विदेश यात्राओं पर 02 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च*
बड़ा सवाल- काम से ज्यादा ब्रांडिंग पर फोकस क्यों?
विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन
देश के प्रति व्यक्ति की सालाना आय 99 हजार और प्रतिदिन की आय महज 273 रुपए है। इस हिसाब से प्रति व्यक्ति की मासिक आय 8300 रुपए है। जबकि इससे ज्यादा का खर्च प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी का प्रति मिनट खर्च है। प्रति मिनट एसपीजी पर सरकार 8125 रुपए खर्च करती है। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो 95 करोड़ लोग देश में ऐसे हैं जिनकी प्रतिदिन की आय दो डॉलर है। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो डॉलर प्रतिदिन कमाने वाले व्यक्ति को गरीबों की श्रेणी में रखा जाता है। वहीं, 28 करोड़ 50 लाख लोग ऐसे हैं जो प्रतिदिन महज सवा डॉलर यानी लगभग 100 रुपए कमाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर रोजाना 01 करोड़ 17 लाख रुपये खर्च होते हैं। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) सिर्फ प्रधानमंत्री को सुरक्षा देता है।
60 से अधिक विदेशी यात्राओं पर अरबों खर्च
प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने अब तक लगभग 60 से अधिक देशों की यात्राएं की हैं। उनकी इन विदेश यात्राओं में जून 2014 से लेकर अब तक अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। जानकारों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक सबसे ज्यादा विदेश यात्रा करने वाले प्रधानमंत्रियों की सूची में शामिल हो चुके हैं।
यह हैं सबसे मंहगी विदेश यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा पर सबसे ज्यादा खर्च 09 अप्रैल से 17 अप्रैल 2015 तक की 9 दिवसीय फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा पर आया था। इस यात्रा पर लिए गए चार्टर्ड फ्लाइट पर ही सिर्फ 31.25 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इतना ही नहीं 11 नवंबर से 20 नवंबर 2014 के बीच म्यामांर, आस्ट्रेलिया और फीजी की यात्रा पर 22.58 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो उनकी दूसरी सबसे मंहगी विदेश यात्रा की सूची में शामिल है। जबकि मनमोहन सिंह की सबसे मंहगी विदेश यात्रा 16 जून से 23 जून 2012 के दौरान मैक्सिको और ब्राजील की यात्रा पर हुई जिसमें लगभग 26.94 करोड़ खर्च हुए। प्रधानमंत्री की अब तक की विदेश यात्राओं पर लगभग 02 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी हैं।
ब्रांडिंग पर प्रतिदिन दो करोड़ से अधिक करते हैं खर्च
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के प्रचार-प्रसार पर लगभग दो करोड़ से अधिक की राशि प्रतिदिन खर्च की जाती है। इसमें अखबारों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और होर्डिंग्स आदि में विज्ञापनों के माध्यम से लगभग 713.20 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। यही नहीं मोदी सरकार की तरफ से विदेशी मीडिया प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, आउटडोर मीडिया और प्रिंट प्रचार पर 3,767.2651 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
बड़ा सवाल- काम से ज्यादा ब्रांडिंग पर फोकस क्यों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगभग सात साल के कार्यकाल को देखे तो मोदी सरकार ने काम से ज्यादा ब्रांडिंग पर फोकस किया है। जितना खर्च सरकार ने अपनी इमेज को चमकाने में किया है, उतनी राशि यदि गरीबों के विकास से जुड़ी योजनाओं पर लगाई जाती तो निश्चित ही देश के गरीब को इसका लाभ मिलता। प्रधानमंत्री को यह बात समझना चाहिए कि यदि आप जनहित में कार्य करने पर फोकस करेंगे तो आपको अपनी इमेज से अलग से बिल्डअप कराने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। जनता खुद आपके काम को देखेगी और उसकी सराहना भी करेगी।