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गांधी मरते क्यों नहीं है

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राकेश श्रीवास्तव

यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका आज तक उत्तर न मिल सका है,ना मिलने की उम्मीद है।30 जनवरी 1948 के पहले भी गांधी के शरीर को मारने के अनेक प्रयास किए गए।उनकी देह को गोली मारने के बाद भी एक  वर्ग उन को समाप्त करने के प्रयास में दिन रात ओवरटाइम कर अपनी उर्जा व्यय करता रहता है। परंतु ना जाने किस मिट्टी से बना है ये मोहनदास करमचंद गांधी नाम का व्यक्ति।इसके ऊपर चाहे जैसा आक्रमण हो वह उससे भी उर्जा लेता रहता है।

Much before becoming Mahatma, Gandhiji played a key role in South Africa;  What was it - Oneindia News


अब कल बैठे -बैठाए भारत के प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात मे अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि  हम अगले सप्ताह महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाएंगे।यह हमें उनके अहिंसा के संदेश की याद दिलाता है।वैसे तो गांधी नाम किसी के सर्टिफिकेट पर आश्रित नहीं है पर विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति का आठ दिन बाद होने वाले जन्मदिन का उल्लेख करना एक बड़ा संदेश देता है।विश्व में अनेकों अवसरों पर युद्ध के संकट मंडराया करते हैं परंतु अंत में सभी शांति का ही संदेश देते हैं।सभी को कहना पड़ता है कि हम विश्व में शांति चाहते हैं।शायद इसी लिए गांधी मरते नहीं है। 
गांधी को पथ प्रदर्शक मानने वालों में मार्टिन लूथर किंग,नेल्सन मंडेला,चो मेन शिक,हो चो मिन, रुजवेल्ट,दलाई लामा, ओबामा ,आंग सान सू की जैसे अनेकों इतिहास निर्माता रहे हैं। लेखन,विज्ञान और आध्यात्म के क्षेत्र मे लियो टालस्टाय, अल्बर्ट आइंस्टीन, जॉर्ज बर्नार्ड शा, पर्ल एस बक, विल डयुरेंट, रोमा रोलां जैसे लोगों की लम्बी परम्परा है। यहां तक कि अनेक अंग्रेज जिनके शासन के विरोध में गांधी संघर्ष करते रहे वे भी उनकी सत्यवादिता के सामने नतमस्तक थे।शायद इसी लिए गांधी मरते नहीं है। 
गांधी जी के विचारों और आचरण मे कोई भेद न था। “गीता की महिमा” नामक अपनी छोटी सी पुस्तिका में गांधी जी कहते हैं  गीता को समझने के लिए अव्यभिचारिणी भक्ति चाहिए।एक वस्तु का ध्यान करना,दूसरी चीज बोलना और तीसरे को सुनना इसको ही व्यभिचार कहते हैं।परंतु दुर्भाग्य से यही हमारे समाज की सहज गति हो गई है।यही हमारे दुखों का कारण है।गांधी ने इस दशा को अपने पास फटकने भी नहीं दिया।शायद इसी लिए गांधी मरते नहीं है। 
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में जब अपने आश्रम का नाम फीनिक्स आश्रम रखा था तब यह नहीं सोचा होगा कि उनको भी फिनिक्स पक्षी की तरह शरीर जल जाने के बाद अपनी राख से पुनः उठ कर विश्व को मार्ग दिखाना पड़ेगा।विश्व को विरोध का सबसे सशक्त हथियार सत्याग्रह गांधी ने ही दिया।शायद इसी लिए गांधी मरते नहीं है। 
गांधी का जीवन ऐसी ही अनेकानेक सरल निधियों से परिपूर्ण है जो जाग्रति के मार्ग के हर पथिक को आलोकित करती है और गांधी को मरने नहीं देती है।
राकेश श्रीवास्तव लखनऊ 

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