श्यामला हिल्स थाने में सिंधिया के खिलाफ है एफआईआर दर्ज*
कांग्रेस के गोविंद सिंह की याचिका पर नोटिस हुआ जारी
सिंधिया को गंवाना पड़ सकता है कैबिनेट मंत्री का पद
विजया पाठक,
एडिटर, जगत विजन
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले ही मध्यप्रदेश की पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के समय किये गये भ्रष्टाचार के कारनामें अभी तक पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुए थे कि अब सिंधिया एक नये मसले में उलझते दिखाई पड़ रहे हैं। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सत्ता की लालच में आकर मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को 15 महीने में सत्ता से बाहर करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। सिंधिया ने इसी शर्त के साथ भाजपा का दामन थामा था कि उन्हें केंद्रीय मंत्री और उनके समर्थिक विधायकों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिले। भाजपा ने उनकी शर्त को स्वीकारा और उन्हें मध्यप्रदेश की राज्यसभा सीट से मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाने का फैसला किया। लेकिन लगता है कि सिंधिया की किस्मत में सत्ता का सुख लिखा ही नहीं है। राज्यसभा नामांकन के दौरान की गई सिंधिया की एक गलती उन्हें भारी पड़ सकती है और जल्द ही उन्हें मोदी कैबिनेट से बेदखल होना पड़ सकता है।
नामांकन में छुपाई थी जानकारी
दरअसल जिस समय प्रदेश भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा भेजने का निर्णय़ लिया तो सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के नामांकन में दी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाया था। जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह ने हाईकोर्ट में सिंधिया के खिलाफ जानकारी छुपाये जाने के संबंध में याचिका दायर की थी। अब कोर्ट ने इस विषय पर संज्ञान लेते हुए सिंधिया सहित जिम्मेदारों को नोटिस देकर जबाव तलब किया है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया था लेकिन अपने नामांकन में उन्होंने इस तथ्य को छुपाने की बड़ी गलती की है। गोविंद सिंह की इस याचिका पर दो सांसदों और पूर्व विधायकों को नोटिस जारी हुआ है।
कार्यकाल शून्य घोषित हो सकता है
देखा जाए तो सिंधिया द्वारा की गई यह गलती कोई छोटी गलती नहीं है। इसका खामियाजा उन्हें अपनी राज्यसभा सीट गवांकर भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि नामांकन के दौरान तथ्य छुपाना नियमों का उल्लंघन है और कोर्ट चाहेगा तो राज्यसभा चुनाव को शून्य घोषित कर सकता है। देखा जाए तो भाजपा में आते ही सिंधिया का कद दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पहले उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद उसके बाद उनके समर्थिक विधायकों को मंत्री पद और अन्य नेताओं को प्रदेश में निगम मंडलों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का पद। इस सबके बाद उनके बेटे महाआर्य़मान को ग्वालियर क्रिकेट डिवीजन एसोसिएशन का उपाध्यक्ष बना दिया गया है।
छुपा-छुपी का खेल बहुत पुराना है
सिंधिया घराने के इतिहास पर नजर डाले तो इस घराने के अंदर छुपा-छुपी का यह खेल वर्षों पुराना है। इससे पहले भी सिंधिया घराने से जुड़े रहे लोगों ने समय-समय पर कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को छुपाया। यही नहीं 1857 स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई की सिंधिया घराने द्वारा मदद करने के बजाय उन्हें धोखा दिया गया। राजमाता सिंधिया हो या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया सभी ने समय-समय पर सत्ता के लालच में आकर अपनी पार्टी को आखिरी वक्त पर धोखा दिया है, जिससे न सिर्फ पार्टी को क्षति हुई है, बल्कि खुद सिंधिया परिवार की छवि भी प्रदेश और समाज के बीच धूमिल हुई है।