-निर्मल कुमार शर्मा
अभी पिछले दिनों भारत सरकार द्वारा गठित नीति आयोग ने ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवेलपमेंट इनिशिएटिव यानी ओपीएचआई और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यानी यूएनडीपी द्वारा विकसित, विश्वस्तरीय स्तर पर स्वीकृत और विश्वसनीय कार्यप्रणाली का उपयोग करते हुए भारत का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक जिसे अंग्रेजी में एमपीआई यानी Multidimensional Poverty Index कहते हैं,जारी किया। भारत के एमपीआई में तीन समान आयाम क्रमशः स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर शामिल हैं। ये तीनों स्तर पोषण,बाल और किशोर मृत्यु दर,प्रसवपूर्व देख-भाल,स्कूली शिक्षा के वर्ष,स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन,स्वच्छता, पीने का पानी,बिजली,आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों द्वारा दर्शित किए जाते हैं । इसे विस्तृत रूप से निम्न सारिणी से समझ सकते हैं।
संकेतक और कटऑफ
ग्लोबल एमपीआई निम्नलिखित कटऑफ के साथ निम्नलिखित दस संकेतकों का उपयोग करता है।
आयाम | संकेतक | अभाव कटऑफ |
---|---|---|
स्वास्थ्य | बाल मृत्यु दर | वंचित अगर परिवार में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे की मृत्यु हो गई है, सर्वेक्षण से पहले के 5 वर्षों में। |
पोषण | वंचित अगर कोई वयस्क या बच्चा, जिसके लिए पोषण संबंधी जानकारी है, कुपोषित है। | |
शिक्षा | स्कूली शिक्षा के वर्ष | वंचित अगर घर के किसी सदस्य ने स्कूली शिक्षा के छह साल पूरे नहीं किए हैं। |
विद्यालय उपस्तिथि | ‘स्कूल प्रवेश आयु + छह’ वर्ष या उससे अधिक आयु के घर के किसी भी सदस्य ने स्कूली शिक्षा के छह साल पूरे नहीं किए हैं। | |
जीवन स्तर | खाना पकाने का ईंधन | घर के लोग गोबर, लकड़ी या चारकोल से खाना बनाते हैं तो वंचित। |
स्वच्छता | घर की स्वच्छता सुविधा में सुधार नहीं होने पर वंचित होना ( एमडीजी दिशानिर्देशों के अनुसार ), या इसमें सुधार किया जाता है लेकिन अन्य घरों के साथ साझा किया जाता है। | |
पीने का पानी | यदि परिवार के पास बेहतर पेयजल (एमडीजी दिशानिर्देशों के अनुसार) तक पहुंच नहीं है या पीने के पानी में सुधार नहीं है, तो घर के चक्कर से 30 मिनट से अधिक की पैदल दूरी पर है। | |
बिजली | घर में बिजली नहीं है तो वंचित। | |
आवास | छत, दीवारों और फर्श के लिए तीन आवास सामग्री में से कम से कम एक अपर्याप्त होने पर वंचित: फर्श प्राकृतिक सामग्री का है और /या छत और /या दीवारें प्राकृतिक या प्राथमिक सामग्री की हैं। | |
संपत्तियां | वंचित अगर परिवार के पास इनमें से एक से अधिक संपत्ति नहीं है: रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, पशु गाड़ी, साइकिल, मोटरबाइक या रेफ्रिजरेटर और कार या ट्रक का मालिक नहीं है। |
इस गरीबी सूचकांक के अनुसार भारत में सबसे गरीब उत्तर भारत के ज्यादेतर राज्य हैं,जबकि दक्षिण का इसमें एक भी राज्य नहीं है ! इस सूचकांक में सुदूर दक्षिणी राज्य केरल सबसे सुखी राज्य है और उत्तर भारत के राज्यों में भी सबसे गरीब बिहार राज्य है ! सबसे गरीब राज्यों में क्रमबद्ध रूप से बिहार में सर्वाधिक 51.91 प्रतिशत गरीब जनता है,उसके बाद झारखंड 42.16 प्रतिशत,उत्तर प्रदेश 37.79प्रतिशत, मध्यप्रदेश 36.65 प्रतिशत और मेघालय 32.67 प्रतिशत है ।
सबसे धनी राज्यों में केरल में केवल 0.71 प्रतिशत गरीब लोग हैं,उसके बाद गोवा में 3.76प्रतिशत,सिक्किम में 3.82 प्रतिशत और पंजाब में 5.59 प्रतिशत गरीबी है । केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादे गरीबी दादरा व नगर हवेली में है जहाँ 37.36 प्रतिशत लोग गरीब है,उसके बाद जम्मूकश्मीर में 12.58 प्रतिशत,दमन और दीव में 6.82 प्रतिशत और चंडीगढ़ में 5.97 प्रतिशत गरीब लोग हैं। केन्द्र शासित प्रदेशों में सबसे सुखी राज्य पुडुचेरी है जिसमें सिर्फ 1.72 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं,उसके बाद लक्षद्वीप में 1.82 प्रतिशत,अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में 4.30 प्रतिशत तथा दिल्ली में 4.79 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
सन् 2015 में दुनिया के 193 देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों यानी एसडीजी जिसे अंग्रेजी में Sustainable Development Goals कहते हैं, के ढांचे ने दुनिया भर में विकास की प्रगति को मापने के लिए विकास नीतियों, सरकारी प्राथमिकताओं और पैमाने को फिर से परिभाषित किया,17 वैश्विक और कुल 169 लक्ष्यों के साथ एसडीजी अपने पूर्ववर्ती मिलेनियम डेवेलपमेंट गोल्स यानी एमडीजी की तुलना में बहुत विस्तृत फलक में है ।
भारत सरकार द्वारा गठित नीति आयोग द्वारा जारी भारत की इस राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से एक बात बहुत स्पष्टता से परिलक्षित हो रही है कि उत्तर भारत के अधिकांशतः राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश भारत के दक्षिणी राज्यों से आर्थिक प्रगति के मामले में बहुत पिछड़े हुए हैं। इस राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक लिस्ट में यह बात बहुत ध्यानपूर्वक गौर करनेवाली है कि उत्तर भारत के राज्यों से तुलनात्मक रूप से दक्षिण भारत के अधिकांश राज्य केवल आँन्ध्रप्रदेश को अपवाद मान लें जब तक उसकी राजधानी हैदराबाद थी अन्य सभी दक्षिणी राज्य शांति और अमन-चैन से रह रहे हैं,जबकि उत्तर भारत के अधिकांश राज्य दंगे-फसादों आदि से अपने राज्य का सामाजिक सौहार्द और सामाजिक तानाबाना अस्थिर व कलहपूर्ण बनाए हुए हैं ! विगत दशकों में जितने भी हिन्दू-मुस्लिम,मंदिर-मस्जिद के कारण भयावतम् दंगे हुए हैं,वे सभी दंगे उत्तर भारत के राज्यों में यथा बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में हुए हैं। इन राज्यों के ज्यादेतर सत्ता के कर्णधार जनता की मूल समस्याओं यथा शिक्षा,स्वास्थ्य,भोजन,कुपोषण, बेरोजगारी,भ्रष्टाचार आदि समस्याओं को अपनी कुटिल चालों से आमजनता को भ्रमित कर उन्हें नेपथ्य में धकेलकर मंदिर-मस्जिद और हिन्दू-मुस्लिम आदि अनर्गल और काल्पनिक समस्याओं में ही उलझाए रखने में सफल होते रहे हैं ! उत्तर भारत के राज्यों में गरीबी का यही मुख्य कारण है, उत्तर प्रदेश का कथित योगी मुख्यमंत्री अभी भी उत्तरप्रदेश के चुनाव के पूर्व नफरत का बीज बोने का लगातार प्रयास किए जा रहा है।
-निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उप्र,