अभी 5 राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है और इन चुनावों में हजारों लोग बतौर पोलिंग एजेंट और बूथ एजेंट नियुक्त होंगे। लाखों सरकारी कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी लगेगी, लेकिन राजनीतिक पार्टियों व नेताओं ने इन सभी के जीवन को दांव पर लगा दिया है।
इस ओर चुनाव आयोग और अन्य बड़ी पार्टियों का ध्यान आकर्षित करने हेतु जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवनीत चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में इन चुनावों को स्थगित करने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की है। इस जनहित याचिका में निम्न पहलुओं को संज्ञान में लाया गया है:
1. चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनावी ड्यूटी में तैनात सभी सरकारी कर्मियों को तीसरी बूस्टर डोज प्रिकॉशन के तहत लगाई जाएगी, पोलिंग एजेंट, बूथ एजेंट व सभी सरकारी कर्मियों को फ्रंट लाइन वर्कर्स का दर्जा दिया गया है।
2. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि तीसरी बूस्टर डोज और सेकंड डोज के बीच 9 महीने का अंतर होना चाहिए।
3. वहीं तीसरी बूस्टर डोज बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का कहना है कि सेकंड डोज व तीसरी बूस्टर डोज के बीच कम से कम 6 महीने का अंतर होना चाहिए।
4. यह कौन तय करेगा कि सेकंड डोज व बूस्टर डोज में अंतर 6 महीने का होगा या 9 महीने का।
5. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि चुनावों के मद्दे नजर सरकार फ्रंट लाईन वर्करों को ताबड़तोड़ तीसरा बूस्टर डोज लगाए जा रही है।
6. यदि 6 महीने का लॉजिक माने तो सभी को सेकंड डोज जून-जुलाई में लग जानी चाहिए थी और 9 महीने का लॉजिक स्वीकार करें तो अप्रैल-मई में सेकिंड डोज लगी हुई होनी चाहिए।
7. हकीकत यह है कि अधिकांश लोगों को सेकंड डोज लगी ही सितंबर से दिसंबर के बीच मे है तो बिना तय मानकों के तीसरी बूस्टर डोज क्यों लगाई जा रही है?
8. ऐसे में यदि किसी को बूस्टर डोज लगाने से कुछ हुआ तो उसकी जवाबदेही कौन लेगा ?
इन्ही सब तर्को व तथ्यों के आधार पर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नवनीत चतुर्वेदी ने राजनीति से परे हटकर मानवता व इंसानियत के नाते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और गुहार लगाई है कि हर हाल में चुनाव रोके जाएँ क्योंकि सरकार अपना एजेंडा चलाने हेतु लाखों निरीह मासूम सरकारी कर्मियों को तीसरा बूस्टर डोज समय से पहले लगा देगी।
चुनाव में ड्यूटी करने वाले लाखों कर्मियों का अपना परिवार है बच्चें है, हमें राजनीति से अलग हटकर उनकी तरफ भी देखना है।
यदि चुनाव 2-4 महीना टाल दिया जाए तो कोई कयामत नहीं टूट पड़ेगी और किसी के राजनीतिक हित लाखों लोगों की जान से ज्यादा कीमती नहीं हो सकते।