अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

द कश्मीर फाइल्स और  सियासत

Share

*ब्रह्मवीर सिंह की कलम से

00 द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद बहुत से लोग बहुत कुछ कह रहे हैं। कुछ लोग कुछ नहीं कह रहे…उनमें से मैं भी हूं। मैं अपने दोस्तों से भी कह रहा था कि खामोशी बेहतर। वजह… इस वक्त जो देश दुनिया का माहौल है लोग वही सुनना या पढ़ना चाहते हैं जो उन्हें पसंद है। एक इंच भी इधर या उधर, तार्किक तथ्य भी कोई न सुनना चाहता है न पढ़ना। लेकिन इनबॉक्स और वॉल पर खामोशी पर सवाल उठाएं तो बेहतर है अपना मत सार्वजनिक किया जाए।
00 यह सत्य है कि कश्मीरी पंडितोें के साथ अत्याचार हुआ। इस तथ्य से असहमति तो शुतुरमुर्गी विचार होगा। लेकिन मैंने एक डाक्यूमेंट्री देखी बहुत पुरानी। रिफ्यूजी कैंप में रह रहे कश्मीरी पंडितों का दर्द झलक रहा था कि जब वे कश्मीर से आए तो उम्मीद थी कि हिंदू भाई उनकी मदद करेंगे। लेकिन कोई झांका तक नहीं…। उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। दशकों बाद एक फिल्म देखने के बाद हिंदुओं की रगों में बदले की भावना दौड़ रही है। नाजुक वक्त में हमारा हिंदुत्व कहां चला जाता है। केवल राजनीति या नफरत के लिए ही हिंदुत्व है क्या? यकीन मानिए, चंद महीने बाद यह भाव कहां गायब हो जाएगा, पता भी नहीं चलेगा। आप और हम यहीं हैं, महसूस करेगें। यह वैसे ही है जैसे मुन्ना भाई एमबीबीएस के बाद गांधीगिरी। विवेक अग्निहोत्री को बधाई इसलिए क्योंकि उन्होंने समय की नब्ज पहचानी और एक सफल फिल्म बनाई।
00 मैं कश्मीरी पंडितों के मामले को इंसानी फितरत की केस स्टडी मानता हूं। आप थोड़ा अपने आसपास ही देखेंगे तो पाएंगे कि उड़ीसा से मारवाड़ी भाईयों को भगा दिया गया था। लाखों करोड़ों की संपत्ति छोड़कर मारवाड़ी भागे। उनमें से बहुत से छत्तीसगढ में रह रहे हैं। उन्हें भगाने वाले हिंदू ही थे।
मैं महाराष्ट्र से भगाए गए यूपी बिहार के लोगों के दर्द को भी महसूस करता हूं। उन्हें भगाने वाले मुसलमान नहीं थे। मैं दक्षिण भारत से धकियाए गए हिंदी भाषियों के दर्द को भी महसूस करता हूं उनको तो किसी दूसरी कौम ने नहीं सताया। उनको सताने वाले हमारे हिंदू भाई ही थे।
00 इसका आशय क्या है? इसका आशय है कि चंद बाहियात सियासतदारों की वजह से आम आदमी को कष्ट सहना पड़ता है। मैं ठोक कर कहता हूं कि सारे मुसलमान गलत नहीं हैं। लेकिन सारे सही हैं यह भी नहीं कह सकता। यह हर कौम पर लागू होता है। दरअसल सियासत कभी एक होने नहीं देती। यह धर्म पर बांटेगी, नहीं तो जाति उप जातियों पर बांट देगी। नहीं तो भाषा पर। कुछ नहीं तो रंग पर बांट देगी… इस बंटवारे का लाभ सियासत उठाती है। नुकसान पीढ़ियों को भुगतना पड़ता है, देश को उठाना पड़ता है। फिल्मों का क्या है, सम्भव है भविष्य में एक फिल्म द कश्मीर फाइल्स से उपजे माहौल पर भी एक फिल्म बने। क्योंकि दिमाग वाले हमेशा दिल वालों से खेलते हैं।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें