मोदी सरकार के शासनकाल में देश में जहां बेरोजगारी और महंगाई हर रोज बढ़ रही है। वहीं देश की अर्थव्यवस्था सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाए जाने के दावे पर विपक्षी दलों द्वारा कई बार सवाल खड़े किए जा चुके हैं।इसी बीच देश के मशहूर अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़ों को छिपाया जा रहा है।
विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा है कि देश के महान सांख्यिकीविद पी सी महालनोबिस ने आंकड़े जमा करने और उनका विश्लेषण करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। लेकिन आज के वक्त में सब कुछ इसके विपरीत हो रहा है। आज सरकार द्वारा आंकड़ों को छुपाए जाने की कोशिश की जा रही है।
अगर इस तरह के आंकड़ों को छिपाया जाएगा। तो अर्थव्यवस्था की स्थिति को सुधारने के तरीके कैसे अपनाए जाएंगे।दरअसल अर्थशास्त्री कौशिक बसु ‘इकोनॉमिक्स इन एवरीडे लाइफ एंड रोल ऑफ एथिक्स’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे।
इस सेमीनार में उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के इतिहास के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।उन्होंने कहा कि जब मैं साल 2012 से 2016 तक विश्व बैंक में था। तो मुझे भारत से मिलने वाले आंकड़ों को देखकर गर्व महसूस होता था। हालांकि बहुत बार आंकड़े अच्छे नहीं होते थे। लेकिन उस वक्त ट्रांसपेरेंसी होती थी।आज इस मामले में हम अपने रास्ते से भटक गए हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए आंकड़ों में पारदर्शिता ना होना भी एक कारण है।जब तक असली स्थिति सामने नहीं आएगी। तब तक इसे ठीक कैसे किया जाएगा
उनका कहना है कि साल 2016 के बाद से हर साल देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज हो रही है। देश की स्थिति बहुत ही खराब है। बेरोजगारी बहुत ऊंची दर पर पहुंच चुकी है।