डॉ. गीता (दिल्ली)
हमें घेरे हुए शून्य के सागर में हमारे आस-पास तमाम अशरीरी आत्माएं तैर रही हैं। बुरी आत्माओं को हम प्रेतात्माएं कहते हैं, अच्छी आत्माओं को देवत्माएं कहा जाता है। विज्ञान इन्हें निगेटिव और पॉज़िटिव एनर्जी कहता है।
मनुष्य के आस-पास ये अशरीरी आत्माएं मौजूद हैं। कोई व्यक्ति अगर बहुत प्रगाढ़ मन से मैथुन की आकांक्षा करे तो उन अशरीरी आत्माओं को आकर्षित कर सकता है और मैथुन हो सकता है।
कई बार जब आप स्वप्न में मैथुन कर लेते हैं, तो जरूरी नहीं कि वह स्वप्न ही हो। इसकी बहुत संभावना है कि कोई अशरीरी आत्मा संबंधित हो।इस संबंध में बहुत खोजबीन की जरूरत है।
मनुष्य की कामना आकर्षण का बिंदु बन जाती है, और जहां भी वासना हो, वहां से खिंचाव शुरू हो जाता है।
एक घटना सौ वर्षों से निरंतर अध्ययन की जा रही है :
मनसशास्त्री अध्ययन में लगे हैं। बहुत बार ऐसा होता है, आपको भी शायद अनुभव हो, सुना हो या किसी के घर में हुआ हो : घर में अचानक चीजें हिलने-डुलने लगती हैं, और कोई प्रगट कारण नहीं मालूम होता।
आपने किताब टेबल पर रखी है, वह गिरकर नीचे आ जाती है। आपने बर्तन बीच में टेबल पर रखे हैं, वह सरक कर किनारे पर आ जाते हैं। आपने खूंटी पर कोट टांगा है, वह एक खूंटी से उतर कर दूसरी खूंटी पर चला जाता है।
मनसविद सौ साल से इसका अध्ययन कर रहे हैं कि हो क्या रहा है! हर बार यह पाया गया कि~
ऐसी घटना जब भी किसी घर में घटती है, तो उस घर में कोई जवान युवती होती है, जिसका मेंनसीज शुरू होने के करीब होता है या शुरू हो रहा होता है। हमेशा! जब भी ऐसी घटना किसी घर में घटती है तो कोई युवती होती है जो अभी कामवासना की दृष्टि से प्रौढ़ हो रही है, और उसकी प्रौढ़ता इतनी प्रबल है कि उस प्रबलता के कारण प्रेतात्माएं आकर्षित हो जाती हैं।
अब इस पर वैज्ञानिक अध्ययन काफी निर्णय ले चुका है। उस स्त्री को, उस युवती को घर से हटा दिया जाये, यह उपद्रव बंद हो जाता है। वह जिस घर में जायेगी, वहां उपद्रव शुरू हो जायेगा।
यह भी पाया गया है कि कुछ घरों में अचानक कपड़ों में आग लग जाती है। कोई कारण नहीं मालूम पड़ता। और जितने अब तक अध्ययन किये गये हैं इस तरह के मामलों में, पाया गया है कि घर में कोई युवक बहुत गहनता, लीनता, ध्यान से हस्थमैथुन करता होता है। इस हस्तमैथुन करने वाले युवक को हटा दिया जाये, तो घर में आग लगने की घटना बंद हो जाती है।
संभोग की स्थिति में प्रेतात्माएं सक्रिय हो सकती हैं। जब भी व्यक्ति कामवासना से बहुत ज्यादा भरा होता है तो अदेही आत्माएं भी संलग्न हो जाती हैं, और सक्रिय हो जाती हैं, और उनकी सक्रियता बहुत तरह की घटनाओं का कारण बन सकती है।
प्रेतात्माएं भी अकसर उन्हीं लोगों में प्रवेश कर पाती हैं, जो पापी हैं और कामवासना को भी इतना दबा लिये हैं कि जीवन के सहज शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर पाते।
उनके देहरहित आत्माओं से वासना के संबंध स्थापित होने शुरू हो जाते हैं।
देवात्माएँ उनमें प्रविष्ट हो सकती हैं जो सात्विक होते हैं और जिनमे स्वस्थत संभोग की क्षमता होती हैं। अदेही आत्माओं के पास देह नहीं होता। वे इसी तरह तृप्त होती हैं। बदले में वे उन्हें शक्ति देती हैं- जिनसे उनकी भूख-प्यास शांत होती है।
सात्विक बनो, सदाचारी बनो, यौन-ऊर्ज़ा संपन्न बनो। क्षमता विकास की क्षमता के लिए व्हाट्सप्प 9997741245 पर हमसे संपर्क किया जा सकता है. हम निःशुल्क सुलभ हैं.
(लेखिका चेतना विकास मिशन से संबद्ध चिकित्सिका हैं.)