इंदौर
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल और आयुष्मान योजना के तहत सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज करने वाले एमवायएच में मरीजों को मामूली जांच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। किडनी, लिवर, शुगर जैसी सामान्य जांचें भी यहां 15 दिन से नहीं हो पा रही हैं। मरीजों को कह दिया जाता है कि यहां जांच नहीं होगी। निजी लैब में जांच करवा लें। निजी लैब में यही जांच तीन से पांच हजार रुपए तक में होती है।
अस्पताल में रोजाना ओपीडी में ही पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री विभाग से जुड़े करीब 550 मरीजों की जांच होती है। सभी तरह की कुल 1100 जांचें होती हैं। सबसे ज्यादा एलएफटी, आरएफटी और सोडियम-पोटेशियम की जांच करवाई जाती है। इन दिनों यहां इन तीन जांचों के अलावा इलेक्ट्रोलाइट, थायराइड, क्रिएटिनिन और एचबी1सी सहित 10 से ज्यादा जांचें नहीं हाे रही हैं।
इसलिए परेशानी… अस्पताल प्रशासन किट खरीदी नहीं कर रहा
- 1100 तरह की जांचें होती हैं एमवाय अस्पताल में
- 550 मरीज ओपीडी में रोज पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री विभाग से जुड़े पहुंचते हैं
- इलेक्ट्रोलाइट, थायराइड, क्रिएटिनिन, एचबी1सी सहित 10 से ज्यादा जांचें फिलहाल बंद हैं
- 3 से 5 हजार में ये जांचें निजी लैब में होती हैं
इस परेशानी के पीछे किट खत्म होने की बात सामने आ रही है। किट खरीदी कहां से होगी, यह भी स्पष्ट नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने भी किट खरीदी को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके पहले कई दिनों से सोडियम-पोटेशियम की जांचें भी बंद थीं। सूत्रों के अनुसार कुछ मशीनें ऐसी हैं, जिनमें दूसरी कंपनी की किट उपयोग नहीं कर सकते। उसी कंपनी की किट लेना पड़ती है, जिस कंपनी की मशीन होती है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री तक भी पहुंची शिकायत
शुक्रवार को मामले की शिकायत चिकित्सा शिक्षा मंत्री तक भी पहुंची। बताया जाता है इसके बाद मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों से जवाब तलब किया गया कि इतनी सारी जांचें बंद क्यों हैं?
डीन ने कहा किट खत्म, अधीक्षक बोले- तीन दिन में जांचें शुरू हो जाएंगी
इस मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने कहा कि किट खत्म होने के कारण जांचें बंद हैं। वहीं एमवायएच के अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने कहा कि मेडिकल कॉलेज से ऑर्डर हो गए हैं। दो-तीन दिन में जांचें शुरू हो जाएंगी।