नई दिल्ली
गुजरात के अगले सीएम को लेकर सभी अटकलेंबाजी फेल साबित हुई हैं। उम्मीद से बिल्कुल उलट भाजपा ने एक नए चेहरे को आगे बढ़ाया है।
उसने भूपेंद्र पटेल को गुजरात की कमान सौंपने का फैसला किया है। भाजपा ने राज्य के सीएम के तौर पर रविवार को उनके नाम पर मुहर लगाई। वह सोमवार को सीएम पद की शपथ लेंगे। इस कदम से फिर पार्टी ने सभी को चौंकाया है। न तो भूपेंद्र के नाम की कहीं अटकलें थीं, न उन्हें सीएम पद की दौड़ में कहीं दिखाया जा रहा था। इस तरह एक ‘गुमनाम’ चेहरे ने रेस में शामिल तमाम दिग्गजों को पीछे छोड़ बाजी मारी है।
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने इस तरह सभी को चौंकाया है। इसके पहले भी वह कई बार अपने फैसलों से राजनीतिक पंडितों को चौंकाती रही है। राज्य में अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं। इसके पहले विजय रूपाणी ने बगैर कोई खास कारण बताए सीएम पद से शनिवार को इस्तीफा दे दिया था।
रविवार को विधायक दल की बैठक में भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव पेश किया गया। भूपेंद्र पटेल उसी सीट से एमएलए हैं जिससे पहले कभी पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल हुआ करती थीं। भूपेंद्र पटेल को उन्हीं का करीबी माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भूपेंद्र पटेल के नाम का ऐलान किया।
किन नामों पर लगाया जा रहा था दांव?
विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद गुजरात के नए सीएम को लेकर अटकलों का बाजार गरम था। इनमें राज्य के डिप्टी सीएम नितिन पटेल, कृषि मंत्री आर सी फल्दू और केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया के नाम सबसे आगे थे। बताया गया था कि बेशक ये नाम सुर्खियों में हैं, लेकिन यह दावे के साथ कह पाना असंभव है कि कौन अगला सीएम बनेगा। कारण है कि इसके बारे में फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेना है।
दौड़ में सबसे आगे थे नितिन पटेल
आनंदीबेन पटेल ने अगस्त 2016 में सीएम पद से इस्तीफा दिया था। तब यह कहा जा रहा था कि नितिन पटेल उनके उत्तराधिकारी होंगे। यह अलग बात है कि अंतिम समय में बाजी पलट गई। चौंकाते हुए रूपाणी को इस शीर्ष पद के लिए चुन लिया गया। रूपाणी के इस्तीफे के बाद फिर नितिन पटेल को अगला सीएम बनाने की मांग सोशल मीडिया पर तेज हो गई। लेकिन, दोबारा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने चौंका दिया।
और कौन था चर्चा में
नितिन पटेल की तरह ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आते हैं। उन्हें भी सीएम पद की दौड़ में आगे माना जा रहा था। समुदाय के नेताओं ने हाल ही में यह मांग की थी कि अगला मुख्यमंत्री एक पाटीदार (समुदाय से) होना चाहिए। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव से एक साल पहले आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। रूपाणी के साथ भी ऐसा ही किया गया।
कैसे पलट गई बाजी?
भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दोबारा दिखाया है कि वह कब क्या करेगा, उस पर कयास लगाना नामुमकिन है। सीएम के तौर पर जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा थी वह नितिन पटेल का था। उनकी बॉडी लैंग्विज भी काफी पॉजिटिव दिख रही थी।
रविवार को होने वाली विधायक दल की बैठक से पहले डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने कहा था कि विधायक दल का नेता लोकप्रिय, मजबूत, अनुभवी और सभी को स्वीकार्य होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि नए मुख्यमंत्री का चुनाव केवल एक खाली पद को भरने की कवायद नहीं है। गुजरात को एक सफल नेतृत्व की जरूरत है ताकि राज्य सबको साथ लेकर विकास कर सके। पटेल का राज्य के पाटीदार समुदाय में काफी प्रभाव है।
रूपाणी के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया में पटेल को सीएम बनाने की कवायद तेज हो गई थी। लेकिन, अंत समय में कैसे बाजी पलट गई यह समझ से परे हैं। भूपेंद्र पटेल 41-घाटलोधिया विधानसभा सीट से विधायक हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के शशिकांत पटेल को 1,17,000 के रिकॉर्ड मार्जिन से मात दी थी। वह AUDA के चेयरमैन रह चुके हैं। भूपेंद्र पटेल राज्य 17वें मुख्यमंत्री होंगे।
अपने फैसलों से चौंकाती रही है भाजपा
पिछले कुछ सालों में यह भाजपा के काम करने की स्टाइल बन गया है। देखने में आया है कि जो रेस में होते हैं, वो पीछे रह जाते हैं और मुखिया कोई और बन जाता है। फिर चाहे उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी, तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हो, यूपी में योगी आदित्यनाथ का राजतिलक हो या फिर हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फणनवीस का प्रमोशन। इन सभी के मामले में अप्रत्याशित रूप से पार्टी ने चौंकाया था।