतिबिंब है।

भाजपा नेताओं का काले झंडे से विरोध और सामाजिक बहिष्कार अब पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश में फैल रहा है। पीलीभीत में एक स्थानीय कार्यक्रम जिसमें भाजपा के एक मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को भाग लेना था का विरोध करने के लिए किसानों का एक बड़ा समूह इकट्ठा हुआ। इसकी जानकारी होने पर पुलिस ने एक स्थानीय गुरुद्वारे में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। हरियाणा के चरखी दादरी में भाजपा नेता बबीता फोगट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ।

संयुक्त किसान मोर्चा इस तथ्य का संज्ञान लेता है कि लोकसभा ने विपक्ष के विरोध, जिसमें देश के आम नागरिकों के महत्वपूर्ण मुद्दों जिसमें किसान विरोधी काला कानून भी शामिल है पर बहस और चर्चा की मांग की जा रही थी, के बीच 12 विधेयकों को पास किया। मोदी सरकार का अड़ियल और अलोकतांत्रिक स्वभाव एक बार फिर सामने आ रहा है और एसकेएम सरकार के इस जनविरोधी व्यवहार की निंदा करता है।

एसकेएम ने संसद के मौजूदा सत्र में बिना किसी चर्चा के 12 विधेयकों को पारित करने के तरीके पर गहरा आघात और निराशा व्यक्त की। संसदीय प्रक्रिया का ऐसा विध्वंश इस सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति को दर्शाता है। एसकेएम ने कहा कि किसान संसद जिस लोकतांत्रिक और सहभागी तरीके से अपना कारोबार चला रही है, उससे सरकार को कुछ सीख लेनी चाहिए।

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