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देश के ज्ञात अज्ञात अमर शहीदों की पावन स्मृति में 2 मिनट का मौन रखकर दी गई विनम्र श्रद्धांजलि

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रीवा । नारी चेतना मंच समाजवादी जन परिषद एवं विंध्यांचल जन आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित देश के ज्ञात अज्ञात अमर शहीदों की पावन स्मृति एवं सम्मान में रविवार 30 जनवरी को प्रातः काल 11:00 बजे स्थानीय जयस्तंभ में 2 मिनट के मौन रखने का कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हुआ ।  इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , देश की आजादी के आंदोलन के महानायक अमर योद्धा नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित ज्ञात अज्ञात शहीदों को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए । कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि आज देश के अमर शहीदों के बीच किसी तरह के वाद विवाद को खड़ा करना एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है । इन सभी शहीदों का उद्देश्य देश को आजाद कराना था । यह भारी कष्ट का विषय है कि जिन लोगों का देश की आजादी में जरा भी योगदान नहीं था बल्कि आजादी के आंदोलन के दौरान गद्दारी कर रहे थे , ऐसे लोग आज देशभक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करके देश को गुमराह कर रहे हैं । नफरत का माहौल निर्मित करने वालों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की और आज पूरे देश में नफरत का माहौल पैदा कर दिया है । ऐसे विघटनकारी सांप्रदायिक तत्वों से देश को सावधान रहने की जरूरत है । 
देश में शहीदों की स्मृति में बनाए गए ऐतिहासिक प्रतीकों को जिस तरीके से इधर-उधर किया जा रहा है , यह बात अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण , चिंताजनक , आपत्तिजनक और निंदनीय है । वक्ताओं ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि रीवा के ऐतिहासिक जय स्तंभ का अस्तित्व भी खतरे में है । असली जय स्तंभ किसी भी तरफ से पूरी तरह दिखाई भी नहीं देता और उसके पास लगा हुआ फव्वारा काफी खराब हालत में है । यह भारी विडंबना है कि अनाधिकृत तौर पर उसके समानांतर एक नकली जय स्तंभ स्थापित कर दिया गया है ।  इधर चर्चा है कि शहर के विकास के नाम पर कभी भी जय स्तंभ को हटाया जा सकता है । 
वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली के इंडिया गेट में प्रज्वलित अमर जवान ज्योति हो या सन 18 57 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शताब्दी वर्ष के अवसर पर पूरे देश के प्रखंड स्तर पर बने सैकड़ों जयस्तंभ की बात हो , उनका मूल स्वरूप खत्म किया जाना , अमर शहीदों की ऐतिहासिक विरासत का खुल्लम खुल्ला अपमान है । देश के अमर शहीदों की यादगार में बने ऐतिहासिक धरोहरों को यथावत रखा जाना चाहिए । मोदी सरकार के गलत फैसले के चलते सन 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में भारत के शहीद वीर जवानों की स्मृति में 26 जनवरी 1972 से वहां प्रज्वलित हो रही अमर जवान ज्योति , जो 26 जनवरी 2022 को ऐतिहासिक 50 वर्ष पूरा करने जा रही थी , को हटाकर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्थल की ज्योति में समाहित कर दिया गया है ।  देश के अमर वीर जवानों की शहादत और पाकिस्तान से सन 1971 में हुए युद्ध की महान जीत के सम्मान में प्रज्वलित अमर जवान ज्योति की ऐतिहासिक पहचान को इस तरह से हटा दिया जाना शहीद जवानों और देश की वीरता के इतिहास के साथ क्रूर मजाक है । शहीद स्मारक राष्ट्र के प्रेरणा के प्रतीक होते हैं , जिनकी मूल पहचान को खत्म करना देश के साथ गद्दारी है । विभिन्न धर्मों के अपने-अपने भगवान होते हैं लेकिन शहीद पूरे देश की शान होते हैं ।
वक्ताओं ने कहा कि शहीदों की पावन स्मृति स्थलों को सजाया-संवारा जाता है , न कि उनकी ऐतिहासिक पहचान को खत्म करके उन्हें इधर उधर किया जाता है । रीवा शहर के जयस्तंभ को मूल स्थान से हटाने का दुष्चक्र चलाया जा रहा है जिसके खिलाफ सभी देशभक्त लोगों को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा । शहीद दिवस का कार्यक्रम का ऐतिहासिक महत्व है . देश की एकता और अखंडता के ऐतिहासिक प्रतीक चिन्हों को बचाने और सुरक्षित रखने की जरूरत है . यह भारी विडंबना है कि जिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं अमर शहीदों ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया , उन्हें याद करने के लिए 2 मिनट का समय भी नहीं बचा है । उनकी बड़ी-बड़ी मूर्तियां लगाने की जगह अमर शहीदों के ऐतिहासिक योगदान को याद करने और उनके महान विचारों का अनुसरण करने की जरूरत है । इस अवसर पर समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे , नारी चेतना मंच की पूर्व अध्यक्ष मीना वर्मा , प्राध्यापक डॉ अरुणा पाठक , सामाजिक कार्यकर्ता गफूर खान , नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा , शैलजा तिवारी , शारदा श्रीवास्तव , मेहरून्निसा , राज किशोर पांडे ,संजय सिंह एडवोकेट , सामाजिक कार्यकर्ता परिवर्तन पटेल , युवा नेत्री अरुणा शर्मा, नारी चेतना मंच की नेत्री माया सोनी , मिथिलेश गुप्ता , प्रेमा गुप्ता , कुसुम गुप्ता , शहरुन्निशा , तहरुन्निशा आदि ने कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया .

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