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क्या हम परमाणु युद्ध के कगार पर हैं?

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मास्को

क्या हम परमाणु युद्ध के कगार पर हैं? यह इस समय एक बड़ा सवाल है। दरअसल यूक्रेन में जारी संघर्ष के बीच यूरोपीय आयोग ने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से आयोडीन की गोलियां, अन्य नामित दवाओं और परमाणु-सुरक्षात्मक सूट का भंडार करने का निर्देश दिया है। रूस टुडे के मुताबिक ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूरोपीय देश संभावित रासायनिक या जैविक हमले के बाद से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। 

इससे पहले यूरोपियन आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, “यूक्रेन में युद्ध के बीच आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि आम तौर पर रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु खतरों के क्षेत्र में तैयारियों को कैसे बढ़ाया जाए।”

रूस ने फरवरी के अंत में यूक्रेन में अपना ‘सैन्य अभियान’ शुरू करने के कुछ दिनों बाद अपने परमाणु हथियारों को हाई अलर्ट पर रखा था, जिसे नाटो द्वारा दिए गए “आक्रामक बयान” और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए कठोर वित्तीय प्रतिबंधों के जवाब में भी देखा गया था।

मार्च की शुरुआत में, यूक्रेन के जापोरीज्ज्या परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग लग गई थी, जिसे रूसी सेना ने जब्त कर लिया है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि संयंत्र में “सुरक्षा पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ा” और आग को तेजी से बुझा दिया गया। कुछ दिनों बाद, मास्को ने घोषणा की कि उसने पूर्व चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा स्टेशन, जो 1986 में दुनिया की सबसे विनाशकारी परमाणु आपदा का स्थल बन गया था, को बिजली काटने के लिए यूक्रेनी कट्टरपंथियों के प्रयास को रोक दिया था।

पोटेशियम-आयोडीन गोलियों की मांग बढ़ी

इन दो घटनाओं ने यूरोपीय संघ, रूस और यहां तक कि अमेरिका में पोटेशियम-आयोडीन गोलियों की मांग में वृद्धि की, जो मानव प्रणाली पर रेडिएशन के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं। इससे पहले मार्च में, बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक गणराज्य और अन्य जगहों पर फार्मेसियों ने बताया कि उनके यहां ये दवाएं आउट ऑफ स्टॉक हो गई हैं।

रेडिएशन से कैसे बचाती हैं आयोडीन की गोलियां?

रेडिएशन से लड़ने में आयोडिन को कारगर माना जाता है। हालांकि यह हमेशा मददगार नहीं होता। बल्कि कई बार तो यह खतरनाक हो सकता है। जब एटमी ऊर्जा संयंत्र में कोई दुर्घटना होती है- कोई विस्फोट या कोई रिसाव या युद्ध के दौरान कोई क्षति- तो उस स्थिति में रेडियोधर्मी आयोडीन, हवा में मिलने वाले सबसे पहले पदार्थों में से एक होती है। अगर वो रेडियोधर्मी आयोडीन शरीर में चला जाए तो वो थाइरॉयड कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर पैदा कर सकता है। आप विकिरण को अपनी सांस में अंदर खींच सकते हैं या त्वचा के जरिए यह आपके शरीर में दाखिल हो सकती है। आप इसे ना देख सकते हैं, ना सूंघ सकते हैं, ना इसमें कोई स्वाद होता है।  

इसलिए कहा जाता है कि रेडिएशन फैलते समय आयोडीन की गोलियां दी जानी चाहिए। अगर आप कथित रूप से “अच्छी आयोडीन पर्याप्त मात्रा में ग्रहण कर लेते हैं तो थाइराइड में किसी “बुरी” या रेडियोएक्टिव आयोडीन के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। यानी तब रेडियोएक्टिव आयोडीन फैलेगी तो वह शरीर में तो जाएगी लेकिन गुर्दों के जरिए बाहर निकल जाएगी। हालांकि ये इतना आसान नहीं है। इसके अलग-अलग शरीर पर अलग-अलग प्रभाव देखे जा सकते हैं।

यूक्रेन का दावा, चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के आसपास के रेडिएशन मॉनिटर ठप

यूक्रेन की परमाणु नियामक एजेंसी ने कहा है कि चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के आसपास लगे विकिरण मॉनिटर ने काम करना बंद कर दिया है। यह वही संयंत्र है जिसे वर्ष 1986 में दुनिया की सबसे भीषण परमाणु दुर्घटना का सामना करना पड़ा था। एजेंसी ने सोमवार को जारी अपने बयान में यह भी कहा कि इस क्षेत्र में अब अग्निशमन सेवा भी नहीं उपलब्ध है कि वनों को बचाया जा सके। इस संयंत्र को रूसी सैनिकों ने गत 24 फरवरी को अपने अधिकार में ले लिया था।

परमाणु घटनाओं के लिए यूरोपीय संघ की तैयारियों का नेतृत्व स्वास्थ्य आपातकालीन तैयारी एवं प्रतिक्रिया प्राधिकरण (HERA) कर रहा है, जिसे पिछले सितंबर में कोविड-19 महामारी आने के बाद स्थापित किया गया था। हालांकि, यूरोपीय सांसदों ने जोर देकर कहा है कि यूक्रेन में घटनाओं की गति को बनाए रखने के लिए हेरा को तेजी से काम करने की जरूरत है।

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