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‘सारागढ़ी दिवस’….124 साल पुरानी जंग की कहानी : 10,000 अफगानों पर भारी पड़े थे 21 सिख

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काबुल/इस्लामाबाद
इतिहास में 12 सितंबर की तारीख के आगे उन 21 सिखों के नाम लिखे हैं जिन्होंने सारागढ़ी की लड़ाई में 10,000 अफगान सेना के आगे झुकने से इनकार कर दिया था। आज उस लड़ाई और उन सिखों की वीरगाथा की 124वीं सालगिरह है। इतिहास की कुछ सबसे साहसिक लड़ाइयों में शामिल सारागढ़ी का युद्ध 12 सितंबर 1897 को ब्रिटिश इंडिया आर्मी के 21 सिख सैनिक और 10,000 अफगानों के बीच लड़ा गया था।

यह लड़ाई पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के समाना गांव में लड़ी गई थी जो तब भारत का हिस्सा था। इस लड़ाई में 36 सिख रेजिमेंट के सभी 21 जवान अफगानों के खिलाफ पूरी बहादुरी से अपनी आखिरी सांस तक लड़े और इतिहास में ‘सुपरहीरो’ की तरह याद किए जाते हैं। आज खास मौके पर जानेंगे सारागढ़ी के ऐतिहासिक युद्ध की कहानी…

दो किलों को जोड़ता था सारागढ़ी
सारागढ़ी कोहट जिले में एक छोटा सा गांव था। यह इलाका तब भारत का हिस्सा था जो अब पाकिस्तान में आता है। ब्रिटिश हुकूमत ने खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था लेकिन उन्हें विद्रोही पश्तूनों के हमले का डर सता रहा था। सारागढ़ी दो किलों Lockhart और Gullistan के बीच कम्युनिकेशन पोस्ट के तौर पर काम करता था। ये दोनों किले उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के दो मुख्यालयों की तरह काम करते थे। इनके बीच कुछ ही किलोमीटर की दूरी थी लेकिन एक से दूसरे किले को देख पाना मुश्किल होता था। लिहाजा सारागढ़ी संदेशों के आदान-प्रदान का काम करता था।
Battle of Saragarhi

Photo Credit : australiansikhheritage
कई हमलों को पहले ही किया नाकाम
अगर आपने बॉलीवुड की फिल्म ‘केसरी’ देखी है तो आप इस कहानी को और बेहतर तरीके से समझ पाएंगे कि सिख जवानों ने उस युद्ध में कैसी बहादुरी दिखाई थी। 27 अगस्त से 11 सितंबर 1897 के बीच पश्तूनों ने ब्रिटिश मुख्यालयों पर कब्जा करने के लिए कई हमले किए लेकिन कर्नल Haughton की कमांड में 36 सिख रेजिमेंट ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया। Heliograph, जो संदेश भेजने के लिए सूरज की किरण का इस्तेमाल करता है, के माध्यम से सारागढ़ी और ब्रिटिश हेडक्वाटर्स के बीच संवाद दिया और सूचनाएं पहुंचाई गईं। 12 सितंबर 1897 में 10,000 पश्तूनों ने दोनों किलों के बीच के माध्यम को खत्म करने के उद्देश्य से सारागढ़ी पर हमला कर दिया।

दस हजार अफगानों पर भारी बड़े 21 सिख
सिख जवानों ने इतिहास की सबसे महान लड़ाई लड़ी। 21 सिखों ने 10,000 अफगानों से लोहा लिया और शहीद होते-होते 600 पश्तूनों को मार दिया। रेजिमेंट के लीडर इशर सिंह ने 20 दुश्मनों से ज्यादा को मौत के घाट उतारा। यह लड़ाई इसलिए महान है क्योंकि इसका नतीजा सभी को पता था। इसके बावजूद सिख सैनिक अपने देश के लिए लड़े और अतिरिक्त सेना के पहुंचने तक 10,000 सैनिकों को एक दिन तक आगे बढ़ने से रोककर रखा।
Battle of Saragarhi

Photo Credit : @capt_amarinder
खबर मिलने पर खड़ी हो गई ब्रिटिश संसद
इस युद्ध की खबर ब्रिटेन पहुंची तो सिख सैनिकों के सम्मान में लंदन में ब्रिटेन की संसद भी खड़ी हो गई। भारत सरकार ने 36 सिख रेजिमेंट के जवानों के सम्मान में एक स्मारक टैबलेट की स्थापना की। इन 21 योद्धाओं की याद में अंग्रेजों ने दो गुरुद्वारों का निर्माण किया। एक अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास और दूसरा फिरोजपुर छावनी में। 124 साल बाद भी 12 सितंबर को सारागढ़ी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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