सुसंस्कृति परिहार
एक साथ देश में अनेकों सवाल धमाल मचा रहे हैं। कहीं सरकार मुर्दाबाद हो रहा है ,पुतले जल रहे हैं बिहार धधकने के बाद अब पंजाब में अहिंसात्मक तरीके से अग्निपथ योजना का विरोध करने पंजाब के पूर्व फौजी और किसान जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी इस युवा आंदोलन में शामिल है । पंजाब से ही फ़ौज में जाने का जज़्बा सबसे अधिक है।किसान भी यहां सर्वाधिक अन्न पैदा करते हैं।जय जवान और जय किसान वाला पंजाब आज किस तरह आक्रोशित हुआ है वह चुनाव परिणाम भी दर्शा रहा है। मुख्यमंत्री भगवत मान के संगरूर क्षेत्र से आप को शिरोमणि अकाली दल ने साफ़ कर दिया है।वे सब फिर एकजुट होकर अपने सवालों के साथ मैदान में हैं।उनकी ललकार दूर तक सुनी जा रही है।
इधर महाराष्ट्र में शिवसेना में कराई गई तोड़फोड़ से महाराष्ट्र में अशांति के बादल कभी भी फट सकते हैं। एकनाथ शिंदे के साथ डरे हुए तमाम अपहरित शिवसेना विधायक गोहाटी के एक मंहगे होटल में डेरा डाले हुए हैं। उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा चाहिए।सुको उन्हें एस पी जी सुरक्षा देने में देर नहीं करता।ये विधायक अपनी घर वापसी में इतने डरे हुए क्यों है जी।जनता ने आपको सदन में भेजा है आप वहां जाने में डर रहे हैं तो जनता की सुरक्षा कौन करेगा । महाराष्ट्र में अजीब माहौल बना हुआ है सुको को इस अपहरण और खर्चों की बात करना चाहिए लेकिन ई डी छापामारी हो रही है संजय राऊत के घर।जो शिवसेना सांसद हैं और अपहरित विधायकों के खिलाफ बोल रहे हैं। घटाटोप अंधेरे में महाराष्ट्र डूबता जा रहा है। सरकार बदलनी है तो सदन में आईए ।बहुमत सिद्ध कीजिए सरकार बना लीजिए।डर डर के सेंधमारी और सुको तक जाना एक षड्यंत्र के तहत ही नज़र आ रहा है।आसान रास्ते से घुसपैठ ना कर ऊपरी दबाव में जो कुछ होगा उसका जवाब जनता को भी देना होगा। जनता-जनार्दन तमाशा देख रही है।आगे स्थितियां विस्फोटक होती जा रहीं हैं। एकनाथ के पांच सवालों के साथ सु को को जनता के साथ छल करने वालों विधायकों को भी संज्ञान में लेना चाहिए। सरकार बदलवाने का यह तरीका अगर कारगर होता है तो यकीन मानिए कल को लोग चुनाव का वहिष्कार भी करने लग सकते हैं।
एक अन्य घटनाक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को अहमदाबाद की एक अदालत ने 2 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। दोनों पर 2002 गुजरात दंगों के मामले में झूठे साक्ष्यों के आधार पर निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप हैं । तिस्ता और कुमार को जाकिया जाफरी की याचिका को आधार बनाकर फर्जी दस्तावेजों को सही बताकर कानूनी प्रक्रिया चलाई गई और कानून का दुरूपयोग कर अलग अलग कमीशन में पेश किये गए । तिस्ता और गुजरात के पूर्व डीजीपी कुमार को जिस तरह जाफरी मामले में याचिकाकर्ता होने पर सु को ने याचिका खारिज करने के बाद उन पर एफ आई आर दर्ज कर तुरत फुरत गिरफ्तार किया है वह भी देश भर के लोगों खासतौर याचिकाकर्ताओं के लिए चिंता का सबब बन गया है। जाकिया जाफरी की याचिका खारिज होने के बाद जिस तरह गृहमंत्री शाह और पी एम मोदीजी दहाड़े हैं लगता है इस बार चुनावी मुद्दा गुजरात कांड और उसमें माननीयों की साफ सुथरी छवि ही होगा।सु को द्वारा निर्मित साख का ही परिणाम है तिस्ता और कुमार की गिरफ्तारी। संजीव भट्ट जो पहले से जेल में हैं उनके खिलाफ फिर मामला शुरू हुआ।पता नहीं इस सूची में अभी कितने और नाम आऐंगे।हो सकता है इसकी आंच सोनिया गांधी तक पहुंच जाए। कुछ भी हो सकता है।कहने का आशय यह कि गुजरात कांड अब सिर चढ़कर बोलेगा। हिंदू मुस्लिम तनातनी फिर देखने मिलेगी।
कुल मिलाकर जिस लोकतंत्र की दुहाई माननीय मोदी जी जर्मनी में दे रहे हैं वह भारत में अपने को बचाने संघर्षरत हैं जो लोकतंत्र बचाने के फरियादी हैं वे सब मुश्किलातों से जूझ रहे हैं।आम जनता में चारों तरफ मंहगाई, बेरोजगारी के साथ ये तमाम मसले चीख चीखकर उनके हाहाकार को बढ़ा रहे हैं किंतु सच ये है कि देश अग्निपथ पर है और इससे बच निकलने की तासीर सिर्फ जनता जनार्दन के पास है।ऐसे हालात में उम्मीद है भारत अपनी तक़दीर खुद बा खुद ही लिखेगा।