इंदौर
चेन्नई की एक मूक-बधिर युवती के प्रेम की भाषा कोई नहीं समझ पाया तो वह अकेले ही 1600 किमी दूर इंदौर आ गई। यहां से अपने परिजन को मनाकर कनाडा निवासी दोस्त से प्रेमबंधन जोड़ लिया। परिवार वालों ने उसका रिश्ता सामान्य युवक से तय किया था, लेकिन वह अपने जैसा जीवन साथी चाहती थी। वहां जब कोई उसकी बात समझने को तैयार नहीं हुआ तो इंटरनेट सर्च के आधार पर पाया कि ऐसे मामलों में इंदौर में काफी मदद मिल सकती है। वह 9 दिसंबर को सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञानेंद्र पुरोहित से मिली। उन्होंने उसे आश्रय व काउंसलिंग के लिए छावनी स्थित सखी केंद्र छोड़ा। लंबी काउंसलिंग के बाद परिजन माने।
भाषा की वजह से काउंसलिंग में आई दिक्कत, अंग्रेजी में लिखकर बात की
सखी केंद्र की प्रशासक डॉ. वंचना सिंह परिहार ने बताया कि कागज पर इंग्लिश में लिखकर बातचीत शुरू की। उसने कनाडा निवासी प्रेमी से वीडियो कॉल पर बात करने की इच्छा जताई। उसकी बात कराई तो उसने इंदौर आने की पूरी कहानी बताई। ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए उसके चाचा और भाई को समझाया है तो वह अपने रीति रिवाज से विवाह को तैयार हो गए।