क्या प्रदेश को शराबी प्रदेश बना देगी बीजेपी सरकार?*
शराब दुकानों का विरोध करने वालों पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के कहने पर दर्ज हो रहीं एफआईआऱ
वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा की सलाह पर इस वर्ष प्रदेश में खुली तीन हजार से अधिक शराब की दुकानें
विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन
देश भर में शांति के टापू के नाम पर प्रसिद्ध मध्यप्रदेश में शराब के चलते एक बार फिर अशांति का माहौल बनना शुरू हो गया है। प्रदेश के अंदर शराब और शिवराज सरकार दोनों एक दूसरे के दुश्मन बनते जा रहे हैं। एक तरफ जहां प्रदेश की जनता लगातार शिवराज सरकार से अपनी कॉलोनियों, स्कूल, कॉलेज व सार्वजनिक स्थानों से शराब की दुकानों को हटाने को लेकर गुजारिश से लेकर धरना प्रदर्शन करने को तैयार है। वहीं, बीजेपी की सरकार शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने को लेकर नई-नई तैयारियां कर रही है। अप्रैल 2022 से नई शराब नीति लागू होने के बाद प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या में बड़ी संख्या में इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा चलाये गये शराबबंदी अभियान को भी शिवराज सरकार ने धत्ता बता दिया और लगातार भोपाल सहित तमाम जिलों में शराब की दुकानों को खोला जा रहा है।
देखा जाये तो शिवराज सरकार पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के समय से ही शराबबंदी को लेकर लगातार आवाज उठा रही है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कई बार यह कह चुके हैं कि प्रदेश में एक भी नई शराब की दुकानें नहीं बढ़ने देंगे। लेकिन वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा की सलाह पर प्रदेश में 3065 विदेशी शराब की दुकानें खोलने के निर्णय लिया है। इससे तो लगता है कि बीजेपी सरकार की कथनी और करनी में काफी फर्क है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में प्रदेश पिअक्कड़ प्रदेश बन जायेगा।
हम जानते हैं कि शराब से प्रदेश सरकार को उतनी आय नहीं होती जितनी आंकड़ों में बताई जाती है। फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि प्रदेश में नई-नई नीतियां लाकर शराब को बढ़ावा दिया जा रहा है। हां इतना जरूर कहा जा सकता है कि इससे आबकारी मंत्री और विभाग के अधिकारियों की जरूर आमदनी बढ़ रही है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि पिछले दिनों वित्तमंत्री के पुत्र की शादी हुई थी। इस शाही शादी में पानी के तरह पैसा बहाया गया था। यह पैसा शराबमाफियाओं का था। मंत्री के कहने पर इन लोगों ने काफी पैसा खर्च किया था।
आवाज उठाने वालों पर करवा दी एफआईआर
मध्यप्रदेश की जनता द्वारा लगातार प्रदेश में शराबबंदी की मांग की जा रही है। लेकिन भाजपा सरकार के कान में जनता की मांग की जू तक नहीं रेंग रही है। इसी का परिणाम है कि पिछले दिनों राजधानी भोपाल से सटे हुए बिलखरिया इलाके में शराब की दुकान का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए रहवासियों के ऊपर उलटा पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी हैं। ये सभी रहवासी शराब की दुकान हटाने की मांग कर रहे थे और इन्होंने पीरिया चौराहे पर चक्काजाम किया था। प्रदेश की एक जागरूक नागरिक और पत्रकार होने के नाते मैंने खुद भी कई शराब की दुकान बंद करवाने को लेकर संघर्ष किया, आंदोलन किया लेकिन कभी इस विषय पर पुलिस प्रशासन द्वारा एफआईआर नहीं की गई। रहवासियों पर हुई एफआईआर ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुल मिलाकर राजस्व एकत्रित करने में जुटी बीजेपी सरकार को प्रदेश की जनता की सुरक्षा और उनकी स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है जिसके कारण प्रदेश में लगातार शराब की दुकानें खुल रही हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के कहने पर लोगों पर एफआईआर दर्ज हो रही हैं।
देसी के साथ विदेशी का फॉर्मूला
प्रदेश की सरकार ने वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा की राय पर प्रदेश में देसी के साथ विदेशी शराब बैचने का फॉर्मूला आखिरकार अपना ही लिया। यही कारण है कि जब आबकारी विभाग ने शराब दुकानों की सीमा बढ़ाई तो ठेकेदारों ने नई दुकानें खोल ली और उसके बाहर बोर्ड टांग दिया विदेशी शराब दुकान। विभाग के इस एकदम से भोपाल में कुल 41 नई दुकानें खुल गई हैं। देखा जाये तो पिछले साल 1061 दुकानों पर विदेशी शराब मिलती थी, अब यह संख्या लगभग ढ़ाई गुनी 3605 हो गई है।