अग्नि आलोक
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पँडोरा के संदुक में छिपी संपत्ती –‘पँडोरा पेपर्स’

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अभिजीत वेध्य

प्राचीन ग्रीस की एक दंत कथा काफी मशहूर है ।देवों का राजा झुस से प्रोमेथस नामक दूसरे देव ने अग्नि की चोरी की और पृथ्वी पर  मानव को दी । संतप्त झुस ने प्रोमेथस को इसकी सजा देने के लिये ‘पँडोरा’ नामक रूपसुंदरी का निर्माण की और प्रोमेथास का भाई-एपिमेथस को भेट दी ।पँडोरा के मोह में पागल एपिथेमस ने उसके साथ शादी की ।झुस ने पँडोराको शादी के तोह्फे में एक संदुक दी और इसे कभी भी खोलना नही ऐसी चेतावनी भी दी । लेकिन उस संदुक में क्या है इसका राज जानने के लिये पँडोराने बडे उत्साह के साथ आखिर में संदुक खोल ही दी और झुस ने उसमें  रखा हुआ द्वेश मस्तर, लालसा, वेदना तथा व्याधी आदि सब मानवजाती को परेशान करने हेतू बाहर निकल पडे ।

Pandora Papers to reveal names of more Pakistanis with off-shore accounts

ऐसी ही एक पँडोरा की संदुक ‘इंटनेशनलकन्सोर्टीयम फॉर इन्हेसीगेटीव इनव्हेस्टिगेटीव  जर्नालिझम’ नामक संस्थाने खोल दी और उसमें छिपे घीनोनी संपत्ती का पुरे विश्व को दर्शन हुआ, जो क्षति पहुचाने वाला था । यह संपत्ती अपने-अपने राष्ट्र से छीपाकर रखनेवाले नररत्नों की सूची, उसके कागजात–‘पँडोरा पेपर्स’ इस संदुक से निकल चुके है । इस संस्था की ओर से २०१६ में ‘पनामा पेपर्स’ तथा २०१७ में ‘पॆँरेडाईज पेपर्स’ के माध्यम से रईस लोग अपनी संपत्ति देश के बाहर की नकली संस्थाएँ तथा कंपनीयाँ निर्माण करके उसमें किस तरह निवेश करते है और लगान नही भरते उसका पर्दाफाश किया था । इसका ज्यादा तर पैसा आतंकवादी कुकर्म के लिए दिया जाता है यह भी स्पष्ट किया था । इसमें विश्व के राजनीतिक नेता, सत्ताधारी, उद्योगपति,अभिनेता, खिलाडी जैसे अनेक लोग थे ।इसके कारण आईस लैंड के प्रधान मंत्री को इस्तीफा देना पडा और पाकिस्तान के नेता को बाहर का रास्ता अपनाना पडा । पँडोरा पेपर्स के माध्यम से यही वास्तव अधिक स्पष्टता से खुला हुआ ।इसके लिये गत अनेक वर्षों से ११७ देशों के ६०० से अधिक पत्रकार दिनरात काम करते थे ।विश्व की १४ सेवा–संस्थाओं ने निर्माण की हुई २९ हजार पेढीयाँ और विश्वस्त संस्थाओं की कुल सव्वा करोड फाइल्स, ५ लाख तुलन पत्रक तथा १०लाख इमेल्स की खोज की।इसमेंसे १९७० से २०२० तक के कालावधी की ३ टेराबाईटस इतनी जानकारी प्राप्त हुई । इस जानकारी से प्राप्त आर्थिक वास्तव भयानक है । विश्व के सत्ताधारी, नेता, करोडपती, सेलेब्रेटीज  तथा अमली पदार्थों के व्यापारी अपनी संपत्ती, दरबार की चीजे, अलिशान जहाज जैसी ऐयाशी चीजों में छिपाकर कीस तरह से निवेश करते है और अपने देश की महसूल व्यवस्था को किस तरह से फँसाते हैं इसका ब्यौरा सम्मुख आ गया । इसके लिये ‘ऑफ शोअर’ कंपनीयों की सहायता ली जाती है ।‘ऑफशोअर’ का अर्थ है ऐसे देश -जहाँ कंपनी स्थापित करना आसान होता है । कंपनी के मालिक को गोपनीयता की हमी दी जाती है और वहाँ महसूल न्यूनतम होता है या होता ही नही । ऐसे देश, याने ‘टैक्स हेवन’- महसूल न भरने वालों का आश्रयस्थान, स्वर्ग ! कायमन, ब्रिटीश,व्हर्जिनिया द्वीप,स्वित्झर्लंड, सिंगापूर, समोआ, बेलीझ तथा पनामा आदि अनेक देशो में ऐसी हेवन्स उपलब्ध करके दी है ।इन सभी की मदद करने हेतू पुरे विश्व में बहुत सारी फर्म्स है ।इन फर्म्स की सहायता से महसूल न भरनेवाली व्यक्ती ऐसे स्थानो पर पुरी तरह से नकली कंपनी या न्यास स्थापित करती है और यह कंपनी या ट्रस्ट निवेश करती है। विदेश में ट्रस्ट स्थापित करना गैर कानूनी नही है । भारतीय विश्वस्त संस्था संविधान १८८२ के अनुसार इस तरह का न्यास विदेश में स्थापित करने के लिये कानूनन स्वीकृती आवश्यक है ।सवाल खडा होता है न्यास निर्माण करने का हेतू, उद्दिष्ट, ध्येय  तथा इसकी कार्य पद्धति का । अभी अभी खुली हुई पँडोरा की संदुक में ऐसी कंपनीयाँ तथा न्यास के माध्यम से करीबन ३२ ट्रीलीयन डॉलर्स संपत्ती छीपी हुई है ऐसी आशंका है ।जिसके कारण पुरे विश्व का हर साल ६०० बिलियन डॉलर्स के महसूल का नुकसान होता है ।

पँडोरा के संदुक से कई भारतीय नररत्न भी बाहर आ गए है । भारतरत्न सचिन तेंडुलकर, उसकी पत्नी अंजली, ससुर आनंद मेहता, भारत मे दिवालीया माना गया अनिल अंबानी, हजारो- करोडो रुपयों को चुना लगाने वाला निरव मोदी, उसकी बहन पुरवी मोदी, स्वर्गस्थ कॉंग्रेस नेता कॅप्टन सतीश शर्मा, अभिनेता जॅकी श्रॉफ एवं परिवार, नीरा राडिया, गौतम अदानी का बडा भाई विनोद अदानी, किरण मुजुमदार का पति, दाऊद का सहयोगी इक्बाल मिर्ची आदि ३०० से अधिक भारतीय है ।ये नाम छपवाते समय माध्यमो (मिडिया) ने तरफदारी करके सतीश शर्मा के नाम के आगे ‘गांधी परिवार का मित्र’ ऐसा अनुरोधपूर्वक लिखा लेकिन अनिल अंबानी के आगे  ‘राफेल निर्माता’ या अदानी के आगे ‘मोदी जी ने जीन बंधूओं के हवाई जहाज प्रचार हेतू इस्तेमाल की’ ऐसा  उल्लेख करना टाल दिया । २१ हजार करोडरुपयों का हेरोईन जिस अदानी के बंदरगाह में मिला उनका नाम तक लेने के लिये मिडिया की जिव्हा डर जाती है और उन्हे समय नही मिलता, लेकिन शाहरुखखान के बेटे का समाचार देने के लिये उनकी कलम तेजतर्रार चलती है और उन्हे २४ घंटो का समय भी काफी नही होता । हमारे देश की मिडिया ने शर्म की सारी सीमाएँ पार की है ।

भारत के रईस लोग अनेक दशकों से अमर्याद संपत्ती हासील करके भी अन्यान्य मार्गों से अरबों रुपयों का महसूल नहीं भरते या सत्ताधारी लोगों से हाथ मिलाकर अरबों रुपयों का महसूल माफ लेते है । मोदी सरकार ने तो महसूल में सहुलीयत देने में उंचा स्थान प्राप्त किया है ।उनकी सरकार ने जिन चुटकी भर उद्योग पतियों को लाखो करोडो रुपयों का महसूल माफ किया है उसमें अंबानी और अदानी उंचे स्थान पर है । वास्तव में यह पैसा भारतीय जनता के पसीने का है ।इन पैसों से भारतीय जनताशिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, पानी, निवारा,रोजगार आदि मुलभूत समस्याओं से बाहर निकल आ सकती है ।अरबों रुपयों का मुनाफा प्राप्त करने वाले इन रईसों को इतनी संपत्ती मिलने पर भी प्रामाणिकता से महसूल भरने की इच्छा नही होती इस प्रश्न का उत्तर उनकी लालची एवं स्वार्थयुक्त प्रवृत्ती में है । मुक्त पुँजीवाद ने चंद लोगों को ज्यादातर संपत्ती का मालिक बनाया । कंपू पुँजीवादयाने  क्रोनी कँपीटलीझम तो इसके आगे निकल पडा । इस अर्थव्यवस्था के कारण चंद लोगों के हाथ में संपत्ती इकटठा होने की शुरुवात हुई । ऐसा होने पर भी हमारे देश में अमर्यादीत एवं अनिर्बंध पुँजीवाद को बढावा दिया जा रहा है । इसके लिये देश के सभी व्यवसाय बिक डालने का धड़ल्ला लगा रखा है ।अंबानी एवं अदानी अपने उद्योग चोरी डकैती, धोखाधडी तथा अनेक गैरमार्ग अपनाकर भी मुनाफे में नही चला सकते इसलीए उन्हे महसूल में सहुलीयत दी जाती है । अत उन्होने जीवन बिमा जैसी सरकार की तिजोरी में बडा फायदा जमा करनेवाले शासकीय उपक्रमों का अभ्यास करना चाहिए ।

जिसका भरोसा नही ऐसी खेती करनेवाले किसानों ने कर्ज माफ करने की माँग की तो उन्हे, ‘आलस्यत्यागकर व्यसन छोडे तब नफा मिलेगा’ इस तरह के व्याख्यान दिए जाते है । असंघटित मजदूरों ने फुटकर निवृत्ती वेतन की मांग की तो उनकीउपेक्षा की जाती है । लेकिन अपनी पत्नी को जन्मदिन के अवसर पर २५० करोड का हवाई जहाज का तोहफा देनेवाले मुकेश अंबानी या खुद को दिवालीया घोषित करके हाथ झाडनेवाले अनिल अंबानी को करोड़ों रुपयों की महसूल में सहुलीयत दी जाती है ।हजारों करोडो का फालतू साम्राज्य निर्माण करनेवाले रामदेव को सैकडो, हजारो एकड जमीन कवड़ी मोलदाम में दी जाती है ।

स्वातंत्र्य मिलने के पश्चात भारत देश ने मिश्र अर्थव्यवस्था का स्वीकार किया । यह अर्थव्यवस्था सार्वजनिक एवं निजी, दोनो क्षेत्रों को एक दुसरे से पर्याप्त भूमिका देकर आगे बढनेवाली थी ।अगले अनेक दशकों में भारत के सार्वजनिक क्षेत्र ने अपने देश की स्थापना में जो भूमिका निभाई वह बडी महत्त्वपूर्ण  है । देश का परिवहन, वाहतूक, सडके, रेल, हवाई एवं जल वाहतूक, संपर्क, टेलिग्राम, टपाल, बिजलीनिर्मिती, दूरभाष, दूरचित्रवाणी, शिक्षण, विश्व विद्यालय, वैद्यकीय एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, अनाज का सार्वजनिक वितरण, दवाईयों की निर्मिती, अणुउर्जा,इंधन, संशोधन,प्राथमिक,द्वितीय तथा तृतीय स्तर की आरोग्य यंत्रणा, आय.आय.टी,आय.आय.एम., फिल्म इन्स्टिट्यूट, बीमा,पर्यटन— आदि अनेक क्षेत्र सार्वजनिक उद्योग की यशस्वी प्रभूत्त्व अपनानेवाली थी । आज हमारी सरकार ये सब नष्ट कर रही है या सब बिकने का इरादा है ।ये सब लोग पँडोराकी संदुक के सभी बुराइयों के प्रतिनिधी है इसे भुलना नही चाहिये । भारत जैसे देश में कुछ क्षेत्र कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी सरकार ने ही उठानी चाहिये ।साथ-साथ निजी क्षेत्र को रोजगार तथा संपत्ती निर्माण करने की अनुमती देते समय यह क्षेत्र न्याय्य एवं समान पद्धतीसे बढेगा इस पर भी ध्यान देना होगा ।

पँडोराने कौतूहल बढने पर संदुक तो खोल दी और उसी क्षण झुस ने उसमें बंद की हुई सबकुछ बुराईयाँ बाहर निकलने लगी, तब उसने संदुक का ढक्कन तुरंत बंद कर दिया । लेकिन झुसने उस संदुक में बुरी चीजों के साथ एक अच्छी चीज रखी थी जिसका नाम था ‘आशा’ । पँडोरा ने डरकर ढक्कन बंद किया और यह एकमात्र चीज बाहर निकल नही सकी ।पँडोरा के उस संदुक में आज भी  ‘आशा’ नामक चीज बंदिस्त है । विश्व के निर्भय पत्रकारोंने विश्व का भयावय मुखौटा दर्शानेवाली पँडोरा की संदुक खोल ही दी है तो अब ‘आशा ‘ नामक बात उसमें से बाहर आनेतक उसका ढक्कन बंद करना उचित नही।

विश्व को परेशान करनेवाली कोरोना महामारी दीपावली के प्रकाश के साथ खत्म होगी । देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में लेनेवाले, भारत की आत्मा के तुकडे करनेवाले सत्ताधारी लोगों से अपने देश को जल्द ही मुक्ती मिलेगी इस ‘आशा’ के साथ हमारे सभी पाठक, हिंतचिंतको को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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