फर्जी डिग्री रखने वालों और ऐसे लोगों को अवतार मानने वालों के लिये यह एक बुरी खबर है। हमने हाल के कुछ वर्षों में ऐसे फ़्रॉड्स में भी दशावतार ढूंढना शुरू कर दिया है। फर्जी डिग्री के अयोध्या विधायक का मामला कोई अनोखा और अकेला मामला नहीं है। न ही यह केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित है। लेकिन इसका अनोखापन इसलिए है कि इस मामले की सुनवाई हुई और मुल्जिम को सज़ा मिली। ऐसा इसलिए हो सका कि एमएलए, एमपी के लिये गठित विशेष अदालतों ने अपना काम जल्दी निपटाया।
प्रकरण इस प्रकार है। अयोध्या की गोसाईगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को, फर्जी मार्कशीट के मामले में, पांच साल की सुनाई गई है। 29 साल पहले साकेत महाविद्यालय में अंक पत्र व बैक पेपर में कूट रचित दस्तावेज के सहारे धोखाधड़ी व हेराफेरी करने के मामले में खब्बू तिवारी विधायक के साथ ही, साकेत महाविद्यालय, छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व सपा नेता फूलचंद यादव और चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृपा निधान तिवारी पर सोमवार को, धारा 420/467/468/471 IPC का अपराध साबित होने पर एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोषी माना।
विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) पूजा सिंह ने इस भाजपा विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी खब्बू सहित तीनों आरोपितों को पांच-पांच वर्ष की सजा सुना दी। सभी पर 19 हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है। फैसले के बाद तीनों आरोपितों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया गया। साक्ष्य के रूप में पेश हुए, वादी एवं गवाहों के बयान के आधार पर कोर्ट की विशेष न्यायाधीश पूजा सिंह ने मामले में तीनों को दोषी पाया था।
इसके बाद इन तीनों को धारा 420 में तीन साल की सजा और छह हजार जुर्माना, 468 में पांच साल की सजा और आठ हजार जुर्माना और धारा 471 में दो साल की सजा और पांच हजार जुर्माना से दंडित किया।तीनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी सहित तीन आरोपियों की एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा की खबर सुनकर कचहरी परिसर के आसपास उनके समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई।
फर्जी डिग्री वाले सभी लोग, यह समझ लें कि, बचेंगे वे भी नही, अगर पुलिस ने विधिवत तफ्तीश और अदालत ने नियमित ट्रायल कर दिया तो। वे सभी लोग जो फर्जी डिग्री के आधार पर फर्जी हलफनामा दिये बैठे हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए और उन्हें सजा भी मिलनी चाहिए।