लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में फोटो गैलरी में सावरकर की तस्वीर को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद खड़ा हो गया है। जहां एक ओर कांग्रेस ने सावरकर के पोर्ट्रेट को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे हटाने की मांग की है वहीं बीजेपी ने कांग्रेस को पहले इतिहास पढ़ने की नसीहत दे डाली। दरअसल यह पूरा मामला विधान परिषद के सौंदर्यीकरण के लिए बनाई गई फोटो गैलरी में वीर सावरकर की तस्वीर से शुरू हुआ है।
इस बार क्यों हुआ विवाद?
यूपी विधान परिषद की इस फोटो गैलरी में देश के कई स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों के चित्र लगाए गए हैं। इसमें सावरकर की तस्वीर भी लगाई गई है। इस पर कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने सभापति रमेश यादव को पत्र लिखकर सावरकर के कार्यों को देश विरोधी बताया और वीर सावरकर का चित्र हटाकर उसे भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में लगाने की मांग की।
बीजेपी बोली- इतिहास नहीं जानती कांग्रेस
दूसरी ओर बीजेपी ने भी कांग्रेस पर हमला बोला। यूपी सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि दुर्भाग्यवश कांग्रेस और उसके एमएलसी इतिहास नहीं जानते हैं। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि खुद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक सावरकर की तारीफ कर चुकी हैं। कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि उन्होंने क्या कहा था।
सावरकर के माफीनामे से आपत्ति है- कांग्रेस
बीजेपी के आरोप पर कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा, ‘इंदिरा गांधी ने 1901 वाले सावरकर के लिए डाक टिकट जारी किया था जो आजादी की लड़ाई में शामिल थे। दीपक सिंह ने आगे कहा, बीजेपी के लोग झूठ भी इतनी सफाई से बोलते हैं कि सच उसमें झूठा हो जाए। सावरकर जब जेल नहीं गए थे तब वह आजादी की लड़ाई के साथ थे लेकिन जब वह जेल गए थे तब अंग्रेजों के साथ खड़े गए तो आपत्ति उनके माफीनामे से है। जो वह ब्रिटिश सरकार से पेंशन लेते थे, आपत्ति वहां पर है। आजाद हिंद फौज के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ रहे आपत्ति उससे है।’
इंदिरा गांधी ने सावरकर की तारीफ में क्या कहा था?
दरअसल बीजेपी ने 2019 में इंदिरा गांधी का एक पत्र साझा किया था जिसमें उन्होंने सावरकर की तारीफ की थी। इंदिरा गांधी ने स्वतांत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक को लिखा था। 20 मई 1980 को इंदिरा गांधी ने स्मारक के सचिव पंडित बाखले को लिखा था। इस पत्र में उन्होंने लिखा था, ‘वीर सावरकर का अंग्रेजी हुक्मरानों का खुलेआम विरोध करना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक अलग और अहम स्थान रखता है। मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें और भारत माता के इस महान सपूत की 100वीं जयंती के उत्सव को योजनानुसार पूरी भव्यता के साथ मनाएं।’
सावरकर और कांग्रेस में क्यों बढ़ीं दूरियां?
ऐसा कहा जाता है कि कभी सावरकर और कांग्रेस के बीच अच्छे संबंध हुआ करते थे। उन्होंने एक बार कांग्रेस को ‘आजादी की मशाल वाहक’ करार दिया था। यह भी कहा जाता है जब सावरकर को काला पानी की सजा मिली थी तब 1920 में पटेल और तिलक जैसे कई नेताओं ने अंग्रेजों से उन्हें छोड़े जाने की मांग रखी थी। हालांकि अब कांग्रेस उन्हें अंग्रेजों से माफी मांगने वाला और देश विरोधी करार देती है।
मुस्लिम को लेकर सख्त होते गए सावरकर
तो कांग्रेस को सावरकर की किस बात पर विरोध हुआ, इस पर वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं, ‘सावरकर के सार्वजनिक जीवन में बहुत से ऐसे काम हैं जिस पर उनकी प्रशंसा की जाती है। महाराष्ट्र कांग्रेस के कई नेता अमूनन वीर सावरकर के संबंध में अच्छी राय रखते हैं लेकिन सावरकर की कुछ ऐसी विचारधारा रही है जिसको लेकर कांग्रेस मे विरोध था जैसे मुसलमानों को नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए। इस बारे में जो उनकी परिकल्पनाएं थीं उसको भारत के लोकतंत्र में उसे स्वीकृत नहीं किया जा सकता है।’
सावरकर के राष्ट्रवाद का नजरिया अलग
इसी तरह गांधी पीस फाउंडेशन के प्रेजिडेंट कुमार प्रशांत बताते हैं, ‘सावरकर जिस चश्मे से राष्ट्रवाद को देखते थे उसी चश्मे से आज की सरकार भी राष्ट्रवाद को देखती है। वह नजरिया और चश्मा भारत की आजादी की लड़ाई के चश्मे से बिल्कुल अलग है। गांधी जी के साथ सावरकर की लड़ाई इंग्लैंड से शुरू हुई थी और 30 जनवरी 1948 को उन्हें गोली मारने के साथ खत्म हुई थी। इसलिए सावरकर का चिंतन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रवाद से मिलता नहीं है। वह आगे कहते हैं, ‘उनके प्रति जो सहानुभूति थी वो आजादी के सिपाही के रूप में थी, ना कि उनके विचारों के प्रति।’
सावरकर पर बुकलेट को लेकर मचा था बवाल
एक ओर बीजेपी सावरकर को सच्चे देशभक्त के रूप में पेश करती आई है और उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर चुकी है तो दूसरी ओर कांग्रेस हर बार सावरकर को देश विरोधी बताती रही है। कांग्रेस का सावरकर विरोध नया नहीं है। इससे पहले पिछले साल जनवरी में भोपाल में आयोजित कांग्रेस के सेवा दल प्रशिक्षण शिविर में विनायक दामोदर सावरकर को लेकर एक पुस्तक पर विवाद हुआ था। इस बुकलेट का शीर्षक था ‘वीर सावरकर कितने वीर’। बुकलेट में सावरकर और गोडसे के बीच संबंधों को लेकर टिप्पणी की गई थी जिस पर बीजेपी ने आपत्ति जताई थी।
राहुल गांधी ने कहा था- मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं
पिछले साल ही दिल्ली के रामलीला मैदान में राहुल गांधी अपने बयान पर माफी मांगने से इनकार करते हुए कह दिया था कि वह राहुल सावरकर नहीं है।राहुल गांधी ने भारत बचाओ रैली के दौरान कहा था, ‘बीजेपी मुझसे सच बोलने के लिए माफी मांगने को कह रही है। मैं राहुल सावरकर नहीं हूं। मैं राहुल गांधी हूं। मैं माफी नहीं मांगूंगा।’
दरअसल यूपी में उन्नाव रेप कांड में पूर्व विधायक और बीजेपी के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर का नाम आने पर राहुल गांधी ने निशाना साधते हुए कहा था, ‘पीएम मोदी कहते हैं कि मेक इन इंडिया लेकिन आजकल जहां देखो रेप इन इंडिया है। उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी के विधायक ने एक महिला के साथ बलात्कार किया, फिर वह एक दुर्घटना की शिकार हुई लेकिन नरेंद्र मोदी ने एक शब्द भी नहीं कहा।’ राहुल के इस बयान पर काफी आलोचना हुई थी।
यूपी विधान परिषद में लगी सावरकर की तस्वीर