ब्रजेश जोशी
सखी सईंया तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन मार जात है …ये सरकार का सौभाग्य है कि महंगाई को लेकर लोग अब सड़क पर उतरते नहीं ?
अगस्त २०१० में आई फिल्म पिपली लाइव का ये गीत १२ साल बाद भी महज गीत नहीं लगता इसमें तो आप आज के दौर की मतलब अच्छे दिनों की तस्वीर भी देख सकते हैं | गौरतलब है कि एक और हम दुनिया में सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था का दंभ भरने से चूकते नहीं, लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि दिन ब दिन ये संमस्या ( महंगाई )बढ़ती ही जा रही है | अगर हम कहे कि अब देश में महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों पर जनता में लामबंदी बहुत कम देखी जाती है ,लोग सड़कों पर नहीं उतरते तो मान लीजिए कि यह सरकार का सौभाग्य है |
असल में यही देश का दुर्भाग्य भी है |सरकारें एक दूसरे को कोसती रह जाती है |कोई कहता है पुराने दिन ही भले थे तो कोई अच्छे दिन की ढांढस बंधाता रह जाता है |लेकिन महंगाई जस की तस मुंह बाये खड़ी रहती है |इसमें सत्ताधीशों को मौका मिल जाता है और उन पर कोई दबाव नहीं बन पाता |जिन आँखों में भविष्य के सपने रहने चाहिए उनमें हताशा और निराशा भी देखने को मिलती है |बेरहम भूख लोगों की जरुरत के मद्देनज़र होने वाली कोशिशों को दो जून की रोटी तक समेट देती है वो उन्हें कुछ और सोचने ही नहीं देती है |
सरकारों के अपने -अपने दावें होते हैं |कोई कहता है हमारी सरकार अच्छी थी, हमने गैस सिलेंडर पर सब्सिडी दी उसे जनता को सस्ता उपलब्ध कराया ,पेट्रोल -डीजल भी हमने सस्ता दिया ,महंगाई का ध्यान रखा तो कोई कहता है उनकी सरकार ने देश को खा लिया ,देश बेच दिया जिसका परिणाम महंगाई है | सवाल ये है कि आज भी हम में से अधिकांश यही कहेंगे कि देश में महंगाई है तो विकास भी खूब हो रहा है |मैं भी कहूँगा जी सहमत हूँ ,जरुर हो रहा है लेकिन यदि विकास जरुरतमंदों ,मिडिल क्लास की जेब काटकर हो रहा है तो फिर ये सरकार की ही जवाबदेही बनती है कि वो विकास के साथ साथ डायन महंगाई पर रोक लगाने के प्रबंध तत्काल करे,यदि सरकार महंगाई को मुद्दा ही नहीं मानती है तो फिर क्या कह सकते है |
जब फिल्म पिपली लाइव आई थी उस दौर में भी महंगाई डायन के ही समान थी और आज विकासपुरुष के राज में बड़े बड़े दावों के बाद भी उसका चेहरा-मोहरा डायन से कम नहीं ,हाँ,ये बात और है कि उस डायन को आज की सरकार सजा-धजा के विशेष अंदाज़ में पेश कर रही है और सरकार के भगत भी महंगाई रूपी डायन को रूप की रानी बताने में लगे हुए हैं ! वही देश पर ६० साल राज करने वाली पार्टी कुम्भकर्ण की तरह नींद में हैं | उल्लेखनीय है कि जिस देश में प्याज ,इंडिया शाइन के मुद्दे पर एक महान नेता की सरकार बदल सकती है उस देश में अब महंगाई ( डायन) पर बात तक नहीं होना भी दर्शाता है कि वास्तव में विपक्ष को ख़त्म करने की सोच कामयाब हो गई है |
अपुन तो यही कहेगा अब आगे चुनाव के बाद हर महीने पेट्रोल उछले…डीज़ल उछले…उछले शक्कर -तेल , डांस करे गैस सिलेंडर और महंगा मिले समोसा -सेंव, तो बचाओं बस अपनी-अपनी जेब |बिठाओं मित्रों की मंडली और झांझ मंजीरे की तरह बजाओं अपनी अपनी जेब … और गाओ रघुवीर यादव की तरह …सखी सईयां तो खूब ही कमात है …महंगाई डायन खाय जात है …वैसे अब ना तो इस तरह के गीत बनते हैं, ना कोई ऐसे गीत लिखना पसंद करता है ,विरोध करने वाले विपक्ष को भी डायन से ज्यादा ईडी ,सीबीआई और इनकम टैक्स का डर सताता है … पब्लिक तो पहले ही सरेंडर कर चुकी है … आज ये गीत सुनने में आ गया लगा डायन पर लिखा जाए …तो लिख दिया …जय रणजीत …
ब्रजेश जोशी …श्री पवनपुत्र मासिक पत्रिका …इंदौर