हे ईश, गाड, रब, मालिक, अल्लाह !
हमें विश्व शांति चाहिए ।
यहां सत्य प्रेम हो जन जन में ,
सर्वत्र शांति चाहिए ।
बस एक धर्म हो विश्व धर्म,
सब उसे मानने वाले हों ।
ना भेद रहे रंग जाति का,
चाहे गोरे हों चाहे काले हों ।
गंगा यमुना नील अमेजन ,
सभी पूजनीय सब की हों ।
सरहद के झगड़े बंद करो ,
वो सरकार बने जो सब की हो ।
विश्व धर्म का पालन कर ,
मानवता का प्रचार करो ।
सत्य अहिंसा प्रेम करूणा ,
का जग में संचार करो ।
ना हिंदू मुसलिम सिख बनो ,
ना जैन इसाई बुद्ध बनो ।
जो ईश्वर ने तुम्हें बनाया है ,
वो कर्मों से मानव शुद्ध बनो ।
सम्प्रदाय रिलिजन मजहब की ,
हर झूठी दीवार गिरानी है ।
वसुधैव कुटुंबकम की धारा,
हर हृदय में यहां बहानी है ।
नशा नाश की जड़ है ,
दुनिया से इसे मिटाना है ।
जीवन में सदाचार अपनाकर ,
सच्चा सुख आनन्द पाना है ।
हथियारों का क्या करना है ,
दुनिया से भूख मिटानी है ।
करना है कुपोषण खत्म यहां,
देना सब को खाना पानी है ।
मंदिर मस्जिद के झगड़े ,
अब बंद करो अब बंद करो ।
घट अंदर ईश्वर को पूजो ,
आनन्द करो आनन्द करो ।
सत्य प्रेम और न्याय करूणा,
जीवन का सच्चा सार यही ।
शुद्ध न्याय हो शुद्ध आय हो ,
कर हंसराज प्रचार यही ।
साभार - हंसराज भारतीय कवि व लेखक , सामाजिक कार्यकर्ता, संपर्क - 98136 13075
-निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र- पत्रिकाओं में पाखंड, अंधविश्वास,राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र