सन्तोष ‘परिवर्तक
आज़ादी मिलने के ठीक बाद, चीन ने अमरीका द्वारा पाकिस्तान में बनाए गये सैन्य अड्डे को काउंटर करने के लिए, निर्जन इलाके में सैन्य अड्डा बनाया था। भारत पर कभी आक्रमण न करने का वचन और पूरी की पूरी पचास हजार वर्ग किलोमीटर विवादित जमीन देने का प्रस्ताव दिया था चीन ने, पर तत्कालीन कांग्रेस के भीतर बैठे पंडित गोविंद वल्लभ पंत जैसे संघियों ने पंड़ित नेहरू को ये ये प्रस्ताव स्वीकार करने से रोका। इतना ही नहीं भारत को समझौते का उल्लंघन कर विवादित क्षेत्र में सैन्य गतिविधि करने के लिए मज़बूर किया।
पिछले साल मार्च में अमरीका द्वारा चीन पर हमले की तैयारी की गई। विदेश नीति को ताख पर रख़कर मोदी ने बिना देश को विश्वास में लिए, लद्दाख में अमरीकी सैनिकों के लिए बेस स्थापित करने की अनुमति दे दी। अंदर खाने की अपुष्ट खबरें तो ये थीं कि दस हजार अमरीकी सैनिक अफगानिस्तान से निकलकर, लद्दाख में आ गये थे। आपको याद होगा कि उस समय शी जिनपिंग ने कहा था कि आग से न खेले भारत।
भारत नहीं माना तो गलवान जैसी झड़प हुयी। मोदी को अपनी गलती स्वीकारते हुए अपने कदम पीछे खींचने पड़े।
भारतीय मीडिया रूस चीन की बढ़ती ताकत से घबराए अमरीका द्वारा फंडेड है। भारत की सत्तारूढ़ भाजपा आमरीका के इशारे पर चलती है। रूस से अपनी ऐतिहासिक मित्रता तोड़कर मानवता के दुश्मन युद्ध अपराधी अमरीका की तरफ खड़े होना भारत ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरनाक है।
भारतीय गोदी मीडिया द्वारा फैलाई अफवाहों पर न जाएं।
गलती अमरीका की है, सारे युद्धों की जड़ में अमरीका ही होता है, अमरीका का पालतू मीडिया एशिया के हमारे रुस चीन, उत्तर कोरिया जैसे भाइयों को हमारा दुश्मन बताता है।
हमारे देश को पहले ब्रिटेन और अब अमरीका ने लूटा, लेकन हम रूस, चीन, उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसियों से सीखकर विकसित न हो सकें, इसलिए इन्हे दुश्मन नम्बर एक घोषित कर रहा है, भारतीय मीडिया।
मज़दूरों, बेरोजगार युवाआओं, किसानों, रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे व्यापारी व उद्यमियों के आन्दोदन के खिलाफ भाजपा का साथ देने वाला भारतीय मीडिया रूस, चीन और उत्तर कोरिया के विषय में जो हमें परोस रहा है, वो सच कैसे हो सकता है..?
आंखे खोलो..!
दोस्त और दुश्मन की पहचान करो..!
आजादी के बाद बने भारत चीन मैत्री संघ के महासचिव पंडित सुन्दर लाल की किताब और उनके द्वारा दिए गये दस्तावेज देखो..!
सन्तोष ‘परिवर्तक’