मीना राजपूत (कोटा)
_जंगली चीजें घरेलू बनी. इन्ही प्राकृतिक उत्पादों का व्यवस्थित संयोजन आयुर्वेद कहलाया. आयुर्वेद एक सम्पूर्ण विज्ञान एवं जीवन जीने क़ी कला का दूसरा नाम है. इसमें बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने हेतु रसायन औषधियों का सेवन बताया गया है. इसी प्रकार यौवन को बरकार रखने हेतु पौरुषरक्षक-वर्धक औषधियों का उल्लेख भी हैI_
आचार्य चरक केअनुसार जिन औषधियों के सेवन से व्यक्ति अश्व शक्ति एवं पौरुष सामर्थ्य को प्राप्त करता है,वैसी औषधियां वाजीकारक की श्रेणी में आती हैंI
हम आपको कुछ ऐसे सरल योग बतलाते हैं जिन्हें उत्तम वाजीकारक के रूप में लिया जा सकता है.
उड़द, आंवला
उड़द को घी में भून लें और फिर दूध में पकाकर खीर बना लें. अब इस खीर में खांड मिलाकर ग्रहण करें और पौरुष्य लाभ देखें !
आंवले के चूर्ण को आंवले के रस में सात भावनाएं देकर (सात बार घोंटकर ) पांच ग्राम चूर्ण में शहद और शुद्ध घी मिलाकर सेवन कराने से कामेक्षा में बढ़ोत्तरी होती है !
शतावारी
शतावरी की ताज़ी जड़ को यवकूट कर दस से बीस ग्राम की मात्रा में लेकर 150 मिली दूध में पकायें …इसमें लगभग 250 मिली पानी भी मिला दें. जब उबालते-उबालते पानी समाप्त हो जाय और केवल दूध शेष रहे तो इसे छान कर खांड मिला कर सुबह शाम लेने से मैथुन सामर्थ्य में वृद्धि होती है !
शतावरी से सिद्धित घृत को 2.5 से 5 ग्राम की मात्रा में खांड एवं शहद के साथ लेना भी पौरुष शक्ति को बढाता है !
शतावरी घृत में 2.5 से 5 ग्राम की मात्रा में पिप्पली चूर्ण 1.5ग्राम मिलाकर खांड और शहद के साथ लेना भी पौरुष बल देता है !
बिदारीकंद- केंवांच
विदारीकन्द का चूर्ण 2.5 ग्राम को गूलर के 15 मिली रस में मिलाकर सुबह शाम दूध से लेने पर दीर्घ-आयु पुरुष भी मैथुन में सक्षम हो जाते हैं !
केवांच के बीज , खजूर, सिंघाड़ा, द्राक्षा और उड़द इन सब को बीस-बीस ग्राम की मात्रा में लेकर 250 मिली पानी में मिलाकर आग पर पकायें.
जब पानी समाप्त हो जाय तो इसमें खांड,वंशलोचन,शुद्ध घी एवं मधु मिलाकर सेवन करने से शुक्र के निर्बलता एवं क्षीणता में लाभ मिलता है!
मुलेठी-गोखरु
मुलेठी चूर्ण 1.5 ग्राम को शुद्ध घी और मधु के साथ सेवन करने से भी कामेक्षा बढ़ती है !
गोखरू बीज ,तालमखाना बीज,शतावरी,कौंच बीज ,नागबला की जड़ ,अतिबला की जड़ इन सब को यवकूट कर चूर्ण बनाकर 2.5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह शाम लेने से पौरुष शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है !
गोखरू, शतावारी,वरादीकंद,शुद्ध भल्लातक,गिलोय ,चित्रक ,त्रिकटु , तिल , विदारीकन्द और मिश्री मिलाकर बनाया गया चूर्ण नरसिंह चूर्ण के नाम से जाना जाता है. यह एक उत्तम वाजीकारक औषधि है !
मकरध्वज
मकरध्वज रस 250 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह शाम अदरख स्वरस एवं शहद के साथ लेना शरीर में स्फूर्ति एवं उत्साह को बढाता है तथा शुक्र सम्बन्धी दोषों को दूर
करता है.
(चेतना विकास मिशन)