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भारतीयों के स्वास्थ्य पर कथित धार्मिक आस्था भारी !

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निर्मल कुमार शर्मा,

भारत अधिसंख्यक में धर्मभीरूओं, अंधविश्वासियों और पाखंडियों का देश है ! यह कोई कपोल कल्पित बात नहीं है ! आज के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में राजस्थान राज्य के अजमेर में स्थित कथित पवित्र सरोवर तीर्थो के राज तीर्थराज पुष्कर के बारे में एक बहुत ही सारगर्भित, वास्तविक और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित एक वैज्ञानिक लेख प्रकाशित हुआ है,उसके अनुसार कथित पवित्र सरोवर पुष्कर जिसके बारे में भारतीय धार्मिक पुस्तकों में संस्कृत में लिखा है..
पुष्करो दुष्करो वास :पुष्करे दुष्करं तप :।
पुष्करे दुष्करं दानं गंतु चैव सुदुष्करम्।।

अर्थात – ‘तीर्थराज पुष्कर में स्नान-ध्यान,दान-संध्या,श्राद्ध-तर्पण,तपस्या-प्रवास से अक्षय फल मिलता है ‘
भारतीय अंधविश्वासी समाज में यह अंधविश्वासी धारणा फैलाई गई है कि यहां के पवित्र जल में स्नान करने से शरीर ही नहीं अपितु व्यक्ति की आत्मा और मन तक पवित्र हो जाता है ! लेकिन अत्यंत दु:खद रूप से वर्तमान समय का भारतीय समाज,सरकारें,धार्मिक मान्यताएं, पाखंड और भारतीय समाज की रूढ़िवादी मान्यताएं आदि सभी मिलकर वर्तमान समय में इस कथित पवित्र पुष्कर सरोवर के जल को वर्तमान समय में एक सीवर जितना प्रदूषित और गंदा कर रखा है !
वैज्ञानिकों के अनुसार इस कथित पवित्र सरोवर का जल में स्नान करने से अब पौराणिक पुस्तकों में लिखी गई बातों यथा ‘तीर्थराज पुष्कर में स्नान-ध्यान,दान-संध्या,श्राद्ध-तर्पण,तपस्या-प्रवास से अक्षय फल मिलता है ‘ के ठीक विपरीत स्नान करने वाले व्यक्ति को इसके जल में उपस्थित तमाम तरह के रोगों और व्याधियों के किटाणुओं और बैक्टीरियों जैसे कालीफार्म बैक्टीरिया,ईकोलाई बैक्टीरिया, डिजाल्व्ड बीओडी मतलब बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड,टर्बिडिटी मतलब जो गंदगी नग्न आंखों से दिखाई ही नहीं देती,सीओडी मतलब केमिकल आक्सीजन डिमांड, बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड,गन्धलापन, दुर्गंध आदि के सभी गुणधर्म आदि शहर के मल-मूत्र युक्त गटर के गंदे पानी के समक्ष होने की वजह से नहाने वाले व्यक्ति को हैजा,उल्टी,दस्त, निमोनिया, चर्मरोग और फेफड़े तक में इन्फेक्शन हो सकता है !
मिडिया के अनुसार कथित तौर पर इस सबसे पवित्र सरोवर पुष्कर के जल की जब राजस्थान राज्य के जलदाय विभाग और एमडीएस यूनिवर्सिटी की सूक्ष्म जीव प्रयोगशाला में जांच करवाई गई,तो वहां के वैज्ञानिकों द्वारा उक्त निष्कर्ष निकाला गया !
अब इस देश की जानता को खुद ही निर्णय करना चाहिए कि सामान्य प्रदूषण नियंत्रण के स्तर से हजारों-लाखों गुना प्रदूषित हो चुके यहां के सरोवरों, नदियों आदि के प्रदूषित जल में स्नान करने से उसे कथित काल्पनिक स्वर्ग तो कभी भी नहीं मिलेगा,इसके ठीक विपरीत उस प्रदूषित पानी में उपस्थित सैकड़ों तरह के रोग के किटाणुओं और बैक्टिरियों के संक्रमण से दर्जनों भयावह रोग होकर उनको भयंकर बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले सकतीं हैं, जिससे उनको जीते-जी ही भयंकर और प्राणलेवा बीमारियां उनके जीवन को नरक में जरूर तब्दील कर सकतीं हैं, इसलिए ऐसे प्रदूषित जलस्रोतों में स्वर्ग में जाने की भ्रामक झूठ और लालच में फंसने के बजाय अपने घर के नगरनिगम द्वारा आपूर्ति किए गए जल में ही स्नान कर लें,इससे आप स्वयं, आपका सम्पूर्ण परिवार, पूरा भारतीय समाज और यह राष्ट्र राज्य भी स्वस्थ्य वह नीरोग रहेगा ।

    -निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में पाखंड, अंधविश्वास,राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र
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