लोक कल्याणकारी योजनाएं के बेजा इस्तेमाल का असर देश के खजाने पर जब पड़ता है, तो देश का क्या हाल हो सकता है। इसके लिए हमें दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला का उदाहरण लेना होगा, जो अभी बेहद आर्थिक संकट से गुजर रहा है। दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाले देशों में शुमार वेनेजुएला वर्तमान में दीवालिया होने के कगार पर है, जिसके पीछे की वजह थीं, वहां की समाजवादी नीतियां और लोक कल्याणी योजनाएं, जिसका असर वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पर तब पड़ना शुरू हुआ, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें गिरनी शुरू हो गईं।
वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था 95 फीसदी तेल निर्यात पर निर्भर थी और… वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था 95 फीसदी तेल निर्यात पर निर्भर थी और जब तक तेल की कीमतें ऊंचाईयां छूती रहीं, वेनेजुएला की सत्ता पर काबिज समाजवादी सरकारों ने तेल की आमदनी से लबालब खजाने को लोक कल्याणकारी योजनाओं में पानी की तरह बहाया और लोगों को मुफ्त बिजली, पानी, अस्पताल और शिक्षा दी गई। यहां की समाजवादी सरकार ने ओद्योगिकीकरण के विस्तार दिया, जिससे किसानी पीछे छूट गई, जिससे वेनेजुएला में कृषि क्षेत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा और परिणाम स्वरूप वेनेजुएला को जल्द ही घरेलू खाद्य जरूरतों के लिए भी खाद्दान्न को आयात करना पड़ गया। कल्याणकारी योजनाएं प्रोत्साहन होती है,
उनकी गांरटी नहीं होती है वेनेजुएला के उदाहरण से यह सबक मिलता है कि लोक कल्याणकारी योजनाएं प्रोत्साहन के लिए होती है, उनकी गांरटी नहीं होती है। क्योंकि वेनेजुएला की समाजवादी सरकार ने जैसे ही जनता के लिए सबकुछ मुफ्त मुहैया करना शुरू किया, वहां के मेहनतकश किसानों और काश्तकारों को मेहनत करना भारी पड़ गया और उन्होंने किसानी से भी तौबा कर लिया। जब तक तेल की कीमतें जब तक ऊंची रहीं, तब तक लोक कल्याणकारी योजनाएं चली, लेकिन जैसे ही तेल की कीमतें गिरी समाजवादी सरकार की नीतियां फेल हो गईं, क्योंकि सरकार खजाने पर दवाब बढ़ गया और महंगाई चरम पर पहुंच गई।