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रायफल टांग कलेक्ट्रेट ऑफिस क्यों पहुंची महिला

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,भिंड

चम्बल इलाके की पहचान आज भी बीहड़ ओर बंदूक से होती है। पुरुष के हाथों में रायफल चम्बल में कोई बड़ी बात नही है, लेकिन आत्मरक्षा के लिए अब अंचल की महिलाएं भी बन्दूकें थामने लगी हैं। मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले में महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। अब तक जो महिलाएं परिवार संभालती थी वे अब चूल्हा-चौका वाली छवि को दरकिनार कर परिवार की रक्षा का ज़िम्मा भी उठा रही हैं।

बीहड़ में बंदूक बोलता है! रायफल टांग कलेक्ट्रेट ऑफिस क्यों पहुंची महिला, सुरक्षा के लिए उठाया कदम

इस पुरुष प्रधान देश में महिलाएं सिर्फ परिवार ही नही चला रही बल्कि परिवार की सुरक्षा का ज़िम्मा भी उठाने लगी हैं। चम्बल के भिंड जिले में बीते कुछ वर्षों में कई महिलाओं ने आर्म्स लाइसेंस लिए हैं, साथ ही बंदूके भी। जिले में अटेर क्षेत्र में रहने वाली नीरज जोशी हाल ही में कंधे पर बंदूक टांगे कलेक्ट्रेट में नज़र आईं।

इस तरह की तस्वीर दिखना किसी भी जिले में आम बात नही है। नीरज जोशी ने बताया कि, चार साल पहले उनके पति का देहांत हो गया था, घर मे बुज़ुर्ग सास ससुर और तीन बच्चे हैं। वे चम्बल के उस बीहड़ इलाके से हैं, जहां कभी डकैतों का मूवमेंट हुआ करता था। समय के साथ बदलाव तो हुआ है, लेकिन आज भी उनके गांव में लड़ाई-झगड़े विवाद की स्थिति कभी भी बन जाती हैं। 

इसके अलावा गुंडे बदमाशों का भी डर बना रहता है, पति के इस दुनिया मे न होने से अब बच्चों और सास-ससुर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी खुद नीरज जोशी उठा रहीं है। इसी के चलते उन्होंने इसी साल आर्म लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। लाइसेंस बनवाने के बाद लाइसेंसी बंदूक और एम्युनिशन भी खरीदे हैं। जिससे ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल अपनो को सुरक्षित रखने के लिए किया जा सके।

ज़िले में नीरज अकेली महिला नहीं हैं जिनके पास आर्म लाइसेंस है, इनके अलावा भी 4-5 महिलाओं ने आ र्मस लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जो अभी प्रोसेस में है। यानी आने वाले दिनों में इन महिलाओं के हाथों में भी बंदूक देखी जा सकती है।

भिंड ज़िले में आर्म शाखा प्रभारी और अपर कलेक्टर प्रवीण कुमार फुलपगारे ने बताया कि वर्तमान में भिंड ज़िले में करीब 23500 आर्म लाइसेंस आवंटित हैं। जिनमे रायफल, पिस्टल आदि शामिल हैं। ज़्यादातर लाइसेंस धारी समूह पुरुष वर्ग के हैं, लेकिन इनमें 140 आर्म्स लाइसेंस महिलाओं के नाम दर्ज हैं। 

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