अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

पूंजीपति घराने से आने के बावजूद आजीवन वैचारिक तौर पर समाजवादी बने रहे कमल मोरारका

Share
डॉ। सुनीलम

अविश्वसनीय ,भरोसा नहीं हो रहा की खबर सही है।
देश के बड़े व्यापारिक घराने के मुखिया होने के बावजूद अंतिम समय तक मोदी की सत्ता को चुनौती देते रहे कमल मोरारका जी।
मैंने उनसे कई बार कहा कि आप जैसा बोलते और लिखते हैं, लगता है आप जेल जाने की तैयारी कर चुके हैं ,फिर मैं पुछता था कि आप जेल जाना चाहते हैं ?
वे हंस कर हर समय कहते थे इससे अच्छा क्या हो सकता है?
उन्होंने जीवन भर अध्यक्ष जी( चंद्रशेखर जी ) के विचारों के साथ जुड़ कर काम किया। जब भी मिलते चंद्रशेखर जी से जुड़े कई किस्से सुनाते। फिर कहते चंद्रशेखर जी जैसा कोई दूसरा राजनीतिज्ञ मैंने कोई दूसरा नहीं देखा।
हर बार वे अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चाचा जी का जिक्र जरूर करते ,जिनके माध्यम से वे राजनीति में आये थे।
खुद को सदा समाजवादी आंदोलन का अदना सिपाही माना। चौथी दुनिया के मालिक थे लेकिन छपास की बीमारी उन्हें प्रभावित नहीं कर सकी।
उनके सम्पर्क में जो भी था जिसको जो भी आर्थिक मदद की जरूरत हुई ।मदद देते रहे। कभी एहसान नहीं बताया ।कभी मदद के बदले में कुछ भी नहीं मांगा।
कमल जी के सहयोग के चलते समाजवादी आंदोलन पर कई किताबें प्रकाशित हो सकीं।
जनता वीकली को भी वे विज्ञापन के माध्यम से मदद करते है।
मेरी उनसे जितनी बार भी मुलाकात हुई ।राजनीतिक मुद्दों पर खूब बहस होती थी। जब भी मिला जी जी परीख जी के बारे में सबसे पहले पूछते थे। फिर कहते थे यूसूफ मेहेर सेंटर और जनता वीकली के भविष्य के बारे में चिंतित हूं । फिर कहते थे जो गलती चंद्रशेखर जी ने की वह जी जी को नहीं करनी चाहिए। चाय पिलाते और साथ मे बिस्कुट और सूखे चने खिलाते। उनकी टेबल
पर दुनिया की नवीनतम किताबें देखी जा सकती हैं ।
समाजवादी आंदोलन पर प्रोफेसर विनोद प्रसाद सिंह जी के साथ दो किताबें प्रकाशित करने में उन्होंने मदद की।
आजीवन वे राजस्थान से जुड़े रहे। सालाना सांस्कृतिक कार्यक्रम करना और जैविक खेती को बढ़ावा देने के काम मे वे व्यक्तिगत रुचि लेते थे।
लगातार लिखना पढ़ना उनके जीवन जीने का तरीका था।सभी पार्टियों के नेताओं के बीच उनके मधुर रिश्ते
तमाम वैचारिक मतभेदों के बाबजूद भी बने रहे।
यह साल वे रमजान के महीने में दिल्ली में एक रोजा अफ्तार का आयोजन करते थे।जिंसमे दिल्ली की सभी पार्टियों की नामचीन हस्तियां शामिल होती थीं।

कोरोना काल मे मेरी उनसे कई बार फोन पर बात हुई। देश भर में क्या चल रहा है यह जानने में और उसका विश्लेषण करने में उनकी रुचि रहती थी।
एक बार समाजवादी समागम की ऑनलाइन चर्चा में भी शामिल हुए।
पूंजीपति घराने से आने के बावजूद आजीवन वैचारिक तौर पर समाजवादी बने रहना और खुल कर समाजवाद के विचार का समर्थन कमल मोरारका जैसे बिरले व्यक्ति ही कर सकते है। कम लोगों को मालूम होगा कि वे समाजवादी जनता पार्टी नामक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जिंसमे केवल खांटी समाजवादी ही पदाधिकारी हैं। उन्होंने कभी पैसे से पार्टी को स्थापित करने का प्रयास नहीं किया।सभी साथियों को बहुत याद आएंगे कमल मोरारका जी।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें