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कांग्रेस का हाथ छोड़, कमल का दामन थाम सकते है अरुण यादव

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पार्टी के सामने रखी ऐसी शर्त कि पार्टी ने जोड़े हाथ*
क्‍या सहानभूति बटोर रहे यादव?
उम्मीदवार के नाम की घोषणा के कुछ दिन पूर्व चुनाव न लड़ने की बात तो कह दी, लेकिन अब तक नहीं बताया कोई सटीक कारण
खंडवा लोकसभा सीट में भितरघात का शिकार हो सकती है कांग्रेस 12 अक्टूबर की कमलनाथ की रैली को लेकर स्थानीय कांग्रेस नेताओं को नहीं कोई जानकारी, न ही कोई तैयारियां
विजया पाठक,
एडिटर जगत विजन
मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होना है। इसको लेकर दोनों ही सक्रिय राजनीतिक पार्टी भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी है। कांग्रेस की टिकट पर इस सीट के प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने के कुछ दिन पूर्व ही चुनाव न लड़ने का फैसला लेकर सबको चौंका दिया है। यादव ने चुनाव न लड़ने का फ़ैसला तो किया लेकिन उन्होंने कोई कारण नही बताया जिसके कारण राजनीतिक गलियारे में अलग अलग तरह की बाते शुरू हो गई है। अरुण यादव के इस फैसले ने लोगों के मन में कई सवालों को जगह दे दी। जिसके जबाव जनता, मीडिया, राजनीति से जुड़े लोग सहित खुद कांग्रेस अलाकमान भी ढूंढने में लगी हुई है। इस पूरे मामले की जांच पड़ताल करने जगत विजन की टीम जब खंडवा पहुंची तो कई महत्वपूर्ण और चौंका देने वाली जानकारियां सामने आई। इसमें सबसे महत्वपूर्ण जानकारी अरुण यादव का प्रदेश भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के संपर्क में होना बताया गया।
पार्टी के सामने रखी ऐसी शर्त कि पार्टी ने जोड़े हाथ
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अरुण यादव खंडवा लोकसभा सीट से अपनी जीत को सुनिश्चित मान रहे है। कांग्रेस के लिए खंडवा जिले से ओबीसी उम्मीदवार का यह चेहरा बहुत सक्रिय और लोकप्रिय है। यही वजह है कि अरुण यादव ने इस बात का फायदा उठाते हुए पार्टी के सामने कुछ ऐसी शर्त रख दीं कि पार्टी को अरुण यादव के सामने हाथ जोड़ लेने पड़े। उन्होंने चुनाव लड़ने के बदले पार्टी से करोड़ों रुपए की मांग की, इतना ही नहीं आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान पूरे क्षेत्र में अपने 10 से अधिक करीबियों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिये जाने की बात कही, और तो और उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर वे उपचुनाव हार जाते है तो कांग्रेस पार्टी उनके ऊपर हार का ठीकरा न फोड़े। यानि कुल मिलाकर चिट भी अपना पट भी अपना। एक सक्रिय राजनेता होकर अपनी पार्टी के खिलाफ इस तरह के खुलकर खड़े होना साफतौर पर यह माना जा रहा है कि अरुण यादव का कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया है। वे भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के राह पर चलते हुए पंजे को अगूंठा दिखा कर कमल का दामन थाम सकते है। इस बात के संकेत शिवराज सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी दिये है। उन्होंने साफ कहा है कि कांग्रेस ने अरुण यादव का अपमान किया है और भाजपा में उनका स्वागत है।
खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे यादव
सूत्रों के अनुसार अरुण यादव पिछले कुछ समय से कांग्रेस में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। इस बात का फायदा जोड़ तोड़ में माहिर भाजपा नेताओं ने खूब उठाया। प्रदेश भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने यादव के साथ बंद कमरे में बैठक की और उन्हें व उनके समर्थकों को भाजपा में उचित पद दिलवाने की बात कही। जिसके बाद यादव अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े होते दिखाई दे रहे है। यादव कई बार इस बात का उल्लेख कर चुके है की वो भाजपा में नहीं जा रहे है, लेकिन चुनाव न लड़ने का कारण अब तक उन्होंने नही बताया। अरुण यादव खंडवा जिले के लोकप्रिय नेताओ मे शामिल है, जनता उनकी बात सुनती और उसका समर्थन करती है ऐसे में एक जिम्मेदार नेता होने के कारण उन्हें चुनाव न लड़ने का कारण बताना तो चाहिए।
क्‍या सहानभूति बटोर रहे यादव
देखा जाए तो अरुण यादव सहित भाजपा के नेता अरुण यादव के पक्ष में कांग्रेस से असंतुष्ट होने का माहौल बना रहे है। चाहे भूपेंद्र सिंह हो या फिर कोई अन्य नेता। आलम यह है कि खुद अरुण भी कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनके साथ हुई नाइंसाफी जैसा माहौल बनाने में जुटे है। पिछले दिनों बुराहानपुर में आयोजित एक सभा में अरुण यादव ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, पार्टी उन्हें हर बार जो निर्देश देती है वह उसका पालन करते हैं। हर बार फसल मैं उगाता हूं, लेकिन उस फसल को काटकर कोई और ले जाता है। 2018 में भी ऐसा ही हुआ था, 2018 में फसल मैंने उगाई, पार्टी आलाकमान ने कहा किसी और को दे दों, तो मैंने अपनी फसल दे दी। क्योंकि फसल हम फिर उगा लेंगे। इस तरह की बयानबाजी से वो खुद को साफ बताते हुए कार्यकर्ताओं से सहानुभूति बोटरने का कार्य कर रहे है।
भितरघात की शिकार होगी कांग्रेस
एक स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के नेता ने बताया कि पार्टी खंडवा लोकसभा सीट की जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। क्योंकि अरुण यादव से भाजपा नेताओं के साथ हुई मुलाकात के बाद अब कांग्रेस पार्टी भितरघात का शिकार हो सकती है। इस पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस के स्थानीय नेता भाजपा के पक्ष में वोट किए जाने को लेकर तैयारियां भी कर चुके हैं।
कार्यकर्ताओं को नहीं दी कोई जानकारी
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी द्वारा खंडवा में 12 अक्टूबर को बड़ी चुनावी रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस रैली की जानकारी अरुण यादव को पहले से दे दी गई है। रैली में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को पहुंचना है। जिले के स्थानीय नेता होने के कारण अरुण यादव की तरफ से अब तक कोई खास तैयारियां होती दिखाई नहीं दे रही है। यहां तक की कई लोगों ने यह भी कहा है कि अरुण यादव ने स्थानीय नेताओं को चुनावी रैली के बारे में किसी को कुछ बताया ही नहीं। क्योंकि इस रैली में उन्हें 4 हजार से अधिक स्थानीय लोगों को एकत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन यादव की उदासीनता के कारण अब तक यहां कोई तैयारियां नहीं है।
सिंधिया ने भी दिया था कांग्रेस को धोखा
लगभग डेढ़ वर्ष पहले इसी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कमलनाथ के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार को धोखा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बाद कांग्रेस की सरकार राज्य में महज 18 महीने में गिर गई थी। अब अरुण यादव भी उसी राह पर चल रहे है। ताकि भाजपा सरकार में उन्हें किसी बड़े पद की जिम्मेदारी दे दी जाएगी और उनका वनवास खत्म हो जाएगा।
नंदू भईया के बेटे को नहीं दिया टिकट
भारतीय जनता पार्टी के लिए परिवार के व्यक्ति कोई मायने नहीं रखते। यह बात प्रदेश भाजपा द्वारा लोकसभा सीट के लिए चयनित उम्मीदवार के नाम से जाहिर हो गया है। स्व. नंदकुमार चौहान की मौत के बाद से ही इस बात का आंकलन किया जा रहा था कि उपचुनाव में टिकट नंदू भईया के बेटे हर्षवर्धन सिंह को दिया जाएगा। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस पक्ष में थे कि नंदू भईया के बेटे को टिकट देने से सहानुभूति वोट कन्फर्म हो जाएंगे। लेकिन भाजपा ने चुनाव का टिकट ज्ञानेश्वर पाटिल को देकर परिवारवाद जैसी तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।

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