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कपड़ा कारोबार: दुकानों में 200 करोड़ का माल, स्टॉक क्लीयर करने अब डिस्काउंट के ऑफर

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इंदौर

कपड़े पर 1 जनवरी से जीएसटी की दर 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगी। ऐसे में दुकान, शोरूम पर रखा माल 7 फीसदी महंगा हो जाएगा। टैक्स बढ़ा तो पुराने माल से ग्राहक दूरी बनाएगा। इसे देखते हुए अब कारोबारी इस पुराने माल का स्टॉक क्लीयर करने का रास्ता खोजने लगे हैं। कई दुकानदारों ने डिस्काउंट ऑफर देना शुरू कर दिए हैं, जिससे पुराना स्टॉक क्लीयर हो सके।

इंदौर में 10 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े कपड़ा कारोबारी हैं। इनके पास 200 करोड़ से ज्यादा का माल अभी रखा हुआ है, जिसे उन्हें 31 दिसंबर तक क्लीयर करना है। यदि यह माल क्लीयर नहीं होता है तो ऐसे में दुकानदारों के पास अलग-अलग रास्ते हैं। ऐसा नहीं करने पर कारोबारी को पुराने माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट तो 5 फीसदी की दर से मिलेगी, लेकिन टैक्स 12 फीसदी से लगेगा। ऐसे में यह बोझ दुकानदार या ग्राहक पर आएगा।

जीएसटी के विरोध में कपड़ा कारोबारियों ने जारी किया गाना

कपड़ा व्यापारी कहता है दिल से, कपड़े से जीएसटी को हटाओ… दिल्ली वाले मोदीजी सुन लो आया है दर पे कपड़ा व्यापारी… यह उस गाने के बोल हैं जिसे इंदौर के कपड़ा एसोसिएशन ने मिलकर जीएसटी के विरोध में सोमवार को जारी किया है। सभी कपड़ा कारोबारी मंगलवार से प्रदेश स्तर पर शाम 7 से 7.20 बजे तक का ब्लैकआउट करेंगे। दुकानों के बाहर खड़े होकर शंख, थाली भी बजाएंगे।

इस फॉर्मूले से बच सकते हैं पुराने स्टॉक पर 12 फीसदी की दर से

वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल बताते हैं कि टैक्स की इस दर से बचने के लिए जीएसटी के एक्ट की धारा 14 में ही प्रावधान है। दुकानदार यदि ग्राहक या किसी अन्य को कपड़ा बेचता है तो उसे डिलीवरी, बिल और पेमेंट इनमें से कम से कम दो स्थिति 31 दिसंबर से पहले करना होगी।

1.यदि उसने माल की डिलीवरी ली और बिल बनवा लिया तो पेमेंट वह 31 दिसंबर के बाद भी करेगा तो टैक्स की पुरानी दर ही लगेगी।

2.बिल बनवाया और पेमेंट कर दिया तो वह डिलीवरी 31 दिसंबर के बाद भी ले सकता है।

3.डिलीवरी ले ली हो, पेमेंट भी कर दिया हो तो कारोबारी बिल बाद में भी ले सकता है।

  • (इन तीनों स्थिति में टैक्स की दर 5 फीसदी रहेगी। चेक से भुगतान किया तो 4 जनवरी तक भुगतान होना चाहिए)।

थोक कारोबारी यह कर सकते हैं

गोयल ने बताया कि थोक कारोबारी जिस फैक्टरी से माल लिया है, उसे यह माल 31 दिसंबर के पहले वापस कर सकता है और फिर 1 जनवरी को नई टैक्स स्लैब के हिसाब से नया बिल बनवाकर यह माल वापस खरीद सकता है। फैक्टरी वालों को इनुपट क्रेडिट मिलती है, तो उन पर टैक्स का बोझ नहीं आएगा और थोक कारोबारी को नई स्लैब से बिल मिलेगा तो वह नई टैक्स स्लैब से ही माल आगे बढ़ा सकते हैं।

कंपोजिशन डीलर का भी विकल्प

कंपोजिशन डीलर को भी दुकानदार अपना माल दे सकते हैं, लेकिन उन्हें भी यह 31 दिसंबर तक करना होगा। कंपोजिशन डीलर ग्राहक से टैक्स नहीं लेता है, ऐसे में उसे ग्राहक से अतिरिक्त टैक्स लेने की जरूरत नहीं होगी।

और ग्राहक पर यह बोझ- 1 जनवरी से 10 हजार के कपड़े लेने पर 500 की जगह 1200 रुपए का टैक्स

1 जनवरी से 10 हजार के कपड़े लेने पर 500 की जगह ग्राहक को 1200 रुपए का टैक्स लगेगा। यानी जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी होने से 10 हजार की खरीदी पर ग्राहक पर 700 रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।

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