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निगम-मंडलों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों ने मांगे बंगले लेकिन सरकार के पास खाली नहीं

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भोपाल

प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के 20 महीने बाद निगम-मंडलों के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन बनने वाले नेताओं को अब भोपाल में गाड़ी और बंगला चाहिए। इन नेताओं ने बंगले के लिए सरकार को चिट्ठी लिखनी शुरू कर दी है, लेकिन बड़ी परेशानी यह है कि बी टाइप के बंगले खाली नहीं बचे है।

इसके अलावा कुछ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने मंडल की पुरानी गाड़ी के बदले नई गाड़ी की डिमांड कर दी है। इसके चलते कुछ निगम मंडलों में नए वाहन खरीदने की तैयारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार कुर्सी संभालने के 20 महीने बाद 24 दिसंबर को निगम-मंडल में 25 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाए गए थे। इनमें से अब तक 11 नेताओं ने बंगले-गाड़ी की डिमांड की है।

शासन के पास अभी तक पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेंद्र बरुआ, पर्यटन विकास निगम के विनोद गोंटिया, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के रघुराज कंसाना, गृह निर्माण एवं अधोसंरचना निर्माण मंडल के आशुतोष तिवारी, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के जसवंत जाटव, उर्जा विकास निगम के गिर्राज दंडोतिया, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के जितेंद्र लिटोरिया, मप्र राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के मुन्नालाल गोयल, राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के सावन सोनकर ने बंगले के लिए आवेदन दिए है। उपाध्यक्षाें में राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के राजकुमार कुशवाहा, पाठ्य पुस्तक निगम के प्रहलाद भारती और मंजू दादू बंगला चाहते हैं। कुछ ने मुख्यमंत्री, गृह विभाग और आवास समिति को आवास आवंटन के पत्र लिखे हैं।

सरकार के पास बंगले खाली नहीं

3 महीने में एसीएस और पीएस स्तर के अफसरों के 50 आवेदन बी-टाइप बंगले के पेंडिंग हैं। सी, डी टाइप के आवास की मांग अलग। हालांकि सरकारी गाइडलाइन में दर्जा प्राप्त मंत्रियों को बंगला आवंटन का कोई नियम नहीं है।

इमरती, एदल के पास बी-टाइप बंगला

कांग्रेस सरकार के समय मंत्री रहते इमरती देवी और एमपी एग्रो के चेयरमैन एदल सिंह कंसाना के पास बी-टाइप के बंगले बरकरार हैं। चुनाव हारने के बाद भी इन नेताओं ने बंगले खाली नहीं किए थे। रघुराज कंसाना के पास एमएलए हाउस में क्वार्टर है, जो काफी छोटा है। गिर्राज दंडोतिया ने बंगला खाली कर दिया था, जिसके चलते वापस मांगा है।

इन्हें तो निगम मंडलों से मिला है वाहन

अध्यक्ष-उपाध्यक्षों को निगम मंडलों से ही वाहन मिला है। इमरती देवी ने तो पदभार लेने के पहले ही बंगले पर गाड़ी तलब कर ली थी। हाउसिंग बोर्ड में चेयरमैन आशुतोष तिवारी को नगरीय प्रशासन मंत्री से गाड़ी नहीं मिली, इसलिए नई इनोवा खरीदी जाएगी। पुराने होने की वजह से ज्यादातर निगम मंडलों में नए वाहन खरीदने की तैयारी शुरू हो गई है।

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