ये लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा हैं.
गुजरात के निडर और जांबाज़ पूर्व आईपीएस अफ़सर संजीव भट्ट को आज जामनगर कोर्ट ने 29, 30 साल पुराने मामले में उम्रक़ैद की सजा सुनाई हैं.
कौन संजीव भट्ट…वही संजीव भट्ट जिन्होंने गुजरात दंगों के समय वहा के उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर उंगली उठाई थी.
वही संजीव भट्ट जिन्होंने गुजरात दंगों के समय वहा के उस समय के गृहमंत्री रहे अमित शाह पर उंगली उठाई थी.
वही संजीव भट्ट हैं जिसे तमाम अदालतों में से, कभी ज़मानत नहीं मिली और तमाम चोर, उचक्कों, पूर्व मंत्रियों को ज़मानत मिलती रही, क्लीन चिट मिलती रही.
वही संजीव भट्ट हैं जो अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसायटी में ज़िंदा जला दिएे गएे पूर्व सांसद एेहसान जाफ़री की विधवा ज़किया जाफ़री के साथ अंतिम समय तक खड़ा रहे.
वही संजीव भट्ट जो बाबू बजरंगी, पूर्व मंत्री माया कोडनानी के कुकृत्यों से दंगों में उनकी भूमिका से पर्दा उठाता रहा.
आज पता चला कि भारत में इंसाफ़ की एक शक्ल यह भी हैं.
आज पता चला कि भारत में ज़किया जाफ़री….श्वेता भट्ट को इंसाफ़ नहीं मिला करता.
सत्ताधारी सत्ता का इस्तेमाल बदला लेने के लिए करते हैं, इतना मज़बूत लोकतंत्र कहीं नहीं हैं…वाह…!