निर्मल कुमार शर्मा,
इस पूरे ब्रह्मांड में अभी तक ज्ञात साँसों के स्पंदन से युक्त हमारी इकलौती धरती ही है,इसे प्रदूषण,ग्लोबल वार्मिंग,अत्यधिक दोहन आदि कुकृत्यों से बचाकर इस माँतुल्य धरती को इस पर अवस्थित मनुष्यप्रजाति सहित इसके समस्त जैवमण्डल को बचाने की महती जिम्मेदारी इस पर उपस्थित स्वयंभू सबसे बड़े मस्तिष्क वाले और बुद्धिमान मनुष्यप्रजाति की ही है,लेकिन वास्तविकता और कटुसच्चाई यह है कि अपने को सबसे बुध्दिमान होने का भ्रम पाले मानव अपने इस कर्तव्यपथ पर ईमानदारी,निष्ठा और कर्तव्यपरायणता से अभी भी विचलित होकर इस धरती को अपने कुकृत्यों मसलन जल-थल-वायु-भूगर्भ प्रदूषण,भूगर्भीय जल,कोयला आदि प्रकृति द्वारा लाखों सालों से संजोए अकूत खजाने और प्राकृतिक संसाधनों को तेजी से अतिदोहन कर रहा है,जिसके फलस्वरूप इस धरती का संपूर्ण पर्यावरण व वातावरण इतना प्रदूषित हो रहा है कि इससे ग्लोबल वार्मिंग और अन्यान्य विषम परिस्थितियाँ पैदा हो रहीं है,जो भविष्य में मानव सहित इसके समस्त जैवमण्डल के लिए अत्यंत घातक हो सकती है,लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद मानव अभी भी अपने कुकृत्यों को करने से बाज नहीं आ रहा है ! यह अत्यंत दुःखद और क्षुब्ध करनेवाला अशुभ संकेत है।
लेकिन इस धरती पर कुछ ऐसे भले लोग भी हैं,जो इस धरती के बिगड़ते पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक चिंतित और क्षुब्ध हैं,ऐसे कुछ देवतुल्य लोग भी हैं,जोर अपने भरसक व सर्वश्रेष्ठ सुकार्यों से इस धरती के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अभी भी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से कार्य करने में लगे हुए हैं। ज्ञातव्य है कि इस धरती के स्वास्थ्य को बिगाड़ने में सर्वाधिक योगदान इस धरती पर चलनेवाली अरबों डीजल व पेट्रोल चालित वाहनों यथा कारों,बसों,ट्रकों आदि का ही है ! इसके लिए सबसे जरूरी है कि इस धरती पर ऐसे वाहन चलाए जाएं,जो पेट्रोलियम से इतर ऊर्जा आधारित हों,इनमें वायु,जल और सौर ऊर्जा सबसे महत्वपूर्ण व ऊपयोगी गैरपरंपरागत ऊर्जा श्रोत हैं। इसी गैरपंरपरागत ऊर्जाश्रोत से प्राप्त ऊर्जा की एक कड़ी सौर ऊर्जा का सदुपयोग करते हुए एक यूरोपियन देश नीदरलैंड की आइंडहोवन विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने सौरऊर्जा चालित एक ऐसे वाहन को एक ऐसे चलते-फिरते घर का रूप दे दिया है,जिसके ऊपर एक ऐसा सौर पैनल लगा है,जिसका विस्तार बढ़ाकर 17.5 वर्ग मीटर तक किया जा सकता है,उससे पैदा सौर बिजली की ताकत से यह चलता-फिरता घर केवल एक दिन में मय यात्रियों सहित इस चलते-फिरते घर या पर्यटक घर को 750 किलोमीटर दूर तक जा सकता है ! यह पर्यटक घर अब तक सूदूर पश्चिमोत्तर देश नीदरलैंड से स्पेन तक की लगभग 3000 किलोमीटर की दूरी को सफलतापूर्वक यात्रा कर चुका है ! इसकी सवारी कर रहे इसके अविष्कर्ता छात्रों ने अपनी इस यात्रा में संपर्क में आए लोगों को सौर ऊर्जा के ऊपयोग और सौरचालित अपने वाहन की विशेषताओं के बारे में बताते और समझाते हुए चलते हैं।
इस सौरचालित चलते-फिरते घर या वाहन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके छत पर लगे सौर पैनलों से पैदा विद्युत शक्ति से यह एक वाहन की तरह चलने के अलावे इसी शक्ति से इसमें लगे शॉवर,टीवी और लैपटॉप और अन्य अपनी जरूरतों को भी बखूबी पूरा कर लेता है ! इस चलते-फिरते घर को अपनी सुविधानुसार सोने या आराम करने के लिए इसके आकार को बढ़ाया और पुनः घटाया भी जा सकता है और इसकी ऊँचाई मतलब इसकी छत को ऊपर उठा कर इसकी ऊँचाई भी बढ़ाई जा सकती है ! इसके छत पर लगाए गये सौर पैनल को आवश्यकतानुसार छोटा और बड़ा भी किया जा सकता है ! तकनीकी खूबियों के साथ-साथ इस चलते-फिरते घर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बिल्कुल पर्यावरणमित्र है,क्योंकि यह बिल्कुल प्रदूषण मुक्त भी है,इस चलते-फिरते पर्यावरणमित्र घर के माध्यम से नीदरलैंड के आइंडहोवन विश्वविद्यालय के इन पर्यावरण संरक्षक,वैज्ञानिक शोधार्थी छात्रों ने इस सौरऊर्जा चालित इस वाहन को एक ऐसे चलते-फिरते घर का रूप देकर समूचे विश्व को ग्रीन एनर्जी के प्रोत्साहन और प्रदूषण रहित विश्व का एक सुखद संदेश भी दिया है।
अब इस विश्व के पर्यावरणसंरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध,चैतन्य और चिंतित लोगों, पर्यावरण संरक्षण से संबन्धित संस्थाओं व पर्यावरण सुधार के लिए शोध करनेवाले वैज्ञानिकों का यह परम् व अभीष्ट कर्तव्य है कि नीदरलैंड के आइंडहोवन विश्वविद्यालय के इन पर्यावरणसंरक्षक,वैज्ञानिक शोधार्थी छात्रों के इस समयोचित्त व पर्यावरण हितैषी इस महान लक्ष्य आधारित मिशन को गंभीरतापूर्वक,ईमानदारी,पूर्णप्रतिबद्धता व दूरदर्शितापूर्वक आगे बढ़ाएं और अपनी शष्य श्यामला,लाखों-करोड़ों जीते-जागते जीवों के जीवन से समृद्ध घर की आश्रयदाता अपनी प्यारी माँ धरती को हर-हाल में बचाने के लिए आगे आएं।
–निर्मल कुमार शर्मा,‘गौरैया एवम् पर्यावरणसंरक्षण तथा समाचार पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र, लेखन ‘ ,गाजियाबाद, उप्र.,